सार

गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प पर पहली बार चीन ने माना है कि झड़प में उसके सैनिक भी मारे गए थे। अब चीनी प्रोपगेंडा मशीनरी ने एक वीडियो जारी किया है, जिसमें दावा किया गया है कि यह जून 2020 की गलवान घाटी में हुए झड़प का है।

नई दिल्ली. गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प पर पहली बार चीन ने माना है कि झड़प में उसके सैनिक भी मारे गए थे। अब चीनी प्रोपगेंडा मशीनरी ने एक वीडियो जारी किया है, जिसमें दावा किया गया है कि यह जून 2020 की गलवान घाटी में हुए झड़प का है। 

शुक्रवार की सुबह बीजिंग ने आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया कि उनके चार सैनिक पिछले साल 15 जून को गलवान घाटी में हिंसक झड़प के दौरान मारे गए थे। इस खबर ने चीन में एक सनसनी मचा दी, क्योंकि बीजिंग ने अपनी तरफ से किसी भी तहत के नुकसान से इनकार किया था। अब चीनी प्रचार मशीनरी ने फुटेज जारी किया है, जिसमें भारतीय सैनिकों को हमलावरों के रूप में दिखाया गया है।

चीन ने ऐसा क्यों किया?
दरअसल, गलवान घटना के बाद चीन के लोगों और पीएलए में बहुत असंतोष था। उन्हें लगा कि भारत ने अपने जवानों की शहादत को स्वीकार किया। उन्हें सम्मान दिया। उन्हें पुरस्कार दिया है और पीएम ने घायलों से मिलने के लिए लेह का दौरा किया। वहीं चीन ने अपनी तरफ से किसी भी सैनिक के मारे जाने से इनकार कर दिया था।

20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे
गलवान घाटी में हुई खूनी झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। लेकिन तब चीन ने अपने एक भी सैनिक मारे जाने की पुष्टि नहीं की थी। पिछले दिनों नार्दन कमांड के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने बताया था कि गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद 50 चीनी सैनिकों को वाहनों में ले जाते देखा गया था। हालांकि यह पुष्टि नहीं हो सकी थी कि वे मर चुके थे या घायल थे। 

रूसी एजेंसी TASS ने 45 चीनी जवानों के मारे जाने का अनुमान लगाया था। अब ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग ने काराकोरम पर्वत पर तैनात रहे अपने 5 सैनिकों के बलिदान को याद किया है। इनके नाम हैं पीएलए शिनजियांग मिलिट्री कमांड के रेजीमेंटल कमांडर क्यूई फबाओ, चेन होंगुन, जियानगॉन्ग, जियो सियुआन और वांग जुओरन। इसमें से एक की मौत नदी में बहने से हुई।