सार
कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर किसान आंदोलन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद किसान एक बार फिर सरकार से चर्चा के लिए तैयार हैं। किसान नेताओं ने कहा कि वे अगले दौर की बातचीत के लिए तैयार हैं, सरकार उन्हें मीटिंग का दिन और समय बता दे।
नई दिल्ली. कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर किसान आंदोलन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद किसान एक बार फिर सरकार से चर्चा के लिए तैयार हैं। किसान नेताओं ने कहा कि वे अगले दौर की बातचीत के लिए तैयार हैं, सरकार उन्हें मीटिंग का दिन और समय बता दे।
इससे पहले पीएम मोदी ने राज्यसभा में किसान नेताओं से अपील की कि विरोध खत्म कर बातचीत के लिए आगे आएं। मोदी की इस अपील के बाद किसान नेताओं ने बैठक के बाद वार्ता की बात कही। हालांकि, किसान नेताओं ने पीएम मोदी के आंदोलनजीवी शब्द पर आपत्ति जताई।
सरकार ने अपनाई सख्ती
उधर, सरकार भी इन इस आंदोलन के जरिए चलाए जा रहे एजेंडों पर सख्त नजर आ रही है। सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर से 1178 पाकिस्तानी खालिस्तानियों के अकाउंट्स हटाने को कहा है। सरकार का कहना है कि इसका मकसद किसान आंदोलन को लेकर गलत सूचनाओं को फैलने से रोकना है।
उधर, किसान नेता दर्शनपाल ने कहा, सरकार को झुकाने के लिए असहयोग आंदोलन छेड़ना होगा। ऐसे में किसान संगठनों ने फैसला किया है कि हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश से दिल्ली जाने वाली फल-सब्जी, दूध समेत जरूरत के हर सामान पर रोक लगानी होगी। साथ ही हरियाणा में अडानी और अंबानी के कारोबार को प्रभावित करने के लिए इनके सामान का बहिष्कार करने का फैसला किया गया है।
किसानों की जीत पक्की- टिकैत
उधर, भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने हरियाणा की खाप पंचायत को संबोधित करते हुए कहा, यह भूमि क्रांतिकारियों की रही है। उन्होंने कहा, कभी भी खापों की बैठकें सरकार को हिला सकती हैं। जैसा पहले होता था। ये पंचायतें राजा हर्षवर्धन के समय से सक्रिय हैं। टिकैत ने कहा, इन तीन काले कानूनों के खिलाफ फिर से इसी धरती पर खापें एकजुट हुई हैं। किसानों की इस जीत को अब कोई नहीं रोक सकता।
टिकरी बॉर्डर पर किसान की मौत
आंदोलन के बीच टिकरी बॉर्डर पर रविवार को एक और किसान की सुसाइड का मामला सामने आया है। जींद के रहने वाले कर्मबीर नामक इस किसान ने फांसी लगा ली। पुलिस को एक सुसाइड नोट भी मिला है। इसमें किसान ने लिखा कि भारतीय किसान यूनियन जिंदाबाद। मोदी सरकार बस तारीख पर तारीख दे रही है। कोई नहीं जानता कि काले कानून कब वापस होंगे।