MalayalamNewsableKannadaKannadaPrabhaTeluguTamilBanglaHindiMarathiMyNation
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • ताज़ा खबर
  • राष्ट्रीय
  • वेब स्टोरी
  • राज्य
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • बिज़नेस
  • सरकारी योजनाएं
  • खेल
  • धर्म
  • ज्योतिष
  • फोटो
  • Home
  • National News
  • लंबे समय तक भारतीय वायु सेना का मुख्य हथियार रहा है MiG-21, जानें किस तरह हुआ इसका विकास

लंबे समय तक भारतीय वायु सेना का मुख्य हथियार रहा है MiG-21, जानें किस तरह हुआ इसका विकास

नई दिल्ली। रूसी लड़ाकू विमान मिग-21 लंबे समय तक भारतीय वायु सेना का मुख्य हथियार रहा है। वायुसेना ने इसके अनेक संस्करण का इस्तेमाल किया। IAF इतिहासकार अंचित गुप्ता ने IAF में शामिल मिग -21 के विभिन्न प्रकारों के बारे में जानकारी दी है। 

4 Min read
Contributor Asianet
Published : Mar 04 2023, 08:18 AM IST
Share this Photo Gallery
  • FB
  • TW
  • Linkdin
  • Whatsapp
  • GNFollow Us
111
Image Credit : Asianet News

भारतीय वायु सेना में शामिल होने वाला मिग- 21 का पहला वैरिएंट MiG-21F-13 टाइप-74 फिशबेड-सी था। मार्च 1963 में भारत को रूस से ऐसे छह विमान मिले थे। इन्होंने 1968 तक सेवा दी। विमान के नाम में लगे F का मतलब Forsirovannyy (अपग्रेड किया हुआ) था। वहीं, 13 विमान द्वारा दागे जाने वाले हवा से हवा में मार करने वाले मिसाइल K-13 से लिया गया था। इन विमानों का सीरियल नंबर BC-816 से BC-821 था।

211
Image Credit : Asianet News

MiG-21F-13  में R-11 इंजन लगा था। इसमें पिटोट ट्यूब इंजन इनटेक के नीचे थी। बाद के वैरिएंट में इसे ऊपर कर दिया गया था। यह विमान हवा से हवा में मार करने वाले K-13 मिसाइल और 30 एमएम के तोप से लैस था। इस विमान को हमला करने आ रहे दूसरे विमान से लड़ने के लिए तैयार किया गया था। 
 

311
Image Credit : Asianet News

मार्च 1965 में इंडियन एयरफोर्स को रूस से मिग-21 विमान का PF टाइप 76 फिशबेड डी वैरिएंट मिला था। इसमें P का मतलब Perekhvatchik (इंटरसेप्टर) और F का मतलब Forsirovannyy (अपग्रेड किया हुआ) था। ऐस छह विमान खरीदे गए थे। इनका सीरियल नंबर BC-822 से BC-827 था। इन विमानों को R-11F2-300 इंजन से ताकत मिलती थी। इसके चलते विमान अधिक देर तक उड़ान भर पाते थे। इसके साथ ही पहली बार मिग 21 में R1L रडार लगाया गया था। 
 

411
Image Credit : Asianet News

मिग-21 में हुआ यह अपग्रेड खामियों से भरा था। विमान से कैनन हटा दिया गया था। विमान सिर्फ मिसाइलों पर निर्भर था। मिसाइल खत्म हो जाने पर विमान अपना बचाव तक नहीं कर पाता था। 1965 की लड़ाई में इस कमी का असर दिखा था। 
 

511
Image Credit : Asianet News

मिग 21 के नए वैरिएंट T-76 में अपग्रेड रडार R2L लगाया गया था। इसके साथ ही इसमें अपग्रेड इंजन R-11F2S-300 लगाया गया था। यह इंजन मिग में T-77 वैरिएंट तक लगा। वायु सेना में T-77 मिग-21 का मुख्य वैरिएंट था। 28 और 29 स्क्वाड्रन द्वारा मिग- 21 के T-74 और T-76 को संचालित किया गया। 
 

611
Image Credit : Asianet News

उस वक्त यह बहस चल रही थी कि जब लड़ाकू विमान मिसाइल से लैस हो गए हैं तो उनमें तोप लगाने की जरूरत नहीं है। मिग-21 के तब के वैरिएंट से भी तोप को हटा दिया गया था। F-4 वैरिएंड में इस मामले में प्रगति हुई और विमान में तोप लगाया गया। 
 

711
Image Credit : Asianet News

1966 में इंडियन एयरफोर्स ने बड़ा फैसला लेते हुए MiG-21 FL, Type -77 वैरिएंट खरीदने का फैसला किया। इसमें FL का मतलब forsazh-lokator (आफटरबर्नर और रडार) था। वायु सेना में रूस में बने 38 विमान शामिल किए गए थे। इसके साथ ही 197 विमानों को 1966-73 के बीच लाइसेंस लेकर HAL (Hindustan Aeronautics Limited) द्वारा बनाया गया था। 
 

811
Image Credit : Asianet News

टाइप 77 विमान टाइप 76 विमान में सुधार कर बनाया गया था। इसमें एक नया रडार-टू-लिडार, दुश्मन और दोस्त की पहचान करने वाला एंटीना, रडार चेतावनी और बड़े ईंधन टैंक थे। टाइप-77 विमान ने हवा से जमीन पर मार करने में सझम था। यह अपने साथ 500 किलो के बम ले जाता था। 1971 की जंग में बमबारी के लिए इस विमान का इस्तेमाल हुआ था। इसे रनवे बस्टर्स भी कहा जाने लगा था। 
 

911
Image Credit : Asianet News

टाइप -77 विमान में शुरू में हवा से हवा में मार करने वाले मिसाइल के लिए विंग के नीचे दो दो हार्डपॉइंट थे। ड्रॉप टैंक/GP-9 गन पॉड के लिए एक सेंटरलाइन थी। 1980 के दशक में कुछ समय के लिए इसे एएएम/बम के लिए चार विंग हार्डपॉइंट के रूप में अपग्रेड किया गया था। 
 

1011
Image Credit : Asianet News

MiG-21M/MF टाइप-96 फिशबेड-जे 1973 में भारतीय वायु सेना में शामिल होने वाला नया वैरिएंट था। कुछ लड़ाकू विमान सीधे खरीदे गए थे और बाकी एचएएल द्वारा बनाए गए थे। कुल मिलाकर 198 मिग-21एम/एमएफ लड़ाकू विमानों का निर्माण किया गया था।
 

1111
Image Credit : Asianet News

1975 में IAF ने MiG-21BIS, टाइप -75 और फिशबेड-एन वेरिएंट खरीदा था। 70 विमान फ्लाईअवे स्थिति में प्राप्त किए गए थे और 220 एचएएल द्वारा 1978-1985 के बीच बनाए गए थे। अंत में 2001 में IAF ने बियॉन्ड विज़ुअल रेंज मिसाइलों KAB-500 टीवी गाइडेड बमों, इलेक्ट्रॉनिक काउंटर उपायों, रडार चेतावनी रिसीवर, क्लीनर और बड़े दृश्य कॉकपिट और हेलमेट माउंटेड साइटिंग सिस्टम के लिए BIS को बाइसन (नया विमान खरीद नहीं) में अपग्रेड किया था।
 

About the Author

CA
Contributor Asianet
Latest Videos
Recommended Stories
Related Stories
Asianet
Follow us on
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • Download on Android
  • Download on IOS
  • About Website
  • Terms of Use
  • Privacy Policy
  • CSAM Policy
  • Complaint Redressal - Website
  • Compliance Report Digital
  • Investors
© Copyright 2025 Asianxt Digital Technologies Private Limited (Formerly known as Asianet News Media & Entertainment Private Limited) | All Rights Reserved