सार

पिछले हफ्ते दिल्ली हाई कोर्ट ने आयकर विभाग द्वारा तीन वर्षों (2014-15, 2015-16 और 2016-17) के लिए शुरू की गई पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही को चुनौती देने वाली कांग्रेस की तीन याचिकाओं को खारिज कर दिया।

कांग्रेस पार्टी का झटका। दिल्ली हाई कोर्ट ने कांग्रेस पार्टी के उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें आयकर विभाग द्वारा चार साल के लिए शुरू की गई आयकर पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही को चुनौती दी गई थी। इस तरह से पहले ही अकाउंट फ्रीज होने से परेशान कांग्रेस को एक करारा झटका लगा है। दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा कांग्रेस की सभी 7 याचिकाएं खारिज होने के बाद कांग्रेस पार्टी को 2014-2021 की अवधि के बीच बेहिसाब लेनदेन के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से 520 करोड़ रुपये से अधिक की टैक्स डिमांड का सामना करना पड़ सकता है।

पिछले हफ्ते दिल्ली हाई कोर्ट ने आयकर विभाग द्वारा तीन वर्षों (2014-15, 2015-16 और 2016-17) के लिए शुरू की गई पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही को चुनौती देने वाली कांग्रेस की तीन याचिकाओं को खारिज कर दिया। कांग्रेस ने टैक्स डिपार्टमेंट के खिलाफ सात रिट याचिकाएं दायर कीं, जो 31 मार्च तक सात वित्तीय वर्षों (2013-14 से 2020-21) के लिए चल रहे पुनर्मूल्यांकन को समाप्त करने के लिए थी। इन 7 याचिकाओं में से तीन को हाई कोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दिया और बाकी के चार को आज गुरुवार (28 मार्च) को खारिज कर दिया गया।

दिल्ली हाई कोर्ट के जज का बयान

दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा और पुरूषेन्द्र कुमार कौरव की खंडपीठ ने कांग्रेस की याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि ये उच्च न्यायालय के पहले के आदेश के दायरे में आता है, जहां तीन याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था। पिछले आदेश में पीठ ने कहा था कि शुरुआती जांच में यह साफ था कि आयकर विभाग ने IT Act के तहत आगे की जांच और जांच के लिए पर्याप्त और ठोस सबूत जुटाए हैं। इसकी वजह से हमें संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करके इस विलंबित चरण में मूल्यांकन कार्यवाही में बाधा डालने का कोई मतलब नहीं बनता है।

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