सार
आमतौर पर देशभर में आवारा कुत्तों काटने की घटनाएं अधिक आती हैं। इसे लेकर नगर निगम और प्रशासन को लोगों की खरी-खरी भी सुननी पड़ती है। प्रशासन आवारा कुत्तों का रेस्क्यू करने में भी लगा रहता है, लेकिन केरल के लोग कुत्तों से नहीं, बिल्लियों से डरे हुए हैं। इस संबंध में RTI से जानकारी मांगी गई थी। मालूम चला कि अकेले जनवरी में बिल्लियों ने 28000 से अधिक लोगों को काट खाया।
तिरुवनन्तपुरम, केरल. देशभर में आवारा कुत्ते लोगों के लिए खतरा बने रहते हैं। देश के हर राज्य, शहर और कस्बों में कुत्तों के काटने के मामले सामने आते रहते हैं, लेकिन केरल के लोग कुत्तों के बजाय बिल्लियों के हमले से डरे हुए हैं। बिल्लियों ने यहां के लोगों में अपनी दहशत फैला रखी है। इस संबंध में RTI से जानकारी मांगी गई थी। मालूम चला कि अकेले जनवरी में बिल्लियों ने 28000 से अधिक लोगों को काट खाया।
कुत्तों के मुकाबले बिल्लियां अधिक खतरनाक हुईं
न्यूज एजेंसी भाषा की खबर के अनुसार, केरल में लोगों को कुत्तों से अधिक डर बिल्लियों का है और राज्य में पिछले कुछ वर्षों में बिल्लियों के काटने के मामले कुत्तों के काटने की तुलना में कहीं अधिक सामने आए हैं। इस साल सिर्फ जनवरी माह में ही बिल्लियों के काटने के 28,186 मामले सामने आए जबकि कुत्तों के काटने के 20,875 मामले थे। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने हाल ही में एक आरटीआई (सूचना का अधिकार) के जवाब में यह जानकारी दी। राज्य स्वास्थ्य निदेशालय के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों से बिल्लियों के काटने का इलाज कराने वालों की संख्या कुत्तों के काटने का इलाज कराने वालों से अधिक है।
यह है बिल्लियों और कुत्तों के काटने का आंकड़ा
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, सिर्फ जनवरी में बिल्लियों के काटने के 28,186 मामले सामने आए हैं। इसी समयावधि में कुत्तों ने 20,875 लोगों को काटा। एक स्वयंसेवी संगठन ‘एनिमल लीगल फोर्स’ने इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग में आरटीआई लगाकर डेटा मांगा था। जवाब में 2013 और 2021 के बीच कुत्तों और बिल्लियों द्वारा काटने के आंकड़ों के साथ ‘एंटी-रेबीज’ टीके और सीरम पर खर्च की गई राशि की भी जानकारी दी गई है।
दक्षिण राज्यों में खूंखार हुईं बिल्लियां
आंकड़ों के अनुसार, 2016 से बिल्लियों के काटने के मामले में बढ़ोतरी हुई है। 2016 में बिल्लियों से काटने का 1,60,534 इतने लोगों ने इलाज कराया, जबकि कुत्तों के काटने के 1,35,217 मामले सामने आए। 2017 में बिल्लियों के काटने के 1,60,785 मामले, 2018 में 1,75,368 और 2019 तथा 2020 में यह बढ़कर क्रमश: 2,04,625 और 2,16,551 हो गए। दक्षिणी राज्य में 2014 से लेकर 2020 तक बिल्लियों के काटने के मामलों में 128 प्रतिशत वृद्धि हुई।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2017 में कुत्तों के काटने के 1,35,749, वर्ष 2018 में 1,48,365,वर्ष 2019 में 1,61,050 और वर्ष 2020 में 1,60,483 मामले सामने आए। रेबीज से पिछले साल पांच लोगों की मौत हुई थी।
(सोर्स-भाषा)
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