सार
कांग्रेस ने कहा कि वह इस मामले को वह संसद के अगले सत्र में मांग उठाएगी। कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि फ्रांस में राफेल सौदे की जांच शुरू होने और इस मामले में ताजा खुलासे से कांग्रेस और राहुल गांधी सही साबित हुए हैं।
नई दिल्ली. फ्रांस सरकार द्वारा राफेल सौदे की जांच को उठाए गए कदम के बाद अब कांग्रेस ने एक बार फिर से मुद्दा उठाया है। भारत के साथ करीब 59,000 करोड़ रुपये के राफेल सौदे में कथित 'भ्रष्टाचार' अब फ्रांस में न्यायिक जांच होगी और इसके एक फ्रांसीसी जज को नियुक्त किया गया है। कांग्रेस ने शनिवार को राफेल सौदे की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच की मांग की।
कांग्रेस ने कहा कि वह इस मामले को वह संसद के अगले सत्र में मांग उठाएगी। कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि फ्रांस में राफेल सौदे की जांच शुरू होने और इस मामले में ताजा खुलासे से कांग्रेस और राहुल गांधी सही साबित हुए हैं।
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सुरजेवाला ने सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री मोदी जेपीसी जांच को सौंपेंगे। सुरजेवाला ने कहा, "14 जून को फ्रांसीसी पब्लिक प्रोजेक्शन सर्विस (पीएनएफ) ने राफेल सौदे में भ्रष्टाचार और अवैध प्रभाव की जांच शुरू कर दी है। इसमें फ्रांस के पूर्व और वर्तमान राष्ट्रपति के साथ-साथ अनिल अंबानी की भी जांच की जाएगी।" कंपनी रिलायंस भी जांच के दायरे में है।"
सुरजेवाला ने कहा कि यूपीए सरकार ने काफी कम कीमत पर विमान खरीदने के लिए बातचीत की थी लेकिन मौजूदा सरकार ने इसे कई गुना ज्यादा कीमत पर खरीदा था। राहुल गांधी ने जब इस पर सवाल उठाए तो जवाब देने के बजाय सरकार ने इसका मजाक उड़ाया। हम कोर्ट नहीं गए क्योंकि कोर्ट इसकी जांच नहीं कर पा रहा है।
जब फ्रांस ने यह मानकर एक जांच की स्थापना की कि पहली जगह में गलती हुई है, तो क्या उस देश में जांच नहीं होनी चाहिए जहां वास्तव में घोटाला हुआ था? सुरजेवाला ने कहा कि यह भाजपा बनाम कांग्रेस नहीं राष्ट्रीय हित का मामला है। इसलिए, दोषी कौन है, इसका खुलासा करने के लिए जेपीसी जांच होनी चाहिए।'' सुरजेवाला ने फ्रांसीसी वेबसाइट मीडिया पार्ट के हवाले से कहा कि राफेल खरीद में भारत सरकार ने डसॉल्ट के इशारे पर और फ्रांस सरकार ने भी अनिवार्य हटा दिया था। रक्षा सौदों में भ्रष्टाचार विरोधी नियम, संदेह को बढ़ा रहे हैं।
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जिसमें 36 डसॉल्ट-निर्मित लड़ाकू जेट की बिक्री के लिए भारत के साथ हस्ताक्षर किए गए थे। फ्रांस ने 2016 में भारत के साथ हुए 59,000 करोड़ रुपये के राफेल सौदे जिसमें 36 डसॉल्ट-निर्मित लड़ाकू जेट की बिक्री के लिए भारत के साथ हस्ताक्षर किए गए थे।