सार
वसंत विहार के फ्लैट नंबर 207 में मां और उनकी दो बेटियों के कथित आत्महत्या की कहानी केवल एक सुसाइड केस नहीं है बल्कि यह उस विद्रुप समाज की हकीकत है जो रोज ब रोज अपनी रोजमर्रा की जरूरतों, मूलभूत आवश्यकताओं के लिए जूझ रहा है। जिंदगी में पल पल किसी न किसी तरह का समझौता करने पर मजबूर हो रहा है।
नई दिल्ली। न जाने क्या गम था जो खुद को तड़पाकर मारने की प्लान बनाई थी। दक्षिण दिल्ली में कथित ट्रिपल सुसाइड का ऐसा केस शायद ही किसी ने सोचा था। कोई प्रोफेशनल हत्यारा भी किसी को ऐसी मौत देने पर कई बार सोचे लेकिन न जाने कौन सी मजबूरी थी कि एक मां और उसकी दो बेटियों को ऐसी दर्दनाक मौत की राह चुननी पड़ी।
बेहद प्लान्ड तरीके से रची गई...
50 साल की एक महिला मंजू श्रीवास्तव और उनकी दो बेटियों अंशिका व अंकू का शव उनके फ्लैट में मिला है। प्रथमदृष्टया पुलिस इस केस को सुसाइड केस मान रही है। कथित ट्रिपल सुसाइड में दिल्ली पुलिस का दावा है कि दम घुटने से तीनों मौतें हुई है। फ्लैट की स्थिति को देखकर यह कहा जा सकता है कि सुसाइड या रहस्यमय मौत को पूरे प्लान्ड तरीके से अंजाम दिया गया है।
पहले कमरे के सभी खिड़की-दरवाजों को पैक किया
फ्लैट की स्थिति देखकर आसानी से यह समझा जा सकता है कि फ्लैट के कमरों की खिड़कियों व वेंटिलेशन्स को पन्नी से इस तरह पैक किया गया था कि हवा अंदर-बाहर आ जा न सके। दिल्ली के पॉश वसंत विहार इलाके के इस फ्लैट में जिस तरह वेंटिलेशन को बंद करने के लिए पन्नियों का इस्तेमाल किया गया है उससे साफ है कि सांसों को थामने की पूरी प्लानिंग की गई थी। पन्नी से वेंटिलेशन को बंद करने के बाद कमरे में अंगीठी पर कोयला सुलगा दिया गया है ताकि कमरे में ऑक्सीजन लेवल कम होते होते एकदम खत्म हो जाए। यही नहीं ऑक्सीजन खत्म करने की प्लान के साथ रसोई गैस की नॉब को भी खोल दिया गया था ताकि कमरे में गैस भी फैल जाए। इससे साफ था कि अगर कमरे को खोला जाएगा और ऑक्सीजन के संपर्क में आते ही आग पकड़ लेगा।
कैसे हुई होगी मौत?
वसंत विहार इलाके फ्लैट में मंजू श्रीवास्तव व उनकी बेटियों की मौत के मामले में प्रथमदृष्टया विशेषज्ञों का अनुमान है कि कमरे का वेंटिलेशन बंद करने से ऑक्सीजन का फ्लो रूक गया होगा। चूंकि, कमरे में अंगीठी पर कोयला सुलगाया गया था तो उसकी वजह से ऑक्सीजन धीरे-धीरे खत्म होने के साथ कॉर्बन मोनोऑक्साइड का निर्माण हुआ होगा। वातावरण में ऑक्सीजन की कमी और कॉर्बन गैसों की अधिकता से तीनों का दम घुटने से मौत हो गई होगी।
पुलिस का दावा है कि सभी दरवाजे, खिड़कियां और वेंटिलेटर पन्नी से भरे हुए मिले, जाहिर तौर पर यह सुनिश्चित करने के लिए कि धुआं कमरे से बाहर न जाए और कोई भी भीतर न देख सके। पुलिस के अनुसार यह सारी सामग्री ऑनलाइन मंगवाई गई थी। पुलिस ने पाया कि रसोई गैस सिलेंडर का नॉब चालू था और एक अंगीठी (कोयले की आग) जल रही थी। कोयले की आग और बिना वेंटिलेशन के कारण कमरे में जहरीली कार्बन मोनोऑक्साइड का निर्माण हुआ, जिससे तीनों की मौत हो गई।
कमरे में आने वालों को कर दिया था आगाह
जब पुलिस ने फ्लैट में प्रवेश किया तो तीनों शव बेडरूम में थे जहां पूरी प्लानिंग से इस घटना को अंजाम दिया गया होगा। हालांकि, किसी दूसरे को कोई हानि न पहुंचे इसलिए बाहर एक नोट भी लगा दिया गया था।
क्या लिखा था अलर्ट नोट में?
सुसाइड नोट में से एक में, फ्लैट में प्रवेश करने वाले किसी भी व्यक्ति को स्पष्ट निर्देश थे कि वे माचिस नहीं जलाएं क्योंकि इससे आग लग सकती है। आगे लिखा था..."बहुत अधिक घातक गैस... अंदर कार्बन मोनोऑक्साइड। यह ज्वलनशील है। कृपया खिड़की खोलकर और पंखा खोलकर कमरे को हवादार करें। माचिस, मोमबत्ती या कुछ भी न जलाएं! पर्दा हटाते समय सावधान रहें क्योंकि कमरा खतरनाक गैस से भरा है। सांस न लें।"
पति की कोविड से हुई थी मौत
घरेलू सहायिका और पड़ोसियों ने पुलिस को बताया है कि महिला के पति उमेश चंद्र श्रीवास्तव की पिछले साल कोविड से मौत हो गई थी और तभी से परिवार परेशान था। पुलिस को पता चला है कि महिला भी अस्वस्थ थी। पति उमेश चंद्र श्रीवास्तव पेशे से अकाउंटेंट थे। परिवार वसंत कुंज विहार में फ्लैट नंबर 207 में रहता था।
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