सार

जल शक्ति मंत्रालय ने नदियों को आपस में जोड़ने के कार्यक्रम को उच्च प्राथमिकता वाला बताते हुये सोमवार को राज्यसभा में बताया कि केन बेतवा नदी को जोड़ने की परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बन गई है 

नई दिल्ली: जल शक्ति मंत्रालय ने नदियों को आपस में जोड़ने के कार्यक्रम को उच्च प्राथमिकता वाला बताते हुये सोमवार को राज्यसभा में बताया कि केन बेतवा नदी को जोड़ने की परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बन गई है और इसके पहले चरण के तकनीकी एवं आर्थिक पहलुओं के अलावा विभिन्न सांविधिक स्वीकृति मिल गई है।

जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि इस परियोजना के पहले और दूसरे चरण का डीपीआर पूरी हो गई है। डीपीआर के मुताबिक परियोजना के तहत सिंचाई के लिये कुल 9.4 लाख हेक्टेयर कमान क्षेत्र को शामिल किया गया है।

63 लाख आबादी को फायदा

उन्होंने कहा कि इसमें 6.53 लाख हेक्टेयर कमान क्षेत्र में मध्य प्रदेश के छत्तरपुर, टीकमगढ़, दतिया, पन्ना, दमोह, विदिशा, सागर, रायसेन और शिवपुरी जिले शामिल हैं। जबकि उत्तर प्रदेश के झांसी, महोबा और बांदा जिलों का 2.51 लाख हेक्टेयर कमान क्षेत्र शामिल है। इन क्षेत्रों की लगभग 63 लाख आबादी को घर में जल आपूर्ति करने की भी परिकल्पना है।

शेखावत ने कहा कि परियोजना के पहले चरण को तकनीकी एवं आर्थिक स्वीकृति और पर्यावरण एवं जनजातीय मंत्रालय की विभिन्न सांविधिक स्वीकृतियां भी प्रदान कर दी गई हैं। उन्होंने कहा कि नदियों को आपस में जोड़ने का कार्यक्रम उच्च प्राथमिकता पर किया गया है। इस कार्यक्रम में तेजी लाने के लिए सितंबर 2014 में विशेष समिति और अप्रैल 2015 में विशेष कार्यबल का गठन किया जा चुका है।

कार्यबल की 11 बैठकें हो चुकी

शेखावत ने कहा कि समिति की अब तक 17 और कार्यबल की 11 बैठकें हो चुकी हैं। साथ ही संबंधित राज्यों के बीच सहमति बनाने और इसके कार्यान्वयन का रोडमेप तैयार करने के भी प्रयास किए गए हैं।

उन्होंने बताया कि इस बाबत उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकार सरकार के बीच सहमति पत्र (एमओए) का प्रारूप भी दोनों राज्य सरकारों को भेज दिया गया है। इसके अलावा दोनों राज्यों के बीच विभिन्न मुद्दों के समाधान के लिये गत 26 फरवरी को दोनों राज्यों के जल राजस्व विभागों के सचिवों की बैठक भी हो चुकी है।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

(फाइल फोटो)