सार
बिहार में जातिगत सर्वेक्षण पूरा हो चुका है और करीब 215 जातियों की पहचान, उनकी संख्या, उनके राजनैतिक-आर्थिक हालातों की जानकारी भी इस सर्वे से मिली है।
Bihar Caste Census 2023. बिहार की जाति आधारित जनगणना न केवल जातियों की संख्या, उनके राजनैतिक-आर्थिक हालातों की जानकारी देते है बल्कि यह राज्य के नए राजनैतिक समीकरण की तरफ भी इशारा करता है। बिहार से कुल 40 सांसद चुने जाते हैं। यह सर्वे राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी को राज्य में ओबीसी वोटरों की अहमियत बताएगा। इससे यह साफ होगा कि आने वाले चुनावों में ओबीसी प्रत्याशियों की संख्या भी बढ़ सकती है। सभवतः सभी पार्टियां ओबीसी कैंडिडेट पर दांव लगाती दिखें तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
बिहार की जातिगत जनगणना में क्या है
बिहार के जाति-आधारित सर्वेक्षण, जिसे बिहार की जाति आधारित गणना भी कहा जा रहा है, के नतीजे जारी कर दिए गए हैं। इस साल जनवरी में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा जातिगत जनगणना को मंजूरी दी। लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले इसका सार्वजनिक होना कई तरह के राजनैतिक नफा-नुकसान की तरफ इशारा करता है। इस सर्वे में बताया गया है कि राज्य की कुल आबादी 13 करोड़ से ज्यादा है। इसमें ओबीसी मतदाताओं की कुल संख्या 63 प्रतिशत है। इसस पॉलिटिक्स में भी बदलाव देखने को मिलेंगे। राज्य में अभी तक बीजेपी, आरजेडी और जेडीयू जैसी पार्टियों का दबदबा रहा है। यह राज्य 40 सांसद चुनता है लेकिन आने वाले चुनावों में ओबीसी फैक्टर बड़ा बनने वाला है।
क्या कहते हैं जातिगत जनगणना के आंकड़े
- बिहार की जाति जनगणना में राज्य की कुल आबादी 13 करोड़ से ज्यादा बताई गई है। मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने कहा कि इस जनगणना से कई ऐसे आंकड़े मिले हैं, जिससे फायदा मिलेगी।
- बिहार राज्य में पिछड़े वर्ग की आबादी 27.12 फीसदी है। अत्यंत पिछड़ा वर्ग की आबादी 36 फीसदी है। अनुसूचित जाति की आबादी 19.65 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति की आबादी 1.68 फीसदी है।
- बिहार जाति जनगणना 2023 के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में सवर्णों की संख्या 15.52 फीसदी है। इसमें ब्राह्मण 3.65 प्रतिशत, भूमिहार 2.86 प्रतिशत, राजपूत 3.45 प्रतिशत हैं।
- बिहार में हिंदू आबादी 81.99 फीसदी और मुस्लिम आबादी 17.70 फीसदी है। राज्य में ईसाई 0.05 प्रतिशत, सिख 0.01 प्रतिशत, बौद्ध 0.08 प्रतिशत हैं। अन्य धर्म के लोगों की आबादी 0.12 प्रतिशत है।
- बिहार के जातिगत जनगणना में पिछड़ा वर्ग संख्या 3,54,63,936 है। अत्यंत पिछड़ा वर्ग 4,70,80,514 है। अनुसूचित जाति की संख्या 2,56,89,820 और अनुसूचित जनजाति 21,99,361 हैं।
- बिहार में यादवों की संख्या 14.26 फीसदी, कुर्मी 2.87 फीसदी, कुशवाहा 4.21 प्रतिशत, बनिया 2.31 प्रतिशत, मुसहरों की संख्या 3.08 प्रतिशत है।
- बिहार की जातिगत जनगणना में पिछड़े वर्ग और अत्यंत पिछड़े वर्गों की संख्या को जोड़ दिया जाए तो कुल आबादी 63 प्रतिशत तक पहुंच जाती है। बिहार सीएम ने इसकी जानकारी दी है।
क्या कहते हैं बिहार के राजनैतिक सूरमा
बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने जाति जनगणना करने वाली टीम को बधाई दी है। कहा कि यह सिर्फ जातियों की नहीं बल्कि हर व्यक्ति की आर्थिक स्थिति का भी खुलासा करता है। वहीं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने कहा कि यह राज्य के लिए ऐतिहासिक मूमेंट है। बीजेपी ने इसको रोकने की बहुत कोशिशें की लेकिन बिहार की जनता के हित में काम पूरा हुआ। बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर कहा कि यह दशकों के संघर्ष के बाद संभव हुआ है।
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