सार
पोलियो मुक्त अभियान के 25 साल पूरे हो गए हैं। इसकी सफलता में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष भूमिका निभाने वाले सरकारी और गैरसरकारी संगठनों एवं सभी दलों के जन प्रतिनिधियों की सकारात्मक भूमिका की स्वास्ठय मंत्री ने सराहना की। इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अहम भूमिका का भी खुलासा किया है।
नई दिल्ली. केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भारत में पोलियो उन्मूलन अभियान की सफलता में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अहम भूमिका का खुलासा किया है। जिसमें उन्होंने कहा, "2002 में पोलियो के मामलों में अचानक इजाफा होने पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आरएसएस से पल्स पोलियो अभियान में मदद करने का आह्वान किया था। जिसके बाद कम ही लोगों को पता होगा कि संघ के शीर्ष नेतृत्व से लेकर सामान्य स्वयंसेवक तक, समूचे संगठन ने देश से पोलियो उन्मूलन के चुनौतीपूर्ण अभियान को सफल बनाने में पर्दे के पीछे अहम भूमिका निभाई थी।’’
सर कार्यवाह ने लिखे थे 185 पत्र
डॉ. हर्षवर्धन ने गुरुवार को पल्स पोलियो अभियान के रजत जयंती समारोह में बताया कि 2002 में बिहार और उत्तर प्रदेश में पोलियो के मामलों में तेजी से वृद्धि के बाद डब्ल्यूएचओ ने आरएसएस के तत्कालीन सर कार्यवाह केसी सुदर्शन और मौजूदा सर कार्यवाह मोहन भागवत सहित संगठन के मुख्य प्रचारकों को लगभग 185 पत्र लिखा था। पत्र में डब्ल्यूएचओ ने इन मुख्य प्रचारकों से पल्स पोलियो अभियान में अपनी संगठनात्मक ताकत का इस्तेमाल कर मदद की अपील की थी।
कांग्रेस के तत्कालीन विधायकों की सराहना की
उन्होंने कहा, ‘‘कम ही लोगों को पता होगा कि संघ के शीर्ष नेतृत्व से लेकर सामान्य स्वयंसेवक तक, समूचे संगठन ने देश से पोलियो उन्मूलन के चुनौतीपूर्ण अभियान को सफल बनाने में पर्दे के पीछे अहम भूमिका निभाई थी।’’ हर्षवर्धन ने 1994 से 1998 के दौरान दिल्ली में पल्स पोलियो अभियान को सफल बनाने में कांग्रेस के तत्कालीन विधायकों के सहयोग की भी सराहना की। आपको बता दें कि 1994 में डॉ. हर्षवर्धन ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के रूप में पोलियो उन्मूलन अभियान की दिल्ली में शुरुआत की थी। दिल्ली में सफलता के बाद 1995 में केन्द्र सरकार ने पल्स पोलियो अभियान की देशव्यापी स्तर पर शुरुआत की थी।
पल्स पोलियो अभियान के पूरे हुए 25 साल
डब्ल्यूएचओ ने 2014 में भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित करते हुये पल्स पोलियो अभियान को इस उपलब्धि का श्रेय दिया। डॉ. हर्षवर्धन ने इस अभियान के 25 साल पूरे होने पर इसकी कामयाबी में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष भूमिका निभाने वाले सरकारी और गैरसरकारी संगठनों एवं सभी दलों के जन प्रतिनिधियों की सकारात्मक भूमिका को सराहनीय बताया।
डब्ल्यूएचओ ने पोलियो उन्मूलन को बताया था गंभीर चुनौती
डॉ. हर्षवर्धन ने अभियान से जुड़े अनुभवों को साझा करते हुए कहा, "2002 में पोलियो का संकट गहराने पर डब्ल्यूएचओ ने भारत से पोलियो उन्मूलन को गंभीर चुनौती करार दिया था। स्थिति की गंभीरता को देखते हुये डब्ल्यूएचओ ने आरएसएस सहित अन्य प्रभावी संगठनों से मदद की अपील की। इसके बाद कर्णावती में आयोजित आरएसएस के वार्षिक सम्मेलन में इस समस्या से निपटने की रणनीति तय कर इसे अंजाम दिया गया।"
भ्रम के कारण पोलियो का गहराया था संकट
डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि उत्तर प्रदेश और बिहार में समुदाय विशेष के लोगों में पोलियो ड्रॉप को लेकर भ्रम फैलने के कारण इन राज्यों में पोलियो के मामलों में इजाफा हुआ था। आरएसएस ने समस्या से प्रभावित इलाकों में पोलियो की दवा के बारे में भ्रम तोड़ कर सघनता से अभियान चलाने की चुनौती स्वीकार की और इसे सफल बनाया। इस दौरान पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा और स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार के अलावा डब्ल्यूएचओ के वरिष्ठ अधिकारी और अभियान से जुड़े रहे विभिन्न दलों के जन प्रतिनिधि भी मौजूद थे।
शुरु हुआ इंद्रधनुष का दूसरा चरण
इस दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय ने मां और बच्चों के टीकाकरण से संबंधित इंद्रधनुष अभियान का दूसरा चरण भी शुरु किया। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि इंद्रधनुष अभियान में सात बीमारियों के टीकाकरण का दायरा बढ़ाकर अब 12 बीमारियों के टीकों को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘न्यू इंडिया’ की अवधारणा के तहत 2022 तक ‘स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत’ की मुहिम को कामयाब बनाने में ‘इंद्रधनुष 2.0’ अभियान प्रमुख भूमिका निभायेगा। इसके तहत टीका लगने से बचाव वाली दर्जन भर बीमारियों से मुक्ति के लिये प्रत्येक बच्चे और मां को शत-प्रतिशत टीकाकरण अभियान के दायरे में शामिल किया गया है।
पाक और अफगान अभी हैं पोलियो से ग्रस्त
कार्यक्रम के दौरान पूर्व स्वास्थ्य मंत्री नड्डा ने कहा कि पड़ोस में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के अभी पोलियो ग्रस्त देश होने के बावजूद भारत ने मजबूत निगरानी तंत्र के बलबूते खुद को पोलियो मुक्त बनाया है। उन्होंने कहा, प्रभावी निगरानी तंत्र के कारण हाल ही में इबोला, नीपा और जीका जैसे वायरस के प्रकोप से भारत को सुरक्षित रखने में कामयाबी मिली। उन्होंने सरकार की प्रतिबद्धता का हवाला देते हुये इंद्रधनुष 2.0 की भी कामयाबी का भरोसा व्यक्त किया।
60 प्रतिशत था पोलियो को ग्राफ
आपको बता दें कि 1993 में वैश्विक स्तर पर पोलियो के मरीजों में भारत की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत थी। दुनिया के 10 प्रतिशत पोलियो मरीज अकेले दिल्ली में ही थे। जिसके बाद अब भारत ने खुद को पोलियो से मुक्त देश बना लिया है।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)