सार
केंद्र सरकार ने दिवाली से ठीक पहले किसानों को एक बड़ा तोहफा दिया है। सरकार ने रबी की फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढोतरी की है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि कैबिनेट ने गेहूं, मसूर, जौ और चना समेत रबी की कई फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ा दिया है।
MSP Hike: केंद्र सरकार ने दिवाली से ठीक पहले किसानों को एक बड़ा तोहफा दिया है। सरकार ने रबी की फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढोतरी की है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि कैबिनेट ने गेहूं, मसूर, जौ और चना समेत रबी की कई फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ा दिया है। गेहूं पर 110 रुपए, जौ पर 100 रुपए, चना पर 105 रुपए, मसूर पर 500 रुपए और सरसों पर 400 रुपए प्रति क्विंटल की बढोतरी की गई है।
केंद्र सरकार ने मंगलवार को चालू फसल वर्ष के लिए गेहूं के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 110 रुपए बढ़ाकर 2,125 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया। बता दें कि 2021-22 के फसल वर्ष में गेहूं का एमएसपी 2,015 रुपए प्रति क्विंटल था। वहीं सरसों का एमएसपी 400 रुपए बढ़ाकर 5,450 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया है। सरकार द्वारा एमएसपी बढ़ाने का उद्देश्य किसानों के उत्पादन और आय को बढ़ावा देना है। बता दें कि एमएसपी कमेटी ने रबी की 6 फसलों के लिए 9% तक की MSP बढ़ाने की सिफारिश की थी। इसके बाद कृषि मंत्रालय ने भी इन फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की सिफारिश की और केंद्रीय कैबिनेट ने इस पर मुहर लगा दी।
क्या है न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)
न्यूनतम सर्मथन मूल्य फसल की वो कीमत होती है, जिस पर सरकार किसानों से उनकी फसल खरीदती है। बाजार में उस फसल की कीमत भले ही कितने ही कम क्यों न हो, सरकार उसे तय एमएसपी पर ही खरीदती है। इससे किसानों को अपनी फसल की एक तय कीमत के बारे में भी पता चल जाता है।
क्यों तय होता है MSP?
साधारण भाषा में कहें तो किसानों को अपनी फसल कम दाम पर आढ़तियों को न बेचनी पड़े, इसके लिए सरकार MSP तय करती है। MSP सरकार की ओर से किसानों की फसलों के दाम की गारंटी होती है। एमएसपी तय होने के बाद किसान को उसकी फसल का उचित मूल्य मिलता है।
क्या है MSP तय करने का फॉर्मूला?
2004 में कृषि सुधारों के लिए स्वामीनाथन आयोग बना था। इस आयोग को कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) कहते हैं। आयोग ने MSP तय करने के कुछ फार्मूले सुझाए थे, जिसके मुताबिक एमएसपी औसत उत्पादन लागत से कम से कम 50 प्रतिशत ज्यादा होना चाहिए। मान लीजिए किसी फसल की औसत लागत 500 रुपए प्रति क्विंटल है, तो उसकी एमएसपी 750 रुपए होनी चाहिए। बता दें कि लागत में मानव श्रम, बैल श्रम, मशीन श्रम, पट्टे पर ली गई जमीन का किराया, बीज और उर्वरक पर खर्च, सिंचाई खर्च, पूंजी पर ब्याज, डीजल, बिजली पर खर्च और पारिवारिक श्रम के मूल्य को शामिल किया जाता है।
23 फसलों का MSP तय करती है सरकार :
कृषि लागत एवं मूल्य आयोग हर साल खरीफ और रबी सीजन की फसल आने से पहले एमएसपी तय करता है। इस समय 23 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार तय करती है। इनमें धान, गेहूं, चना, तुअर, मूंग, उड़द, मसूर, मक्का, जौ, बाजरा, सरसों, सोयाबीन, सूरजमूखी, कपास, जूट जैसी फसलों के दाम सरकार तय करती है। MSP के लिए अनाज की 7, दलहन की 5, तिलहन की 7 और 4 कमर्शियल फसलों को शामिल किया गया है।
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