सार

अग्निवीर योजना का विपक्ष पुरजोर विरोध कर रहा है। सोमवार को 18वीं लोकसभा में भी राहुल गांधी ने अग्निवीर योजना पर निशाना साधा।

Deceased Agniveer compensation: अग्निवीर योजना का विपक्ष पुरजोर विरोध कर रहा है। सोमवार को 18वीं लोकसभा में भी राहुल गांधी ने अग्निवीर योजना पर निशाना साधा। सेना में युवाओं को चार साल के लिए अग्निवीर योजना के तहत शामिल करने की इस पहल को लेकर आर्मी ने बताया कि अगर ड्यूटी के दौरान अग्निवीर के साथ कोई हादसा या उसकी मौत होती है तो उसके परिवार को एक करोड़ रुपये सहायता और शेष नौकरी बची नौकरी की सैलरी दी जाती है। जबकि ऑफ ड्यूटी कोई हादसा होने पर 44 लाख रुपये मिलते हैं।

पहले जानिए क्या कहा राहुल गांधी ने लोकसभा में?

लोकसभा में राहुल गांधी ने बताया कि एक अग्निवीर शहीद हुआ तो मैं उसके घर गया। उन्होंने कहा, “वह अग्निवीर लैंड माइन ब्लास्ट में शहीद हुआ था। मैं उसको शहीद कह रहा हूं। मगर हिंदुस्तान की सरकार उसको शहीद नहीं कहती। नरेंद्र मोदी उसे शहीद नहीं कहते। नरेंद्र मोदी उसे अग्निवीर कहते हैं। उस घर को पेंशन नहीं मिलेगी। उस घर को मुआवजा नहीं मिलेगा। शहीद का दर्जा नहीं मिलेगा। गांधी ने कहा कि जब मैं उनके घर गया अग्निवीर शहीद की तीन बहनें थीं, एक साथ बैठी हुईं थीं, रो रहीं थीं। आम जवान को पेंशन मिलेगी। जरूर दुख होगा। मगर हिन्दुस्तान की सरकार आम जवान की मदद करेगी। मगर अग्निवीर को जवान नहीं कहा जाता। अग्निवीर यूज एंड थ्रो मजदूर। और आप उससे कहते हो, उसको आप छह महीने की ट्रेनिंग देते हो, दूसरी तरफ चीन के जवान को पांच साल की ट्रेनिंग मिलती है। राइफल लेकर उसके सामने खड़ा कर देते हो उसके दिल में भय पैदा करते हो। एक जवान और दूसरे जवान के बीच में फूट डालते हो। एक को पेंशन मिलेगी, दूसरे को नहीं। एक को शहीद का दर्जा मिलेगा, दूसरे को नहीं मिलेगा। और फिर अपने आप को देशभक्त कहते हो। ये कैसे देशभक्त हैं? फिल्म स्टार जैसी फोटो थी उस युवक की। मैं सोच रहा था देखो इस युवा ने जान दी।”

ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले अग्निवीर को 1 करोड़ रुपये

लोकसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह  ने बताया कि ड्यूटी के दौरान अगर अग्निवीर की जान जाती है तो उसके परिजन को एक करोड़ रुपये सहायता राशि दी जाती है। 

सैन्य अधिकारियों के अनुसार, इस एक करोड़ रुपये में 48 लाख रुपये नॉन-कंट्रीब्यूटरी इंश्योरेंस के अलावा 44 लाख रुपये अहेतुक सहायता और 30 प्रतिशत सेवा निधि का पैसा शामिल होता है जो अग्निवीर ने सैलरी से कंट्रीब्यूट किया होता है। यानी 92 लाख रुपये मिलता है। जबकि अगर अग्निवीर ड्यूटी पर नहीं है और मौत होने पर उसे 44 लाख रुपये मिलेंगे।

सेना के अनुसार, इस एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता के अलावा अग्निवीर की मौत के बाद चार साल की सेवा का जितना समय शेष रहता है उतने समय की सैलरी भी दी जाती है। इसमें आर्म्ड फोर्सेस बैटल कैसुएलिटी फंड से परिवार को 8 लाख रुपये शामिल हैं। यह रकम बार्डर क्षेत्र में तैनाती के दौरान मिलती है।

महाराष्ट्र के गावते अक्षय लक्ष्मण को दिया गया था

देश के पहले अग्निवीर गावते अक्षय लक्ष्मण ने अपनी जान ड्यूटी के दौरान गंवा दी थी। गावते अक्षय लक्ष्मण जान गंवाने वाले पहले अग्निवीर थे। सियाचिन में उनकी जान गई थी। महाराष्ट्र के इस अग्निवीर को एक करोड़ रुपये आर्थिक सहायता और बची ड्यूटी पीरियड की सैलरी परिवार को दी गई थी। 

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