सार

बनारस में एक व्यक्ति ने अपनी पहली पत्नी से बिना तलाक लिए दूसरी शादी कर ली। कुछ साल बाद उसने दूसरी पत्नी के बिना बताए तीसरी शादी कर ली। दूसरी पत्नी को जब जानकारी हुई तो...

इलाहाबाद। कोई भी भारतीय महिला किसी और के साथ अपने पति को साझा नहीं कर सकती है और ऐसे मामले में समझदार नहीं रह सकती है...इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने तीसरी शादी (third marriage) करने वाले एक व्यक्ति पर यह टिप्पणी की है, जिस पर दूसरी पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने का चार्ज है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान आरोपी पति को बरी करने की अपील को खारिज करते हुए की है।

जस्टिस राहुल चतुर्वेदी (Justice Rahul Chturvedi), बनारस (Varanasi) के एक केस की सुनवाई कर रहे थे। वहां के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने वाली अपील की सुनवाई कर रहे थे। अपील में एक व्यक्ति पर उसकी दूसरी पत्नी द्वारा आत्महत्या के लिए उकसाने को आरोपों के खिलाफ मामले में आरोप मुक्त किए जाने की याचिका दायर की गई थी। लेकिन हाईकोर्ट जस्टिस ने इसे खारिज कर दिया।

क्या कहा कोर्ट ने?

जस्टिस राहुल चतुर्वेदी ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि कोई भी भारतीय महिला अपने पति को किसी भी कीमत पर साझा नहीं कर सकती है। वे सचमुच अपने पतियों के बारे में अधिकार रखते हैं। किसी भी विवाहित महिला के लिए यह सबसे बड़ा झटका होगा कि उसके पति को कोई अन्य महिला साझा कर रही है या वह किसी अन्य महिला से शादी करने जा रहा है। ऐसी अजीब स्थिति में, उनसे किसी भी तरह की समझदारी की उम्मीद करना असंभव होगा।

क्या है मामला?

दरअसल, मामला बनारस के रहने वाले सुशील कुमार से संबंधित है। सुशील कुमार पर उनकी दूसरी पत्नी ने कथित आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया था। महिला ने पुलिस स्टेशन में 22 सितंबर 2018 को पति के खिलाफ केस दर्ज कराया था और अगले दिन उसने आत्महत्या कर लिया था। आरोप है कि सुशील कुमार ने अपनी पहली पत्नी को तलाक दिए बिना ही दूसरी शादी कर ली थी। इस दूसरी पत्नी से दो बच्चे थे। मामला तब और बढ़ गया जब शादी के काफी साल बाद उसने तीसरी शादी का फैसला किया। तीसरी शादी करने जा रहे पति के करतूतों के बारे में जब उसे पता लगा तो दूसरी पत्नी ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराया और अगले ही दिन सुसाइड कर ली। 

कोर्ट ने माना कि सुशील ने किया है अपराध

कोर्ट ने महिला द्वारा आत्महत्या पर खेद जताते हुए कहा गया कि यह जानना कि उसके पति ने किसी अन्य महिला के साथ गुपचुप तरीके से शादी कर ली है, आत्महत्या करने के लिए पर्याप्त कारण से अधिक है। न्यायाधीश ने कुमार की अपील को खारिज करते हुए कहा कि पति सुशील कुमार, कम से कम आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत अपराध के लिए मुख्य अपराधी लगता है।

बता दें कि सुशील कुमार की दूसरी पत्नी ने 22 सितंबर, 2018 को अपने पति और उसके परिवार के सभी सदस्यों के खिलाफ आईपीसी की धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 379 (संपत्ति चोरी करना), 494 (जीवित जीवनसाथी होने के बावजूद शादी करना), 504 (जानबूझकर अपमान करना), 506 (धमकी) के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
रिकॉर्ड पर मौजूद तथ्यों और सामग्री को देखने के बाद, अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट है कि मृतक ने अपने पति और अन्य ससुराल वालों के खिलाफ अपने जीवनकाल में अत्याचार के लिए वर्तमान प्राथमिकी दर्ज की थी। मृतक उसकी दूसरी पत्नी थी जिसकी कथित तौर पर 2010 में शादी हुई थी। अदालत ने कहा कि मृतक को अचानक पता चला कि उसका पति 11 सितंबर, 2018 को सारंग नाथ मंदिर में तीसरी महिला से शादी करने जा रहा है और उसने शादी के पंजीकरण के लिए आवेदन किया था।

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