सार
अमित ने तर्क दिया कि उच्च शिक्षित होने पर भी उसे नौकरी नहीं मिल रही है। नौकरी ही नहीं है तो लड़की कौन देगा। इस कारण वह लगातार राशनकार्ड की मांग करता रहा। अधिकारी उसे टालते रहे, लेकिन अमित ने हार नहीं मानी।
महाराष्ट्र । राशन कार्ड के लिए एक शिक्षित बेरोजगार तहसील का चक्कर काट रहा था। लेकिन, आखिर में उसका आवेदन यह कहकर निरस्त कर दिया गया कि वो अभी शादीशुदा नहीं है। ऐसे युवक सरकारी सिस्टम को झुकाने के लिए दोस्तों को बुलाया। एक दिन पहले गांधीगीरी वाली बारात लेकर तहसील कार्यालय पहुंच गया। तहसीलदार के सामने शर्त रखा कि वह शिक्षित बेरोजगार है, इसलिए उसे राशन कार्ड दें नहीं तो शादी ही करवा दें। जिसकी बात सुनकर अफसर हैरत में पड़ गए और हाथों-हाथ राशन कार्ड बनाकर दे दिए। वहीं, जब लोगों को पता चला कि यह बारात नहीं, बल्कि आंदोलन है, तो वे भी आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रह सके। यह घटना बीड जिले के पाटोदा तालुका के धनगरजवड़का की है।
यह है पूरा मामला
अमित घनश्याम आगे ने तहसील कार्यालय में राशन कार्ड के लिए आवेदन किया था। वह उच्च शिक्षित है, लेकिन फिलहाल बेरोजगार है। उसने राशनकार्ड के लिए औपचारिक रूप से आवेदन किया था। मगर, आवेदन निरस्त कर दिया गया। अधिकारी से आवेदन निरस्त करने की वजह पूछा तो उन्होंने बताया कि वह शादीशुदा नहीं है। इतना ही नहीं तहसील कार्यालय से उसे लिखकर भी दिया कि वह परिवार की व्याख्या में फिट नहीं बैठता। इसलिए उसका राशन कार्ड बनाकर नहीं दिया जा सकता।
अमित ने अफसर को दिया था ये तर्क
अमित ने तर्क दिया कि उच्च शिक्षित होने पर भी उसे नौकरी नहीं मिल रही है। नौकरी ही नहीं है तो लड़की कौन देगा। इस कारण वह लगातार राशनकार्ड की मांग करता रहा। अधिकारी उसे टालते रहे, लेकिन अमित ने हार नहीं मानी।
दोस्तों के साथ निकाली बारात
अमित ने ऐसे में यह बात उसने अपने अपने दोस्तों को बताई। जिसके बाद गुरूवार को, सभी दोस्त बाराती बन गई, जबकि अमित को दूल्हा बनाकर घोड़ी पर बैठा दिए। फिर क्या, सभी बैंड-बाजे के साथ तहसील के दफ्तर पहुंच गए।
तहसीलदार के सामने रखी ये शर्त
बैंड की आवाज सुनकर तहसीलदार समेत पूरा महकमा चौंक गया। तहसीलदार के सामने आते ही अमित ने मांग रखी- आप मुझे राशनकार्ड दीजिए, अन्यथा कोई सुशील लड़की देखकर मेरी शादी करवा दीजिए। शादी होने पर मेरा परिवार भी होगा और राशनकार्ड भी मिल जाएगा। मांग सुनकर तहसीलदार सकते में आ गए। तहसीलदार का संकेत मिलते ही सब कर्मचारी हरकत में आ गए। आनन-फानन में राशनकार्ड बनाया और हाथोहाथ युवक को थमा दिया गया।
ऐसे निकाली थी बारात
दूल्हा बने अमित के मुताबिक, सरकारी सिस्टम को झुकाने के लिए उन्हें काफी खर्च करना पड़ा। दूल्हे की शेरवानी किराए पर ली। यही नहीं, घोड़ी और बैंड की भी व्यवस्था करनी पड़ी। गांधीगीरी वाली बारात के लिए दोस्तों को बुलाया। गुरुवार को बारात कई इलाकों से होकर तहसील कार्यालय पहुंची। जब लोगों को पता चला कि यह बारात नहीं, बल्कि आंदोलन था, तो वे भी आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रह सके।