सार

लगातार पिछले 4 महीनों से खुदरा महंगाई 6 फीसदी के टारगेट से ऊपर है। आरबीआई ने 2022-23 के लिए भी महंगाई का अनुमान लगाया है। FY23 में 6.7% महंगाई रहने का अनुमान लगाया गया है। 

नई दिल्लीः आरबीआई (RBI) ने बुधवार सुबह अपनी Monetary Policy (मौद्रिक नीति) पेश कर दी। आरबीआई ने रेपो रेट में 0.50 फीसदी बढ़ोतरी की है। यह 4.40 फीसदी से बढ़कर 4.90 फीसदी हो गया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने सुबह 10 बजे Monetary Policy Committee के फैसलों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने फाइनेंशियल ईयर 2022-23 के लिए इनफ्लेशन के अनुमान के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि करेंट फाइनेंशियल ईयर में रिटेल इनफ्लेशन 6.7 फीसदी रहने का अनुमान है।

दुनिया में बढ़ रही है महंगाई
उन्होंने कहा कि कमोडिटी के भाव बढ़ने से पूरी दुनिया में महंगाई बढ़ रही है। भारत भी इसका अपवाद नहीं है। उन्होंने कहा कि पिछले लगातार 4 महीनों से रिटेल इनफ्लेशन RBI के तय 6 फीसदी के टारगेट से ऊपर बना हुआ है। कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि इसकी सबसे बड़ी वजह है। उन्होंने कहा कि महंगाई का जोखिम अब भी बना हुआ है। करेंट फाइनेंशिल ईयर यानी FY 2022-23 में रिटेल इनफ्लेशन 6.7 फीसदी रहने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में रिटेल महंगाई 7.5 फीसदी रह सकती है। दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में रिटेल महंगाई 7.4 फीसदी रह सकती है।  Q3 में रिटेल महंगाई का अनुमान 6.2 फीसदी है, जबकि Q4 में रिटेल महंगाई का अनुमान 5.8 फीसदी है।

महंगाई का लगाया गया अनुमान
दास ने कहा कि RBI के अनुमान इस बात पर आधारित हैं कि इस बार मानसून सामान्य रहेगा। यह भी माना गया है कि इस फाइनेंशियल ईयर में क्रूड ऑयल का औसत भाव 105 डॉलर प्रति बैरल रहेगा। RBI गवर्नर ने यह साफ कर दिया कि फिलहाल केंद्रीय बैंक का फोकस तेजी से बढ़ती महंगाई को काबू में करना है। उन्होंने कहा कि रिटेल इनफ्लेशन बढ़ने की सबसे बड़ी वजह खानेपीने की चीजों की कीमतों में आया उछाल है। उन्होंने कहा कि महंगाई को काबू में करने के उपायों को लागू करने के साथ ही इकोनॉमिक ग्रोथ पर उसकी नजर बनी रहेगी।

शक्तिकांत दास ने 4 मई को अचानक रेपो रेट में 0.40 फीसदी वृद्धि कर दी थी। तेजी से बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाने के लिए ऐसा किया गया था। मार्च में रिटेल इनफ्लेशन 6.95 फीसदी था। मई में यह बढ़कर 7.79 फीसदी पर पहुंच गया। इसकी सबसे बड़ी वजह क्रूड ऑयल सहति कमोडिटी की कीमतों में आया उछाल है। यूक्रेन क्राइसिस के चलते कमोडिटी की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं।

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