सार
चुनाव आयोग ने अजीत पवार गुट को ही नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी माना है। एनसीपी पर शरद पवार और अजीत पवार दोनों ने दावा किया था।
Ajeet Pawar faction as real NCP: महाराष्ट्र में चुनाव आयोग ने एक बार फिर राजनैतिक गर्मी बढ़ा दी है। मराठा क्षत्रप शरद पवार की पार्टी एनसीपी से अलग हुए उनके भतीजा अजीत पवार के गुट को असली एनसीपी घोषित कर दिया गया है। चुनाव आयोग ने अजीत पवार गुट को ही नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी माना है। एनसीपी पर शरद पवार और अजीत पवार दोनों ने दावा किया था। चुनाव आयोग ने कहा है कि अजीत पवार गुट ही असली NCP है। आयोग ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि शरद पवार गुट को नया नाम और चुनाव चिह्न 7 फरवरी को अलॉट किया जाएगा।
दरअसल, शरद पवार की अध्यक्षता वाले राष्ट्रवादी कांग्रेस में 53 विधायक महाराष्ट्र विधानसभा में थे। लेकिन करीब एक साल पहले शरद पवार के भतीजा अजीत पवार 41 विधायकों के साथ पार्टी से बगावत कर दिए। बगावत करने के बाद अजीत पवार गुट ने महाराष्ट्र की शिंदे सरकार को समर्थन देने का फैसला किया। शिंदे सरकार को समर्थन देने के बाद उनको उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई और एनसीपी के कई बागी विधायकों को मंत्री पद से नवाजा गया।
अजीत पवार गुट ने पार्टी पर किया था दावा
एनसीपी के दोनों गुट, खुद को असली बताते हुए पार्टी की परिसंपत्तियों व नाम-सिंबल पर दावा करना शुरू कर दिया। मामला चुनाव आयोग तक पहुंचा। इस मामले में मंगलवार को चुनाव आयोग ने अपना फैसला सुनाते हुए अजीत पवार गुट को असली माना है। आयोग का निर्णय गुटों की संख्यात्मक ताकत पर आधारित था। अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट के पास महाराष्ट्र विधानसभा में राकांपा के 53 विधायकों में से 41 विधायकों का समर्थन है। जबकि शरद पवार गुट के पास करीब 12 विधायकों का समर्थन है।
आयोग ने शरद पवार गुट को नया नाम व सिंबल चुनने को कहा
चुनाव आयोग ने होने वाले राज्यसभा चुनाव के मद्देनजर शरद पवार गुट को एक नया नाम और सिंबल चुनने को कहा है। 7 फरवरी को चुनाव आयोग दोपहर तीन बजे शरद गुट को नई पार्टी का नाम और सिंबल अलॉट करेगा।
अनिल देशमुख ने कहा-लोकतंत्र की हत्या
चुनाव आयोग के ऐलान के बाद शरद पवार गुट के वरिष्ठ नेता अनिल देशमुख ने कहा कि पूरी दुनिया जानती है कि एनसीपी की स्थापना किसने की थी। इसके बावजूद चुनाव आयोग ने जो किया वह चुनाव आयोग द्वारा लोकतंत्र की हत्या है।
शिवसेना भी बागी गुट के हवाले
इसी तरह राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना से बगावत कर दी थी। पिछले साल फरवरी महीने में चुनाव आयोग ने बागी गुट एकनाथ शिंदे को ही शिवसेना का असली वारिस बताते हुए पार्टी का नाम और सिंबल अलॉट कर दिया था। जबकि शिवसेना संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे को नया नाम व सिंबल अलॉट किया गया था।
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