सार

सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की सुनवाई के 39वें दिन हिंदू और मस्लिम पक्षकारों के वकीलों के बीच तीखी बहस हुई।

नई दिल्ली(New Delhi). अयोध्या विवाद पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई। कोर्ट में तय वक्त से एक घंटे पहले ही ये सुनवाई हो गई। मध्यस्थता विफल होने के बाद से सुप्रीम कोर्ट इस विवाद पर नियमित सुनवाई हो रही थी। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। चीफ जस्टिस 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं, इसलिए माना जा रहा है कि उससे पहले फैसला आ सकता है। 

 इससे पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में हिंदू महासभा की ओर से दलील दी जा रही थी, इसी दौरान बहस छिड़ गई। सुनवाई के दौरान हिंदू महासभा के वकील विकास सिंह ने एक नक्शा पेश किया। इस पर मुस्लिम पक्षकार राजीव धवन ने इसपर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि इसे मंजूरी नहीं दी जा सकती है। इतना कहते ही राजीव धवन ने उस नक्शे को फाड़ दिया और उसके पांच टुकड़े कर दिए। बता दें कि अयोध्या विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का आखिरी दिन हो सकता है। उम्मीद है कि शाम 5 बजे तक सुनवाई पूरी कर ली जाएगी। 

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नक्शे में क्या था?
हिंदू महासभा के वकील विकास सिंह ने किशोर कुणाल की किताब 'अयोध्या रिविजिटेड' के नक्शे को दूसरे दस्तावेजों के साथ रखकर अपनी बात कह रहे थे। तभी मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने इसपर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि किताब रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं है। इतना कहते ही राजीव धवन ने उस नक्शे को फाड़ दिया और उसके पांच टुकड़े कर दिए। 

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राम जन्मस्थान से जुड़ा है नक्शा
बता दें कि पहला नक्शा 1810 में फ्रांसिस बुकानन ने बनाया था। उस नक्शे और दूसरे दस्तावेजों के आधार पर यह नक्शा किशोर कुणाल ने बनाया। दोनों नक्शे उनकी किताब में हैं। राम जन्मस्थान के दोनों नक्शों को कोर्ट में रखा गया था।

पीठ में कौन-कौन शामिल हैं?
इस पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर भी शामिल हैं। पीठ ने मामले की, 40वें दिन सुनवाई शुरू होने पर कहा, "इस मामले की सुनवाई आज शाम पांच बजे पूरी हो जाएगी। अब बहुत हो चुका।"

2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सुनाया था फैसला
उल्लेखनीय है कि संविधान पीठ अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि को तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला- के बीच बराबर बराबर बांटने का आदेश देने संबंधी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुनवाई कर रही है।

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