सार

पैगंबर मामले में 10 जून(जुमे की नमाज)  के बाद देश के 12 राज्यों में हुई साम्प्रदायिक हिंसा के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सबसे अधिक एक्शन में हैं। हिंसा के आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है। इसके खिलाफ जमीयत उलेमा ए हिंद (Jamiat Ulema e Hind) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आज सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई भी कार्रवाई पूरी प्रक्रिया के बाद होनी चाहिए। कोर्ट ने यूपी सरकार को तीन दिन में हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। 

"हमें लोगों की सुरक्षा को लेकर सोचना होगा। हम अवैध अतिक्रमण को हटाने से नहीं रोक सकते हैं। हां, अवैध निर्माण को तोड़ने से पहले कानूनी प्रक्रिया का जरूर पालन किया जाना चाहिए।" सुप्रीम कोर्ट

ई दिल्ली. पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी(remarks on Prophet Muhammad) के बाद भाजपा से निष्कासित नेता नूपुर शर्मा के खिलाफ जुमे की नमाज(10 जून) के बाद देश के 12 राज्यों में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। इस साम्प्रदायिक हिंसा के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सबसे अधिक एक्शन में हैं। हिंसा के आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है। इसके खिलाफ जमीयत उलेमा ए हिंद (Jamiat Ulema e Hind) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आज सुनवाई हुई। सुनवाई जस्टिस एएस बोपन्ना और विक्रम नाथ की अवकाशकालीन बेंच ने की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई भी कार्रवाई पूरी प्रक्रिया के बाद होनी चाहिए। कोर्ट ने यूपी सरकार को तीन दिन में हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। इस मामले में अब अगले हफ्ते सुनवाई होगी।सुप्रीम कोर्ट ने उत्तरप्रदेश सरकार से पूरी जानकारी मांगी है। सरकार की ओर से जवाब दिया गया कि घर तोड़ने की कार्रवाई पूरी प्रक्रिया का पालन करने के बाद हुई है।

इधर, ADG लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने बताया कि यूपी में 10 जून को विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर 16 जून की सुबह 7 बजे तक कुल 357 आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं। इनमें प्रयागराज से 97, सहारनपुर से 85, हाथरस से 55, मुरादाबाद से 40, फिरोजाबाद से 20, और अंबेडकरनगर से 41 अरेस्ट हुए। पुलिस ने 13 FIR दर्ज की थीं।

(यह तस्वीर यूपी के प्रयागराज की है। 12 जून को दंगे के मुख्य आरोपी जावेद अहमद के बंगले पर बुल्डोजर चला दिया गया था, जो कथित तौर पर प्रयागराज में पैगंबर मुहम्मद पर अब-निलंबित भाजपा नेताओं की टिप्पणी के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन का प्रमुख साजिशकर्ता माना जा रहा है)

बुलडोजर की कार्रवाई को बताया गलत
जमीयत उलेमा ए हिंद (Jamiat Ulema e Hind)ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके मांग की है कि वो यूपी सरकार (UP Government) से बुलडोजर की कार्रवाई रुकवाए। याचिका में बुलडोजर के एक्शन को गलत बताया गया है। इसमें कहा गया कि यह कार्रवाई बिना किसी उचित कानूनी प्रक्रिया के हो रही है। याचिका में बुलडोज़र चलवाने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई की मांग उठाई गई है। जमीयत उलेमा ए हिंद की लीगल सेल के सचिव गुलज़ार अहमद आज़मी की तरफ से यह याचिका दाखिल की गई है। इसमें उन्होंने तर्क दिया कि पैगम्बर मोहम्मद (Prophet Muhammad) के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी के विरोध में 3 जून को कानपुर में मुस्लिम समुदाय के लोग प्रदर्शन कर रहे थे। तब उनकी हिंदू समुदाय से झड़प हो गई थी। पथराव दोनों पक्षों की तरफ से हुआ था, लेकिन प्रशासन एक तरफा कार्रवाई कर रहा है। मुसलमानों के घरों पर बुलडोजर चलवाया जा रहा है।

रांची में कथित आरोपियों के पोस्टर पर विवाद
झारखंड पुलिस द्वारा रांची में हुए हिंसक प्रदर्शनों में कथित रूप से शामिल लोगों की तस्वीरों वाले पोस्टर लगाने के एक दिन बाद राज्य के होम सेक्रेट्री राजीव अरुण एक्का ने एसएसपी से इस गैरकानूनी कृत्य(unlawful act) पर स्पष्टीकरण मांगा है। मंगलवार को पोस्टर लगाने के कुछ घंटे बाद पुलिस ने 'तकनीकी खामियों' का हवाला देते हुए राज्य की राजधानी के विभिन्न हिस्सों से उन्हें हटा लिया था। पुलिस ने तर्क दिया कि तकनीक गलतियां दूर करके पोस्टर फिर से जारी किए जाएंगे। हालांकि एक्का के पत्र में कहा गया है, यह लीगल नहीं है और इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा 9 मार्च, 2020 के आदेश के खिलाफ है। पुलिस ने हिंसक प्रदर्शनों में कथित रूप से शामिल करीब 30 लोगों के पोस्टर जारी कर उनके बारे में जानकारी मांगी थी। राज्यपाल रमेश बैस ने राजभवन में डीजीपी नीरज सिन्हा और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को तलब करने के एक दिन बाद यह कदम उठाया था। राज्यपाल ने पूछा था कि आंदोलन के दौरान भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा उपाय या कार्रवाई क्यों नहीं की गई? पुलिस ने बताया कि घटना के सिलसिले में अब तक 29 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

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