सार
गुजरात हाईकोर्ट ने मंगलवार को मोदी सरनेम मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने 2019 के मामले में हुई सजा पर रोक लगाने की उनकी याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
अहमदाबाद: गुजरात हाईकोर्ट ने मंगलवार को मोदी सरनेम मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने 2019 के मामले में हुई सजा पर रोक लगाने की उनकी याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। जानकारी के मुतााबिक जस्टिस हेमंत प्रच्छक गुजरात उच्च न्यायालय की छुट्टी के बाद फैसला सुनएंगे। कोर्ट ने तब तक के लिए राहुल गांधी को कोई भी अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है।
बता दें कि गुजरात उच्च न्यायालय कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इस याचिका में उनकी "मोदी सरनेम"कमेंट को लेकर एक आपराधिक मानहानि के मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने की मांग की गई थी। उल्लेखनीय है कि इस मामले में उन्हें सूरत की एक अदालत ने दो साल की जेल की सजा सुनाई थी। इस फैसले के बाद राहुल को अपनी लोकसभा की सदस्यता से भी हाथ धोना पड़ा था।
राहुल गांधी ने सेशन कोर्ट के फैसले को दी चुनौती
इससे पहले सूरत के सेशन कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली कांग्रेस नेता राहुल गांधी की याचिका पर गुजरात हाईकोर्ट में 29 अप्रैल को सुनवाई हुई थी। इस दौरान कोर्ट ने राहुल गांधी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी से दो मई तक जवाब दाखिल करने को कहा था।
सेशन कोर्ट ने भी सजा पर रोक लगाने से किया था इंकार
आज हुई सुनवाई में अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत में अपनी दलील देते हुए कहा था कि जिस कथित अपराध के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दोषी ठहराया गया है और वह इतने गंभीर नहीं हैं। गौरतलब है कि इससे पहले मामले में सेशन कोर्ट ने भी उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इसके बाद राहुल ने गुजरात उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
क्या है पूरा मामला ?
बता दें कि 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार में एक रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि सभी चोरों का उपनाम मोदी है?' इसी को लेकर भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। उनका आरोप था कि राहुल ने अपनी इस टिप्पणी से पूरे मोदी समुदाय की मानहानि की है। इसके बाद कोर्ट ने उन्हें धारा 504 के तहत दो साल की सजा सुनाई थी।
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