सार
भारत के साथ बढ़ते तनाव के बीच कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो मुश्किल में घिरते नजर आ रहे हैं। यहां तक कि कनाडा के पत्रकार ने ही उन पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि वो खालिस्तानियों की गोद में खेल रहे हैं।
India-Canada Relation: भारत-कनाडा के संबंधों में खटास उस वक्त और बढ़ गई, जब कनाडा ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारतीय उच्चायुक्त संजय वर्मा को संदिग्ध बताया। इसके बाद भारत ने कनाडा के 6 डिप्लोमैट्स को निष्कासित करने का फैसला किया। बता दें कि खालिस्तानियों के हमदर्द कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो इस फैसले के बाद अपने ही घर में घिरते जा रहे हैं।
खालिस्तानियों को खुश करना चाहते हैं जस्टिन ट्रुडो
कनाडा के जर्नलिस्ट डेनियल बॉर्डमैन ने भारत के साथ बिगड़ते संबंधों को लेकर जस्टिन ट्रुडो को ही कसूरवार ठहराया है। उन्होंने ट्रुडो पर आरोप लगाते हुए कहा- भारत के साथ तनाव बढ़ने के बाद जस्टिन ट्रूडो एक बार फिर जनता को ठोस सबूत देने में विफल रहे हैं। डिप्लोमैट्स को निष्कासित कर दिया गया है और हम अब भी 'ट्रस्ट मी ब्रो' वाले फेज में हैं। कनाडाई पीएम के इस फैसले से कनाडा को व्यापार में अरबों डॉलर का नुकसान झेलना पड़ सकता है। उन्होंने ये भी कहा कि ये सब जगमीत और खालिस्तानी मंत्रियों को खुश करने के लिए किया जा रहा है।
कनाडा में रह रहे भारतीयों की मुश्किलें बढ़ेंगी
वहीं, कनाडा में सीनियर जर्नलिस्ट हलीमा सादिया ने कहा- बीते कुछ महीनों भारत और कनाडा के संबंधों में काफी उथल-पुथल दिखी है। ऐसे लोग जिनके लिए कनाडा ही अब उनका घर है लेकिन उनके संबंध अब भी भारत से हैं, ये हालात बिगड़ने जैसा है। इसके साथ ही उनके लिए अब भारत लौटना मुश्किल हो सकता है।
क्या 2025 के चुनाव से डरे जस्टिन ट्रुडो?
बता दें कि 2025 में कनाडा में चुनाव होने हैं। वहां खालिस्तान समर्थक न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) के नेता जसमीत सिंह ने ट्रुडो की लिबरल पार्टी से किनारा कर लिया था, जिसके बाद सरकार अल्पमत में आ गई थी। ऐसे में सत्ता में बने रहने और खालिस्तानियों को खुश करने के लिए जस्टिन ट्रुडो भारत विरोधी फैसले ले रहे हैं।
सितंबर, 2024 में ट्रुडो से नाराज थे खालिस्तानी नेता
सितंबर, 2024 में न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) के खालिस्तान समर्थक नेता जगमीत सिंह ने कहा था- कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो ने देश की जनता को सिर्फ निराशा दी है। वो किसी सूरत में दूसरा मौका पाने के लायक नहीं हैं। इसलिए हम उनकी पार्टी के साथ हुए अपने समझौते को रद्द करते हैं। इसके बाद से ही कनाडा की सरकार खतरे में चल रही थी।
चुनाव हुए तो कंजर्वेटिव पार्टी का पलड़ा भारी
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कनाडा में हुए तमाम सर्वे की मानें तो इस बार कंजर्वेटिव पार्टी का पलड़ा जस्टिन ट्रुडो की लिबरल पार्टी के मुकाबले कहीं ज्यादा भारी लग रहा है। कंजर्वेटिव पार्टी निश्चित रूप से बहुमत के जादुई आंकड़े को पार कर सकती है। ऐसे में अब जस्टिन ट्रुडो के पास दूसरे दलों (खालिस्तान समर्थक) को मनाकर सत्ता में बने रहने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है।
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