सार
वस्तु सेवा कर (GST) काउंसिल की 41वीं बैठक आज यानी की गुरुवार 27 अगस्त को होने जा रही है। इस बार कहा जा रहा है कि थोड़ी गर्मागर्म वाली बहस देखने को मिल सकती है। चर्चा का सबसे बड़ा मसला बताया जा रहा है कि कोरोना संकट में आर्थिक तंगी से जूझ रहे राज्यों को जीएसटी का मुआवजा कैसे दिया जाए।
नई दिल्ली. वस्तु सेवा कर (GST) काउंसिल की 41वीं बैठक आज यानी की गुरुवार 27 अगस्त को होने जा रही है। इस बार कहा जा रहा है कि थोड़ी गर्मागर्म वाली बहस देखने को मिल सकती है। चर्चा का सबसे बड़ा मसला बताया जा रहा है कि कोरोना संकट में आर्थिक तंगी से जूझ रहे राज्यों को जीएसटी का मुआवजा कैसे दिया जाए। जीएसटी काउंसिल के सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि राज्यों को मुआवजा देने के लिए फंड जुटाने के कई प्रस्तावों पर विचार किया जा सकता है।
राज्यों को मई, जून, जुलाई और अगस्त यानी चार महीने का मुआवजा नहीं मिला है। सरकार ने हाल में वित्त मामलों की स्थायी समिति को बताया है कि उसके पास राज्यों को मुआवजा देने के लिए पैसे नहीं है।
जानें क्यों दिया जाता है मुआवजा
गौरतलब है कि नियम के मुताबिक, जीएसटी कलेक्शन का करीब 14 फीसदी हिस्सा राज्यों को देना जरूरी है। जीएसटी को जुलाई 2017 में लागू किया गया था। जीएसटी कानून के तहत राज्यों को इस बात की पूरी गारंटी दी गई थी कि पहले पांच साल तक उन्हें होने वाले किसी भी राजस्व के नुकसान की भरपाई की जाएगी। यानी राज्यों को जुलाई 2022 तक किसी भी तरह के राजस्व नुकसान के लिए मुआवजा दिया जाएगा।
तब तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि राज्यों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाएगा। लेकिन, अब यह केंद्र और राज्यों के बीच बड़े विवाद का मसला बनता जा रहा है।
काउंसिल के खिलाफ कार्रवाई करने का मन बना रहे राज्य
बिहार, पश्चिम बंगाल, पंजाब, राजस्थान जैसे राज्य जीएसटी काउंसिल की बैठक में इस बात को जोर-शोर से उठा सकते हैं। पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने तो केंद्रीय वित्त मंत्री को लेटर लिखकर इस बारे में मांग भी कर दी है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार राज्यों को दिए गए वचन का सम्मान करे। झारखंड, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पुडुचेरी जैसे राज्य भी इसी तरह की मांग कर चुके हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि राज्य अब इस मामले में आर-पार के मूड में हैं और मुआवजा न मिलने के लिए काउंसिल के खिलाफ कार्रवाई का मन बना रहे हैं। कई राज्य तो काउंसिल को यह चेतावनी देने वाले हैं कि यदि मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया तो वो जीएसटी का संग्रह ही रोक देंगे।
बिहार के उप मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री सुशील मोदी ने एक बयान में कहा, 'केंद्र को उधार लेकर राज्यों के जीएसटी मुआवजे का भुगतान करना चाहिए। हालांकि, कानूनी रूप से केंद्र के लिए ऐसी बाध्यता नहीं है, लेकिन नैतिक रूप से वह इसके लिए बाध्य है।' पंजाब के वित्त मंत्री प्रकाश सिंह बादल ने केंद्र सरकार द्वारा मुआवजा न देने को 'सॉवरेन डिफॉल्ट' कहा। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार संविधान का सम्मान नहीं कर रही।
विपक्ष भी लामबंद
विपक्षी दल भी राज्यों के साथ खड़े दिख रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विपक्षी दलों की एक बैठक बुलाई, जिसमें जीएसटी मुआवजे पर चर्चा की गई। सोनिया गांधी ने मुआवजा न देने को राज्यों के साथ धोखा बताया। गौरतलब है कि इस वित्त वर्ष में अप्रैल से नवंबर के बीच केंद्र सरकार ने राज्यों को करीब 1,15,096 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया है। इसके बाद दिसंबर से फरवरी के बीच 36,400 करोड़ रुपए की दूसरी खेप जारी की गई। इसके बाद कोरोना संकट की वजह से जब केंद्र की आर्थिक हालत खराब हुई तो उसने हाथ खड़े कर लिए। इसके पहले साल 2018-19 में केंद्र ने राज्यों को 69,275 करोड़ रुपए और 2017-18 में 41,146 करोड़ रुपए जारी किये थे।