सार

भारत की डिजिटल क्रांति से पूरी दुनिया सीखना चाहती है। डिजिटल इंडिया मिशन एक ऐसी व्यवस्था है जिसके माध्यम से भारत ने विकास के मामले में एक ऊंची छलांग लगाई है। इसने आर्थिक व्यवस्था में मजबूती दी है।

प्रत्यूष कंठ, राष्ट्रीय प्रवक्ता भाजपा। भारत की डिजिटल क्रांति एक ऐसी कहानी है, जिससे आज पूरी दुनिया सीखना चाहती है और अपने देश में इस सफल व्यवस्था को लागू करना चाहती हैं।

भारत में डिजिटल क्रांति की नीव सही मायने में वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रखी गई। इस योजना नाम रखा गया डिजिटल इंडिया मिशन और इसका उद्देश्य था डिजिटल सेवाओं, डिजिटल पहुंच, डिजिटल समावेशन और डिजिटल सशक्तिकरण को सुनिश्चित करके भारत को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था और डिजिटल रूप से सशक्त समाज में परिवर्तित करना और डिजिटल विभाजन को पाटना था। जब प्रधानमंत्री ने अपनी दूरगामी सोच के साथ डिजिटल इंडिया मिशन की शुरुआत की तब निराशा से भरे विपक्षी दल के कुछ नेताओं ने मिशन की सफलता को लेकर संशय जताया और जनता को गुमराह करने की कोशिश की। खैर विपक्ष के नेताओं की तो आदत ही है कि जब भी देश में कुछ सकारात्मक या देशहित में होता है तो विरोध करते हैं।

अगर मैं राजनीति से दूर हटकर बात करूं तो डिजिटल इंडिया मिशन एक ऐसी व्यवस्था है जिसके माध्यम से भारत ने विकास के मामले में एक ऊंची छलांग लगाई है। डिजिटल इंडिया मिशन की मदद से आर्थिक व्यवस्था में मजबूती आने के साथ-साथ गवर्नेंस और सिटीजन सर्विसेज सिस्टम में भी एक अभूतपूर्व परिवर्तन आया है।

आज चाहे बड़े उद्योग जगत हो या छोटे मोटे दुकानदार हों या फिर रेडी पटरी वालों की बात हो, सब डिजिटल मिशन के माध्यम से अपने व्यवसाय को सुगम और सुचारू रूप से चला रहे हैं। डिजिटल इंडिया मिशन का सकारात्मक प्रभाव समाज और मानव जीवन में भी देखने को मिल रहा है। आज एक व्यक्ति घर बैठे सारे वे काम कर सकता है जिसके लिए उसे ऑफिस की छुट्टी लेकर लंबी कतार में खड़ा होना पड़ता था। आज दुनिया उसकी उंगली में है और कोई भी काम चुटकी भर समय में कर सकता है।

किसी भी व्यवस्था की सफलता की कहानी सिर्फ बयानों से बयान नहीं की जा सकती है। अगर आप किसी व्यवस्था को क्रांतिकारी बता रहे हैं तो उसके के लिए प्रमाण भी देना होता है और मैं भी किसी कहानी को बिना प्रमाण के सही नहीं मानता हूं। डिजिटल इंडिया एक क्रांतिकारी अभियान है और इस बात की सबूत इसके अब तक के प्रदर्शन से मिलता है। आइए आंकड़ों की मदद से इस मिशन की सफलता की कहानी को समझते हैं:

  • एक समय था जब कुछ मुट्ठी भर अधिकारी ही सरकार चलाते थे, लेकिन अब समय बदल गया है। अब सरकार चलाने में आम नागरिक भी अपनी भागीदारी दे रहे हैं। मईगव पोर्टल से 9 अक्टूबर 2023 तक लगभग 3.38 करोड़ लोग जुड़ चुके हैं और किसी ने किसी रूप में राष्ट्र निर्माण में अपना अहम योगदान दे रहे हैं।
  • कोई भी विकास का कार्य या क्रांति जब तक पूर्ण नहीं होता जब तक उसका फायदा समाज के हर तबके तक नहीं पहुंच जाता। डिजिटल मिशन को साकार करने के लिए इसे गांव-गांव तक ले जाना भी जरूरी था। इस मिशन को सफल बनाने हेतु भारत सरकार ने 'प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षारता अभियान' की शुरुआत की और इस अभियान के माध्यम से 30 सितंबर 2023 तक ग्रामीण क्षेत्र में लगभग 7.17 करोड़ लोगों को डिजिटल साक्षारता प्रधान की गई है जो उल्लेखनीय है।
  • सरकारी खरीद फरोख्त में डिजिटल माध्यम को बढ़ावा देने के लिए 'गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस' स्कीम लाया गया। इस प्लैटफॉर्म के माध्यम से 30 सितंबर 2023 तक लगभग 5.23 लाख करोड़ रुपए की लेन-देन की गई है।
  • एक दौर वो भी था जब सरकार गरीबों को एक रुपए भेजती थी तो उन तक सिर्फ 25 पैसे ही पहुंचते थे और बाकी 75 पैसे बिचौलियों और भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ जाते थे। आज 'डाइरैक्ट बेनिफिट ट्रान्सफर' (DBT) के माध्यम से देश को बिचौलियों को काफी हद तक खत्म करने में सफलता हासिल हुई। 'डाइरैक्ट बेनिफिट ट्रान्सफर' यानि DBT की माध्यम से 30 सितंबर 2023 तक 32 लाख करोड़ से ज्यादा राशि लाभार्थियों के खातों में सीधा डाला जा चुका है।
  • 9 साल पहले अगर आपको अपनी माता, भाई –बहन या बच्चों को 200 रुपए भी भेजना होता था तो बैंक जाना पड़ता था या फिर मनी ऑर्डर करने के लिए पोस्ट ऑफिस, लेकिन अब आप घर बैठे, UPI का इस्तेमाल कर आपके फोन के माध्यम से लाखों रुपए क्षण भर में किसी को भी कहीं भी भेज सकते हैं। हमारे देश में UPI पेमेंट करने का चलन बहुत तेजी से बढ़ा है। 30 सितंबर 2023 तक UPI से 38.62 लाख करोड़ रुपए की लेन देन किया गया।
  • किसानों की परेशानियों को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने कृषि क्षेत्र में भी डिजिटल मिशन को बढ़ावा दिया। किसानों को आसानी से मार्केट और खरीददार प्रदान करने के मकसद से ई-नाम पोर्टल लॉन्च किया गाय। 31 जुलाई 2023 तक ई-नाम पर 1.76 लाख करोड़ किसानों ने अपने आपको जोड़ा है।
  • अब आपको आपकी ड्राइविंग लाइसेंस, आरसी, वोटर पहचान पत्र जैसे जरूरी कागजात साथ में लेकर घूमने की जरूरत नहीं है। अब आप डीजी लॉकर के माध्यम से सभी जरूरी कागजात अपने फोन में रख सकते हैं। 9 अक्टूबर 2023 तक डीजी लॉकर के माध्यम से 627 लाख करोड़ डॉक्यूमेंट्स जनता को इश्यू किया जा चुका है और लगभग 18.38 करोड़ उपयोगकर्ता ऐप का उपयोग कर रहे हैं।
  • जन मनास को हर छोटे मोटे कार्य के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने से निजात दिलाने के मकसद से देश में कॉमन सर्विस सेंटर स्कीम लाया गया। मोदी सरकार में इस कार्यक्रम को गति मिली। इस परियोजना को वर्ष 2006 में लाया गया था और देशभर में 2.5 लाख केंद्र खोलने का टार्गेट रखा गया था, लेकिन UPA सरकार इस काम को भी सही रूप में नहीं कर पाई। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद इस योजना की बेहतर कार्यान्वयन के लिए इसका दायरा बढ़ाया गया और योजना 2.0 लाया गया। इस योजना के माध्यम से देश में 31 मई 2023 तक 5.2 लाख से ज्यादा कॉमन सर्विस केंद्र खोले गए।
  • डिजिटल प्लेटफॉर्म और भुगतान को अपनाने में एमएसएमई क्षेत्र में वास्तव में तेजी देखी गई है। आईबीईएफ की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, एमएसएमई भुगतान का 72% ऑनलाइन के माध्यम से हो रहा है। एमएसएमई व्यवसाय देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 33% योगदान करते हैं।

इंटरनेट इस्तेमाल पर भाषाई अड़चन को किया जा रहा है दूर

मोदी सरकार का प्रयास है कि बहुभाषी इंटरनेट द्वारा आर्थिक और सामाजिक विकास को समर्थन मिले। सरकार अब स्थानीय भाषाओं में भी इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध करा रही है। विश्व स्तर पर भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसे सभी 22 आधिकारिक भाषाओं में (.) भारत डोमेन प्राप्त है।

भाषा की बाधा को और कम करने के लिए, अंग्रेजी नहीं जानने वाले नागरिकों के लिए इंटरनेट तक पहुंच सुनिश्चित करके एक एआई सक्षम राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मंच, भाषिनी लॉन्च किया गया है। आज तक, 10 भारतीय भाषाओं में भाषा अनुवाद के लिए 1000 से अधिक पूर्व-प्रशिक्षित एआई मॉडल भाषिनी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराए गए हैं।

आधार, यूपीआई, डिजिलॉकर, उमंग, जीवन प्रमाण आदि जैसे सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफार्मों की सफलता अभूतपूर्व रही है। इन प्लेटफार्मों ने न केवल “जीवन को आसान बनाने” की सुविधा प्रदान की, बल्कि आम नागरिक के जीवन को भी सशक्त बनाया। भारत अब डिजिटल दुनिया में भारत के सबसे महत्वपूर्ण योगदान का अंतरराष्ट्रीयकरण करने के लिए तैयार है।

भारत के UPI की दुनिया ने की तारीफ, 50 से अधिक देश इस सिस्टम को अपना चुके हैं

विश्व बैंक के रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में भारत की नॉमिनल जीडीपी का लगभग 50% के बराबर मूल्य का यूपीआई ट्रांजेक्शन हुआ है। डिजिटल पेमेंट इन्फ्रास्ट्राक्चर ने नए ग्राहक पर बैंकों का खर्च लगभग खत्म कर दिया है। इसमें कहा गया है कि डीपीआई के उपयोग से भारत में बैंक ग्राहकों को शामिल करने की लागत 23 डॉलर (करीब 1,900 रुपए) से घटकर 0.1 डॉलर (करीब 8 रुपए) हो गई है। रिपोर्ट में कहा गया, ‘यूपीआई को बड़े पैमाने पर अपनाया गया है, जिसे यूजर अनुकूल इंटरफेस, ओपन बैंकिंग सुविधाओं और निजी क्षेत्र की भागीदारी का फायदा मिला है। यूपीआई प्लेटफॉर्म ने भारत में जबर्दस्त लोकप्रियता हासिल की है। मई 2023 में ही 9.41 अरब लेनदेन हुए, जिनकी कीमत लगभग 14.89 लाख करोड़ रुपए थी। वित्त वर्ष 2022-23 में यूपीआई ट्रांजेक्शन का कुल मूल्य भारत की नॉमिनल जीडीपी का लगभग 50% था।

यूपीआई क्रांति और उसकी सफलता का कमाल है कि आज दुनिया के 50 से अधिक देशों में भारत की UPI सेवाएं पहुंच चुकी हैं। तेज गति भुगतान और आसान उपयोग की वजह से भारत का यूपीआई दुनियाभर में लोकप्रिय हो रहा है। अब सिंगापुर के पे-नाऊ और भारत के यूनीफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के बीच सीमा पार कनेक्टिविटी लॉन्च हो गई है। सिंगापुर के अलावा यह पेमेंट सिस्टम कई देशों में पहुंच चुका है। रुपे के माध्यम से पहले से कई देशों में भारत की डिजिटल भुगतान सेवा काम कर रही है। इनमें भूटान, नेपाल, मलेशिया, ओमान, यूएई, ब्रिटेन जैसे देश शामिल हैं। इसके साथ ही यूरोप के देशों, फ्रांस एवं अन्य देशों के साथ ही 30 अन्य देशों में इसकी सेवाओं के लिए बातचीत चल रही है।

यूपीआई सेवाओं के लिए मुख्य रूप से इन देशों के साथ समझौता हो चुका है या आगे होने वाला है। इनमें यूरोप के स्विट्जरलैंड, नीदरलैंड, बेल्जियम, लक्जमबर्ग के अलावा सिंगापुर, बहरीन, भूटान, नेपाल, संयुक्त अरब अमीरात, मलेशिया, ओमान, फ्रांस और ब्रिटेन हैं।