सार

मोदी सरकार ने धान की एमएसपी को 100 रुपये बढ़ाकर 2,040 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। पहले धान का रेट 1940 रुपए था। सरकार ने 14 फसलों में एक साथ एमएसपी की बढ़ोतरी की है। 

नई दिल्लीः केंद्र सरकार बुधवार को साल 2022-23 के लिए खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP-Minimum Support Price) बढ़ाने का एलान कर दिया है। कैबिनेट ने 2022-23 के लिए धान के एमएसपी को 100 रुपये बढ़ाकर 2,040 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। पहले धान का रेट 1940 रुपए था। धान के साथ ही मक्का, ज्वार, बाजरा, अरहर, मूंगफली और कपास सहित 14 फसलों के एमएसपी में एक साथ वृद्धि की जाएगी। इस मामले को लेकर कैबिनेट की प्रेस कांफ्रेंस में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) ने सारी जानकारी दी।

केबिनेट की प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी जानकारी
उन्होंने कहा कि 2014 से पहले 1-2 फसलों पर खरीद होती थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद बाकी फसलों को भी इसमें जोड़ा गया है। अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) ने कहा कि 2022-23 के खरीफ बिक्री सीजन के लिए 14 फसलों की MSP तय की गई है। धान की एमएसपी 2040 रुपए प्रति क्विंटल तय की गई है। धान की एमएसपी में 100 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। इसके साथ ही केंद्रीय कैबिनेट ने अरहर की दाल की एमएसपी में भी बढ़ोतरी की है। अरहर दाल की एमएसपी 6600 रुपए प्रति क्विंटल इस बार तय की गई है। तिल के दाम में 523 रुपए, मूंग पर प्रति क्विंटल 480 रुपए, सूरजमुखी पर 358 रुपए, मूंगफली पर 300 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी होगी। 

फसलों की एमएसपी (कीमत प्रति क्विंटल रुपए में)
फसलसाल 2021-22 का रेटइतनी बढ़ी एमएसपीसाल 2022-23 का रेट
धान (सामान्य)19401002040
धान (ग्रेड ए)19601002060
ज्वार (हाइब्रिड)27382322970
ज्वार (मालडंडी)27582322990
बाजरा22501002350
रागी33772013578
मक्का1870921962
तुअर (अरहर)63003006600
मूंग72754807755
उड़द63003006600
मूंगफली55503005850
सूरजमुखी के बीज60153856400
सोयाबीन (पीली)39503504300
तिल73075237830
नाइजरसीड (रामतिल)69303577287
कपास (मध्यम रेशा)57263546080
कपास (लंबा रेशा)60253556380

 

लागत में 85 फीसदी तक होगा मुनाफा
एमएसपी में प्रति क्विंटल 92 रुपये से लेकर 523 रुपये तक की बढ़ोतरी की गई है। सरकार के दावे के मुताबिक जो एमएसपी तय की गई है, उससे किसानों को लागत पर लागत पर 50 से 85 फीसदी तक मुनाफा हासिल होगा। सरकार ने लागत के आकलन में लेबर चार्ज, बैल या मशीन चार्ज, पट्टे के किराए, बीज, उर्वरक, खाद, सिंचाई चार्ज, मशीनरी व फार्म बिल्डिंग के डेप्रिशिएशन, वर्किंग कैपिटल पर ब्याज, तेल या बिजली पर खर्च, अन्य खर्च और फैमिली लेबर को शामिल किया है।2021-22 के तीसरे एडवांस एस्टीमेट के अनुसार देश में खाद्यान्न का उत्पादन रिकॉर्ड 31.45 करोड़ टन होने का अनुमान है जो कि 2020-21 के खाद्यान्न उत्पादन की तुलना में 37.7 लाख टन अधिक है। 2021-22 के दौरान उत्पादन पिछले पांच वर्षों (2016-17 से 2020-21) के औसत खाद्यान्न उत्पादन की तुलना में 2.38 करोड़ टन अधिक है।

 

हर साल बढ़ायी जाती है MSP
सरकार हर साल किसानों को सौगात देती है। या यूं कहें सरकार को ऐसा करना लाजिमी भी है। क्योंकि खेती में लगनेवाले कॉस्ट में हर साल वृद्धि भी होती है। इन खर्चों में डीजल, सिंचाई, मजदूरी, बीज और खाद पर खर्च अहम रहता है। इसलिए सरकार कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिश के आधार पर फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करती है। लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़कर एमएसपी तय किया जाता है। लागत तय करने में मानव श्रम, बैल श्रम, मशीन श्रम, पट्टे पर ली गई जमीन का किराया, बीज और उर्वरक पर खर्च, सिंचाई खर्च, पूंजी पर ब्याज, डीजल, बिजली पर खर्च और पारिवारिक श्रम के मूल्य को शामिल किया जाता है।

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