सार

हरिद्वार के खड़खड़ स्थित वेद निकेतन में 17 से 19 दिसंबर तक हुई धर्मसंसद में हेट स्पीच (Hate Speach) के मामले को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट(SC) में सुनवाई हुई। दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान दिए गए आपत्तिजनक भाषण के मामले को भी इसमें शामिल किया गया है। इस संबंध में एक स्वतंत्र जांच( independent inquiry) की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी। 

नई दिल्ली. हरिद्वार के खड़खड़ स्थित वेद निकेतन में 17 से 19 दिसंबर तक हुई धर्मसंसद में हेट स्पीच (Hate Speach) के मामले को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट(SC) में सुनवाई हुई। इस सुनवाई में दिल्ली में हुए एक कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर नफरतभरे भाषण का का मामला भी शामिल किया गया है। इस संबंध में एक स्वतंत्र जांच(independent inquiry) की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी।  सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने भाषण के लिखित हिस्से कोर्ट को सौंपते हुए कहा कि उनकी भाषा ऐसी है कि पढ़ नहीं सकते। सिब्बल ने कहा कि आने वाले समय में कुछ और धर्म संसद होने वाली  हैं, जिनसे चुनावी माहौल खराब हो सकता है। हालांकि कोर्ट ने धर्म संसदों पर रोक लगाने से मना कर दिया। कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को नोटिस अवश्य भेजा है। इस मामले की सुनवाई अब 10 दिनों बाद होगी। बता दें कि 23 जनवरी को अलीगढ़ में भी धर्म संसद होनी है।

याचिका पत्रकार कुर्बान अली और सीनियर एडवोकेट अंजन प्रकाश ने दायर की है
इस मामले की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश (CJI) एन वी रमन्ना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हीमा कोहली की पीठ कर रही है। यह याचिका याचिका पत्रकार कुर्बान अली और पटना हाईकोर्ट की पूर्व न्यायाधीश व सीनियर एडवोकेट अंजना प्रकाश ने दायर की है। याचिका में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत भरे भाषणों की घटनाओं की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) द्वारा ‘‘स्वतंत्र, विश्वसनीय और निष्पक्ष जांच’’ कराने की मांग उठाई गई है। सोमवार को CJI ने सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) की दलीलों पर संज्ञान लिया था। सिब्बल ने कहा था कि उत्तराखंड पुलिस द्वारा FIR दर्ज किए जाने के बावजूद किसी की गिरफ्तारी नहीं की गई।

धर्म विशेष के खिलाफ भड़काऊ भाषण का आरोप
हरिद्वार के खड़खड़ स्थित वेद निकेतन में 17 से 19 दिसंबर तक धर्मसंसद का आयोजन किया गया था। आरोप है कि इसमें कुछ लोगों ने हेट स्पीच (Hate Speach) दी थी। इनके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए, जिसके बाद ज्वालापुर निवासी गुलबहार कुरैशी की शिकायत पर पुलिस ने यूपी शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी के खिलाफ धार्मिक उन्माद फैलाने का मामला दर्ज कराया था। उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार के मुताबिक, फआईआर में वसीम रिजवी (अब जितेंद्र त्यागी) यती नरसिंहानंद, अन्नपूर्णा का नाम शामिल है। यह FIR थाना ज्वालापुर पुलिस स्टेशन में दर्ज हुई है। 

सीएम धामी को खुली चुनौती
इस मामले को लेकर पिछले दिनों हरिद्वार के भूपतवाला स्थित शाम्भवी धाम आश्रम में धर्म संसद कोर कमेटी की बैठक हुई थी। इसमें हेट स्पीच को लेकर संतों पर दर्ज हो रहे मुकदमों और SIT के गठन पर निर्णय लिया गया कि 16 जनवरी को धर्म संसद से जुड़े संतों द्वारा एक प्रतिकार(विरोध) सभा आयोजित की जाएगी। इसमें उत्तराखंड सहित देशभर से साधु-संतों को बुलाया गया है। इस सभा में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को चुनौती दी गई। शाम्भवी धाम के पीठाधीश्वर आनंद स्वरूप महाराज ने कहा कि मुख्यमंत्री साधु-संतों को डराने-धमकाने का काम कर रहे हैं।

यह भी जानें
धर्म ससंद में कथिततौर पर हेट स्पीच को लेकर भारतीय दंड संहिता की जिस धारा 153ए के तहत मामला दर्ज किया गया है। यह एक गैर जमानती धारा है। इस मामले को आज वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में रखा। सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि सत्यमेव जयते की जगह अब शस्त्रमेव जयते की बातें हो रही हैं। सिब्बल ने कहा कि FIR तो दर्ज हुईं, लेकिन गिरफ्तारी नहीं हुई। इस पर चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने मामले पर सुनवाई का आश्वासन दिया था। 

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