सार

एशियानेट न्यूजेबल की खबर का असर हुआ है। गलवान घाटी के बहादुर के स्मारक के लिए लड़ रहे परिवार की रिपोर्ट एशियानेट न्यूजेबल ने प्रकाशित की थी। इसपर भारतीय सेना ने संज्ञान लिया है। सेना ने बहादुर के परिवार की सहायता का आश्वासन दिया है।

पटना। बिहार के राजकपूर सिंह के बेटे जय किशोर सिंह ने 2020 में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ गलवान घाटी संघर्ष में जान गंवाई थी। जवान बेटे को गंवाने वाले राजकपूर सिंह की दुर्दशा को एशियानेट न्यूजेबल ने सबसे पहले रिपोर्ट किया था। एशियानेट न्यूजेबल ने बताया कि कैसे राजकपूर सिंह को पुलिस स्टेशन ले जाते समय घसीटा गया और गाली दी गई।

अपने बेटे के लिए स्मारक बनवाने की मांग कर रहे पिता के साथ हुई इस घटना ने पूरे देश में स्तब्ध कर दिया। एशियानेट न्यूजेबल की रिपोर्ट आने के बाद बाकी राष्ट्रीय मीडिया जागा। भारतीय सेना ने एशियानेट न्यूजेबल की रिपोर्ट का संज्ञान लिया है और बहादुर के परिवार की सहायता के लिए आगे आई है। भारतीय सेना की एक टीम ने मृत सैनिक जय किशोर सिंह के गांव जंदाहा प्रखंड के चकफतेह का दौरा किया। टीम ने परिवार के सदस्यों से मुलाकात की और उन्हें हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।

स्मारक की जमीन को लेकर है विवाद

परिवार के लोगों के अनुसार राजकपूर सिंह अपने बेटे के लिए स्मारक बनवा रहे हैं। स्मारक की जमीन को लेकर विवाद था। स्मारक का निर्माण शुरू होने से पहले पंचायत में जमीन विवाद को सुलझा लिया गया था। जमीन विवाद को लेकर पुलिस राजकपूर सिंह को हिरासत में लेने आई तो उन्हें गालियां दी गईं और जमीन पर घसीटा गया। जिस जमीन पर स्मारक बनाया जाना था वह सरकारी भूमि है। उससे सटी हुई एक जमीन हरिनाथ राम की है। हरिनाथ ने सरकारी जमीन पर भी कब्जा कर रखा था।

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पंचायत की बैठक में हरिनाथ को जमीन खाली करने के लिए कहा गया और वादा किया गया कि उसे कुछ दूर दूसरी जमीन मुहैया कराई जाएगी। पहले हरिनाथ जमीन खाली करने को तैयार हो गया था, लेकिन स्मारक का निर्माण पूरा होने को हुआ तो वह पलट गया। हरिनाथ ने अपने लिए खरीदी गई जमीन लेने के बजाय स्मारक हटाने पर जोर दिया। उसने राजकपूर सिंह के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत शिकायत दर्ज करा दिया।

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दिवंगत सैनिक के बड़े भाई नंदकिशोर सिंह भी भारतीय सेना में भी हैं। नंदकिशोर ने सोमवार को एशियानेट न्यूजेबल को बताया था कि केस दर्ज होने के बाद पुलिस उपाधीक्षक उनके घर गए थे और उन्हें प्रतिमा हटाने का निर्देश दिया था। जब परिवार ने प्रतिरोध दिखाया तो 25 फरवरी को जंदाहा के SHO (स्टेशन हाउस अधिकारी) घर पहुंचे और राजकपूर को घसीट कर बाहर ले गए। इस दौरान SHO ने गांव के लोगों के सामने राजकपूर को गाली दी।