सार
वुहान में WIV सिर्फ एक नागरिक विज्ञान अकादमी ही नहीं है बल्कि यह पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का भागीदार भी है। यहां 2015 से अगले विश्व युद्ध के लिए जैव-हथियार तैयार करने की योजना थी। ऐसे में यह मुद्दा सिर्फ लोगों के स्वास्थ्य का नहीं बल्कि वैश्विक सुरक्षा का भी है
एस.गुरुमूर्ति
चीन के वुहान शहर में कोरोना वायरस के फैले 18 महीने हो गए। इस रहस्यमयी वायरस के बारे में अबतक दुनिया जो जान सकी है वह यह है कि यह रहस्यमयी है। अधिकारिक तौर पर इसे कोविड-19 कहा जाता है लेकिन इसका पता लगने के तीन महीने के भीतर इसका नाम कई बार बदला गया था। कोविड-19 नाम संकेतिक कम भ्रामक अधिक है। इस वायरस की उत्पत्ति प्राकृति है या वुहान में मानव निर्मित इसपर विवाद तो इसके प्रकोप के पहले दिन से ही है। एक महामारी में बदलते हुए, इसका विनाशकारी मिशन लगभग डेढ़ साल के बाद भी जारी है। वायरस के कारण का पता लगाना सिर्फ जिज्ञासा नहीं है, इसका इलाज खोजने और इसकी पुनरावृत्ति को रोकने के लिए यह जरूरी है। हालांकि, डब्ल्यूएचओ के एक आयोग को पिछले साल इसका कारण और स्रोत का पता लगाने का जिम्मा सौंपा गया था लेकिन आयोग ने अपने मिशन को यह कहते हुए समाप्त कर दिया कि वह पता नहीं लगा सकता है। इसके बाद डब्ल्यूएचओ ने इस वायरस को प्राकृतिक साबित करने के लिए एक सौम्य नाम और कहानी दे दी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायरस के बारे में नैरेटिव गढ़ने से इस पर कोई भी खोज या रिसर्च अप्रासंगिक हो गया। इतने पर भी दुनिया नहीं जागी कि कोविड-19 नाम ही अपने आप में भ्रामक है।
कोविड -19 - एक भ्रामक नाम
चीनी अधिकारियों ने सबसे पहले वुहान वायरस को वेट मार्केट से जोड़ा। वेट मार्केट चीन में ऐसी जगहें होती हैं जहां मांस के लिए जीवित जंगली जानवरों को बेचा जाता है। वुहान के वेट मार्केट में हमारे यहां भारत में सब्जियों की तरह, जीवित जानवर बेचे जाते हैं। यह मार्केट हमें 2002 की सार्स महामारी को याद दिला दिया। जो चमगादड़ों द्वारा गीले बाजार में बेचे जाने वाले सिवेट को संक्रमित करने और उनसे मनुष्यों को होने के कारण हुआ था। सार्स 2002 के मामले में, चमगादड़ से मनुष्यों में वायरस जीनोम को डिकोड करके पशु लिंक स्थापित किया गया था। लेकिन नए वायरस के लिए डेढ़ साल बाद भी ऐसा कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है। और फिर भी चीनी और डब्ल्यूएचओ ने नए वायरस को पुराने सार्स से जोड़ा।
प्रारंभ में नए वायरस को विभिन्न रूप से वुहान निमोनिया और वुहान वायरस कहा जाता था। डब्ल्यूएचओ ने तुरंत हस्तक्षेप किया और दो महीने में तीन बार इसका नाम बदल दिया गया। जनवरी और फरवरी में इसे वुहान के वेट मार्केट से जोड़कर बिना किसी सबूत के सार्स-2 बताया गया जोकि सार्स-1 का नया अवतार है। बाद में जानवरों से जोड़ते हुए इसके कोरोना वायरस नाम दिया गया। फिर इसे नोवेल कोरोना वायरस का नाम दिया गया। फिर इसको जानवरों से ही जोड़ते हुए कोविड-19 नाम दिया गया। को यानी कोरोना, वि यानी वायरस और डी यानी डिसिज। 19 इसलिए जोड़ा गया कि इसी साल इसकी उत्पत्ति हुई थी। हालांकि, आश्चर्यजनक रूप से चीन ने इसे वुहान वायरस को वेट मार्केट से किसी प्रकार की लिंक से इनकार कर दिया। अब करीब एक साल बाद डब्ल्यूएचओ ने भी खुद स्वीकार किया है इस वायरस के फैलने में वुहान के वेट मार्केट की भूमिका स्पष्ट नहीं है।
अब सवाल उठता है कि एक वायरस, जिसका कारण अभी तक ज्ञात नहीं है, उसका नाम जानवरों को दोष देने वाला क्यों है?
जवाब यह है कि डब्ल्यूएचओ की प्राकृतिक वायरस की भौगोलिक उत्पत्ति का नाम नहीं रखने की एक नीति है क्योंकि इससे वहां रहने वाले मनुष्यों पर इसका दोष आ सकता है या दोषी मान लिए जाएंगे। इसलिए जानवरों पर ही नामकरण कर दिया गया। डब्ल्यूएचओ की यह नीति केवल प्राकृतिक रूप से उत्पन्न वायरस के लिए है। यहीं से भ्रम फैलाने की स्थितियों की शुरूआत हुई। चूंकि, वुहान वायरस को लेकर यह विवाद पहले दिन से ही है कि यह प्राकृतिक है या मानव निर्मित। लेकिन नामकरण ने महामारी की भ्रामक कथा को पुख्ता किया। इसका अर्थ है कि यह प्राकृतिक विकास था, जिससे सत्य से दूर वायरस के कारण और स्रोत की खोज को गलत दिशा दी। चीन और अमेरिका से जुड़ी भू-राजनीति द्वारा वायरस के बारे में चैंकाने वाले और दबे हुए तथ्यों के धीरे-धीरे उभरने के साथ, यूएस-चीन की राजनीति की सच्चाई सामने आने लगी है।
चमगादड़ ने वुहान तक 1,500 किलोमीटर की उड़ान नहीं भरी
कोरोना की वजह से बर्बाद हुई दुनिया एक साल से वायरस का कारण जानने के लिए परेशान है। दुनिया को पत्रकार निकोलस वेड का अहसानमंद होना चाहिए। वेड कोई साधारण पत्रकार नहीं हैं। वह एक विज्ञान लेखक-संपादक-लेखक हैं, जिन्होंने प्रकृति, विज्ञान और कई वर्षों तक न्यूयॉर्क टाइम्स के कर्मचारियों पर काम किया है। उन्होंने विनाशकारी किंतु संतुलित लेख से दुनिया को वाकिफ किया। उन्होंने यह लेख 5 मई, 2021 को मैनहट्टन परियोजना वैज्ञानिकों द्वारा स्थापित परमाणु वैज्ञानिकों के बुलेटिन के आधार पर लिखा था जिसमें चीनी चमगादड़ों को गलत तरीके से वायरस का वाहक बताने को नकारा गया था। वेड ने सवाल खड़े किए थे कि युन्नान में 1500 किलोमीटर दूर रहनेन वाले चमगादड़ वुहान में मनुष्यों में वायरस कैसे पहुंचा सकते हैं। खासकर तब जब वे 50 किलोमीटर से ज्यादा उड़ान नहीं भर सकते। इसके अलावा युन्नान के चमगादड़ केवल उन जानवरों को संक्रमित केवल क्यों करते हैं जो वेट मार्केट में बेचे जाते हैं, बीच का एरिया क्यों वह छोड़ देते हैं। सार्स 2002 के चार महीने के भीतर ही वैज्ञानिकों ने चमगादड़ और वेट मार्केट के जानवरों से संक्रमित जानवरों के बीच की कड़ी का पता लगा लिया था। लेकिन अब डेढ़ साल बाद ऐसा कोई संबंध नहीं देखा गया है। वेड कहते हैं कि यहां तक कि चीनियों ने भी वेट मार्केट के दावे को छोड़ दिया हैं। वुहान में गरीब युन्नान चमगादड़ों ने लोगों को संक्रमित नहीं किया, लेकिन उन्हें दोषी ठहराया जाता है। फिर वुहान में चमगादड़ का वायरस कैसे पहुंचा? यह उस वायरस की भयावह कहानी के केंद्र में है जिसे तब लिखा गया था जब अमेरिकी चीन के प्रति बेहद आकर्षित थे।
बैट लेडी वुहान में 100 बैट वायरस लेकर आई?
नए वायरस की कहानी के बारे में वेड का बयान दिल को छू लेने वाला है। वुहान वायरस की कहानी में खलनायक - या नायिका - शी झेंगली है, जो चीन के बैट वायरस की प्रमुख विशेषज्ञ हैं। शी को बैट लेडी के नाम से जाना जाता है। वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के शोधकर्ताओं के संबंध में वेड कहते हैं कि शी ने दक्षिणी चीन में युन्नान की चमगादड़ से पीड़ित गुफाओं में लगातार अभियान चलाया। नवंबर 2015 में सौ से अधिक विभिन्न बैट कोरोना वायरस एकत्र किए। शी ने राल्फ एस बैरिक के साथ मिलकर काम किया। बैरिक, उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय में एक प्रख्यात कोरोनावायरस शोधकर्ता हैं। उन्होंने मनुष्यों पर हमला करने के लिए बैट वायरस की क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया। नवंबर 2015 में उन्होंने एक नोवेल कोरोनावायरस बनाया। कैसे ? यह थोड़ा तकनीकी है। उन्होंने सार्स-1 वायरस की रीढ़ की हड्डी लेकर और इसके स्पाइक प्रोटीन को बैट वायरस से बदलकर किया, जो मानव कोशिका को संक्रमित करने में सक्षम था। वेड एक वायरोलॉजी विशेषज्ञ का बयान देते हैं जिन्होंने बताया कि यदि वह मानव निर्मित वायरस बच गया तो इसके खतरों और भयावहता को प्रेडिक्ट नहीं किया जा सकता। वायरोलॉजिस्ट ऐसे फ्रेंकस्टीन क्यों बनाएंगे? यह रिसर्च केवल इसलिए होता है कि भविष्य में वायरस के जोखिमों को कम करने के लिए हम पहले ही तैयारी कर सके। इसे Gain of Function प्रोजेक्ट कहते हैं। इस रिसर्च के लिए मानदंड यह है कि भविष्य के प्रकोपों को कम करने की क्षमता को और अधिक खतरनाक वायरस बनाने के जोखिम को परखा जाए। बैरिक और शी ने अपने काम में जोखिमों को स्वीकार किया, इसे जीओएफ पर उचित ठहराया।
वेड का कहना है कि बैरिक ने शी को मानवकृत चूहों जैसी अन्य प्रजातियों पर हमला करने के लिए इंजीनियरिंग बैट कोरोना वायरस बनाने का सामान्य तरीका सिखाया था। शी लैब लौट आई और मानव कोशिकाओं पर हमले के लिए कोरोना वायरस पर काम करना शुरू कर दिया। लेकिन सवाल उठता है कि कोई कैसे कह सकता है कि उसने ऐसा किया? वेड वुहान लैब से अमेरिकी कनेक्शन के सार्वजनिक रिकॉर्ड का हवाला देते हुए इसे साबित किया है।
बैट लेडीज का वायरस, चमगादड़ से नहीं
वेड दो अकाट्य साक्ष्यों का हवाला देते हैं जो स्पष्ट रूप से इंगित करते हैं कि बैट लेडी ने क्या किया। पहला साक्ष्य यह कि यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) वुहान लैब को वैट लेडी के प्रोजेक्ट के लिए अनुदान दिया। यह एक सार्वजनिक रिकार्ड में है। फॉक्स न्यूज (12.5.2021) के अनुसार, ओबामा के नेतृत्व वाले अमेरिका ने चीन के अपने एकतरफज्ञ प्यार में 2005 से वुहान इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाॅजी को फंड देना शुरू कर दिया। इस ग्रांट से वुहान लैब ने वही किया जो उसको प्रोजेक्ट दिया गया था। वायरोलॉजिस्ट गिल्ड में ठेकेदार के रूप में पीटर दासजक एक बड़ा नाम है। शी के लिए उनको सब-कान्ट्रेक्टेड किया गया। प्रोपोजल में कंटेंट के बारे में वेड बताते हैं कि उसमें दर्ज कंटेंट को गैर-तकनीकी भाषा में यह है कि शी को मानव कोशिकाओं के लिए अधिक संक्रामक कोरोना वायरस को बनाना था। हालांकि, शी ने अधिक खतरनाक कोरोना वायरस बनाया या नहीं, यह बताया नहीं जा सकता क्योंकि चीन ने उनके लैब को सील कर दिया था।
लेकिन, वेड ने वुहान के प्रकोप से ठीक पहले 9 दिसंबर, 2019 को दासजक द्वारा दिए गए एक साक्षात्कार का हवाला दिया जिससे साबित हुआ कि शी ने अपना मिशन पूरा कर लिया था। दासजक ने डब्ल्यूआईवी में शोधकर्ताओं के बारे में गर्व करने वाले शब्दों में बात की और कहा कि हम (मतलब दासजक और शी) अब 6 या 7 वर्षों के बाद, 100 से अधिक नए सार्स कोरोना वायरस पाए हैं। यह वायरस सार्स के बहुत करीब हैं। इनमें से कुछ लैब में मानव कोशिकाओं में प्रवेश करते हैं, उनमें से कुछ मानवकृत चूहों के मॉडल में सार्स का कारण बन सकते हैं। इन वायरस के लिए आप केवल एक वैक्सीन से काबू नहीं पा सकते हैं। वेड अपने लेख में सवाल करते हैं कि दासजक ने कहा था कि आप एक वैक्सीन से काबू नहीं पा सकते। तो क्या यह समझा जाए कि लाखों-लाख लोगों की तबाही के लिए वुहान लैब में बैट लेडी शी और दासजक का प्रोजेक्ट जिम्मेदार था।
निष्कर्ष क्या है? चमगादड़ों ने किसी भी जानवर को वायरस से संक्रमित नहीं किया जिससे वुहान के लोगों के संक्रमित होने की बात कही गई। बल्कि एक नया कोरोनावायरस बनाने के लिए चमगादड़ का वुहान के डब्ल्यूआईवी में लाया गया था जो अब दुनिया को तबाह कर रहा है।
लेकिन, शी झेंगली को कोरोनोवायरस अनुदान किसने दिया? पीटर दासजक ने जिसने 100 से अधिक बैट वायरस विकसित करने के लिए उनकी प्रशंसा किसने की थी। जिसने दावा किया था कि वायरस को किसी वैक्सीन से नहीं काबू किया जा सकता। यह वही पीटर दासजक है जो जब वायरस फैला तो डब्ल्यूएचओ की कमिशन का सदस्य था और रिपोर्ट तैयार कराया कि लैब से वायरस लीक नहीं हो सकता। ऐसे में अगर वैट लेडी शी को अगर कोरोना वायरस की खलनायिका कहेंगे तो पीटर दासजक को खलनायक कहा जाना चाहिए जिसने वायरस के लैब में बनने के मुद्दे को खारिज कराने में अहम भूमिका निभाई।
खैर, यह सिर्फ आधी कहानी है। अभी वहां और भी कहानियां हैं। वुहान में डब्ल्यूआईवी सिर्फ एक नागरिक विज्ञान अकादमी ही नहीं है बल्कि यह पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का भागीदार भी है। यहां 2015 से अगले विश्व युद्ध के लिए जैव-हथियार तैयार करने की योजना थी। ऐसे में यह मुद्दा सिर्फ लोगों के स्वास्थ्य का नहीं बल्कि वैश्विक सुरक्षा का भी है।
(लेखक Thuglak के संपादक हैं। आर्थिक और राजनीतिक मसलों के विशेषज्ञ हैं।यह लेख न्यू इंडियन एक्सप्रेस में अंग्रेजी से लिया गया है।)
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