सार

भारत को अपने मून मिशन में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) से सहयोग मिल रहा है। इससे इसरो को चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की निगरानी में मदद रही है।

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (Indian Space Research Organisation) द्वारा भेजा गया चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) इतिहास रचने के करीब है। इसका विक्रम लैंडर सफलतापूर्वक अलग हो गया है। यह चंद्रमा के चक्कर लगा रहा है और उतरने के लिए सही जगह की तलाश कर रहा है। यह 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला है।

भारत के मून मिशन को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA (National Aeronautics and Space Administration) और यूरोपीय अंतिरक्ष एजेंसी (ESA) से मदद मिल रही है। इसरो ने 14 जुलाई को चंद्रयान को लॉन्च किया था। इसके बाद से नासा इसरो को इसकी निगरानी में मदद कर रहा है। नासा का डीप स्पेस नेटवर्क इसरो को चंद्रयान की निगरानी के लिए टेलीमेट्री और ट्रैकिंग कवरेज दे रहा है।

ESA से भारत को मिल रही मदद

नासा के साथ ही यूरोपीय अंतिरक्ष एजेंसी से भी भारत को मदद मिल रही है। ESA एस्ट्रैक नेटवर्क में दो ग्राउंड स्टेशनों के माध्यम से उपग्रह को उसकी कक्षा में ट्रैक करता है। ESA चंद्रयान से टेलीमेट्री प्राप्त करता है और इसे बेंगलुरु स्थित मिशन संचालन केंद्र को भेजता है। इसके साथ ही यह इसरो के कमांड को चंद्रयान को भेजता है।

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चंद्रयान-3 के लैंडर के टचडाउन के करीब आने के साथ इन एजेंसियों के ग्राउंड स्टेशनों का सपोर्ट अहम हो गया है। चांद पर उतरने के दौरान लैंडर मॉड्यूल को ट्रैक करने और उससे संचार करने के लिए एस्ट्रैक नेटवर्क में एक तीसरा ग्राउंड स्टेशन स्थापित किया गया है।

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गौरतलब है कि चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के साथ ही भारत चंद्रमा पर पहुंचने वाला चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका, सोवियत रूस और चीन ने यह कामयाबी पाई है। चंद्रयान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला है। यहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंचा है। चंद्रमा पर इसरो की खोज पर दुनियाभर की नजर टिकी है।