सार

सावरकर के अनुसार अखंड भारत को देशों में बांटा जाना चाहिए, पर उन दोनों देशों का कानून एक ही होना चाहिए। सावरकर किसी भी समुदाय विषेश को खास अधिकार देने पर विश्वास नहीं करते थे।

नई दिल्ली. पिछले कुछ दिनों से हमारी संसद में लगातार हंगामें हो रहे हैं। नेता एक दूसरे की पार्टी पर देश का बंटवारा करने का आरोप लगा रहे हैं। देश के गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर धर्म आधारित बंटवारे का आरोप लगाया, पर कांग्रेस ने उल्टा वीर सावरकर को देश के बंटवारे के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया। देश के बंटवारे से जुड़ी हुई सच्चाई से हम ज्यादा देर तक वंचित नहीं रह सकते। इन राजनेताओं ने अपने ही इतिहास से पल्ला झाड़ लिया और अब ऐसा व्यवहार कर रहे हैं जैसे उन्हें इस मामले पर कोई जानकारी ही नहीं है।

Deep Dive with Abhinav Khare

दो राष्ट्र के सिद्धांत के लिए कौन है जिम्मेदार ?
हिंदू और मुसलमान दो बहुत ही अलग समुदाय हैं और दोनों सांस्कृतिक रूप से पूरी तरह भिन्न हैं। यह सिद्धांत सावरकर के जन्म से पहले ही आ चुका था। सन 1880 में अग्रणी मुस्लिम समाज सुधारक सर शैयद अहमद खान ने सबसे पहले यह बात कही थी। गांधी द्वारा मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति लागू करने से बहुत पहले ही हिंदू और मुस्लिम अपने बीच के फर्क से अवगत थे।

अंग्रेजों के जाने के बाद भारत पर कौन राज करेगा हिंदू या मुस्लिम? इस सवाल के जवाब पर सर शैयद ने कहा था कि उनकी समझ में दोनों बराबर शक्ति नहीं रखते हैं और दोनों में से किसी एक देश को दूसरे पर राज करना चाहिए ताकि दोनों जगह शांति बनी रहे। 

लेकिन हम वीर सावरकर को इस मामले में क्यों घसीट रहे हैं?
सावरकर को इस विषय पर पूरी तरह से गलत समझा गया है। सावरकर के अनुसार अखंड भारत को देशों में बांटा जाना चाहिए, पर उन दोनों देशों का कानून एक ही होना चाहिए। सावरकर किसी भी समुदाय विषेश को खास अधिकार देने पर विश्वास नहीं करते थे। उनके अनुसार सरकार को हर धर्म और उसके रीति रिवाजों को संभालकर रखना चाहिए। सावरकर ने कभी भी विधानसभा या दूसरी जगहों पर किसी समुदाय के लोगों के लिए अलग सीट की मांग का समर्थन नहीं किया है।   

Abhinav Khare

क्यों हुआ देश का बंटवारा ?
भारत में रहने वाले हिंदू और मुस्लिमों को अपनी आस्था और धर्म के अंतर के बारे में पता था, पर कांग्रेस ने बाद में धर्मनिरपेक्षता की बात कहकर मुस्लिम तुष्टिकरण शुरू कर दिया। यह गांधी थे जिन्होंने तुर्की में खलीफा के खिलाफ खिलाफत आंदोलन का समर्थन किया था, उन्होंने मोहम्मद अली जिन्ना को भारतीय मुस्लिमों का नेता भी नियुक्त किया था। यहीं से देश के विभाजन की नीव रखी गई थी। 

हालांकि, कांग्रेस की कभी न बदलने वाली नीति ने उन्हें इस आरोप से बचा लिया और कांग्रेस के नेताओं ने देश के विभाजन का सारा दोष जिन्ना और सावरकर के सिर मढ़ दिया। देश के विभाजन से अपना पल्ला झाड़ने के बाद अब कांग्रेस फिर से इतिहास को मिटाना चाह रही है। इसलिए जरूरी है कि हम हर बार अफसोस मनाने की बजाय अपने पूर्वजों की दूरदर्शिता पर गर्व से सिर ऊंचा कर के बात करें, जिसको अब जाकर पहचान मिल रही है। 

कौन हैं अभिनव खरे

अभिनव खरे एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ हैं, वह डेली शो 'डीप डाइव विद अभिनव खरे' के होस्ट भी हैं। इस शो में वह अपने दर्शकों से सीधे रूबरू होते हैं। वह किताबें पढ़ने के शौकीन हैं। उनके पास किताबों और गैजेट्स का एक बड़ा कलेक्शन है। बहुत कम उम्र में दुनिया भर के 100 से भी ज्यादा शहरों की यात्रा कर चुके अभिनव टेक्नोलॉजी की गहरी समझ रखते है। वह टेक इंटरप्रेन्योर हैं लेकिन प्राचीन भारत की नीतियों, टेक्नोलॉजी, अर्थव्यवस्था और फिलॉसफी जैसे विषयों में चर्चा और शोध को लेकर उत्साहित रहते हैं। उन्हें प्राचीन भारत और उसकी नीतियों पर चर्चा करना पसंद है इसलिए वह एशियानेट पर भगवद् गीता के उपदेशों को लेकर एक सफल डेली शो कर चुके हैं।

मलयालम, अंग्रेजी, कन्नड़, तेलुगू, तमिल, बांग्ला और हिंदी भाषाओं में प्रासारित एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ अभिनव ने अपनी पढ़ाई विदेश में की हैं। उन्होंने स्विटजरलैंड के शहर ज्यूरिख सिटी की यूनिवर्सिटी ETH से मास्टर ऑफ साइंस में इंजीनियरिंग की है। इसके अलावा लंदन बिजनेस स्कूल से फाइनेंस में एमबीए (MBA) भी किया है।