सार
26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च की तैयारी में महिलाएं भी शामिल हो गई हैं। हरियाणा में महिलाएं ट्रैक्टर चलाने की ट्रेनिंग ले रही हैं, जिससे कि वे मार्च में शामिल हो सकें। जींद-पटियाला नेशनल हाईवे पर खट्टर टोल प्लाजा में जींद जिले के लोगों के लिए आयोजित एक सत्र में प्रदेश में कई जगहों से आई महिलाएं ट्रैक्टर चलाने का प्रशिक्षण ले रही हैं।
नई दिल्ली. कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। किसान नेताओं ने कहा, इसके लिए वे हरियाणा के हर घर में जाएंगे और ट्रैक्टर मार्च में कम से कम परिवार के एक सदस्य को भेजने का आग्रह करेंगे। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वराज अभियान के प्रमुख योगेंद्र यादव ने कहा, 9 जनवरी से चौधरी छोटूराम की पुण्यतिथि पर हरियाणा में किसान यूनियनों के नेता और कार्यकर्ता राज्य के प्रत्येक गांव का दौरा करेंगे और उनसे एक सदस्य भेजने के लिए कहेंगे।
4 जनवरी की बातचीत में नहीं निकला था हल
4 जनवरी को सरकार के साथ अनिर्णायक वार्ता के बाद प्रदर्शनकारी किसानों ने अपना विरोध प्रदर्शन तेज करने की योजना बनाई है। पंजाब, हरियाणा, यूपी, राजस्थान और अन्य राज्यों के किसान हजारों ट्रैक्टरों के साथ बड़ी संख्या में मार्च में शामिल होंगे। हरियाणा के प्रत्येक गांव से कम से कम 10 ट्रैक्टर मार्च में शामिल होंगे।
महिलाएं ट्रैक्टर चलाने की ट्रेनिंग ले रही हैं
26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च की तैयारी में महिलाएं भी शामिल हो गई हैं। हरियाणा में महिलाएं ट्रैक्टर चलाने की ट्रेनिंग ले रही हैं, जिससे कि वे मार्च में शामिल हो सकें। जींद-पटियाला नेशनल हाईवे पर खट्टर टोल प्लाजा में जींद जिले के लोगों के लिए आयोजित एक सत्र में प्रदेश में कई जगहों से आई महिलाएं ट्रैक्टर चलाने का प्रशिक्षण ले रही हैं। किसानों ने कहा कि हम यह दिखाना चाहते हैं कि इस आंदोलन में हमारा परिवार हमारे साथ खड़ा है।
8वें दौर की बातचीत में किसने क्या कहा?
- कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, चर्चा का माहौल अच्छा था परन्तु किसान नेताओं के कृषि क़ानूनों की वापसी पर अड़े रहने के कारण कोई रास्ता नहीं बन पाया। 8 तारीख को अगली बैठक होगी। किसानों का भरोसा सरकार पर है इसलिए अगली बैठक तय हुई है।
- किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, हमने बताया कि पहले कृषि कानूनों को वापिस किया जाए। MSP पर बात बाद में करेंगे। 8 तारीख तक का समय सरकार ने मांगा है। उन्होंने कहा कि 8 तारीख को हम सोचकर आएंगे कि ये कानून वापिस हम कैसे कर सकते हैं, इसकी प्रक्रिया क्या हो। हमने बता दिया है कानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं होगी।
- एमएसपी पर कानून बनाने की मांग पर सरकार ने कहा कि एक संयुक्त कमेटी बना देते हैं वो तय करे कि इन तीनों कानूनों में क्या-क्या संशोधन किए जाने चाहिए। लेकिन किसान संगठनों ने इसे खारिज कर दिया।
30 दिसंबर की मीटिंग में 2 मुद्दों पर बनी थी सहमति
- पराली जलाने पर केस दर्ज नहीं होंगे। अभी 1 करोड़ रुपए जुर्माना और 5 साल की कैद का प्रावधान है। सरकार ने इसे हटाने पर हामी भर दी है।
- बिजली अधिनियम में बदलाव नहीं किया जाएगा। किसानों का आशंका है कि इस कानून से बिजली सब्सिडी बंद हो जाएगी। अब यह कानून नहीं बनेगा।
वो 2 मुद्दे, जिसपर बात बनना बाकी है
- किसान तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं
- किसानों की मांग है कि एमएसपी पर अलग से कानून बने। ताकि उन्हें सही दाम मिल सके।