सार
जम्मू-कश्मीर में जारी तनाव पर गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में सरकार की तरफ से धारा 370 को हटाने की सिफारिश की। साथ ही उन्होंने कश्मीर राज्य के पुनर्गठन संसोधन पर विचार करने का भी अनुरोध किया। विपक्ष ने इस पर जमकर हंगामा किया। हंगामे के चलते राज्यसभा को स्थगित कर दिया गया।
नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटा दिया। इसके तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्राप्त था। अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश होंगे। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में अनुच्छेद 370 हटाने का संकल्प पेश किया। इसके बाद उन्होंने सदन को बताया कि राष्ट्रपति ने पहले ही इसकी मंजूरी दे दी है। इसके बाद सदन में जमकर हंगामा हुआ। शाह ने कश्मीर राज्य के पुनर्गठन संसोधन पर विचार करने का भी अनुरोध किया। अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्राप्त था। इसके तहत केंद्र सरकार रक्षा, विदेश और संचार जैसे अहम विषयों को छोड़कर राज्य के बाकी मामलों में दखल नहीं दे सकती।
1947 में संविधान में जोड़ा गया था अनुच्छेद
राजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर 1947 को जम्मू-कश्मीर के विलय संधि पर दस्तखत किए थे। उसी वक्त अनुच्छेद 370 की नींव पड़ गई थी। इस समझौते के तहत केंद्र सरकार को सिर्फ जम्मू-कश्मीर में विदेश, रक्षा और संचार मामलों में दखल का अधिकार मिला था। अनुच्छेद 370 को पहली बार भारतीय संविधान में 17 अक्टूबर 1949 को जोड़ा गया था।
सरकार ने शुक्रवार को ही अमरनाथ यात्रा पर रोक लगा दी थी। राज्य में अतिरिक्त बलों की भी नियुक्ति की गई थी। इसके बाद चर्चा तेज हो गई थी कि मोदी सरकार अनुच्छेद 370 पर बड़ा फैसला ले सकती है। रविवार देर रात पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती को भी नजरबंद कर दिया गया था। घाटी में इंटरनेट सेवा पर रोक लगी है। आज पूरे राज्य में स्कूल कॉलेज भी बंद हैं।
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क्या है आर्टिकल 35 ए
आर्टिकल 35A संविधान में जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देता है। 1954 के राष्ट्रपति के आदेश से ये संविधान में जोड़ा गया था। इसके तहत राज्य के स्थायी निवासियों की पहचान, जम्मू-कश्मीर में बाहरी लोग संपत्ति नहीं ख़रीद सकते और बाहरी लोग राज्य सरकार की नौकरी नहीं कर सकते हैं।
क्या है धारा 370
धारा 370 के तहत जम्मू-कश्मीर के लिए सरकार के पास सिर्फ कुछ कानून बनाने का अधिकार है। इसमें रक्षा, विदेशी मामले और संचार के विषय शामिल हैं। वहीं अन्य कानून बनाने के लिए सरकार को राज्य सरकार से अनुमोदन लेना होता है। इसी कानून के तहत राज्य में 356 लागू नहीं होती।राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है। 1976 का शहरी भूमि क़ानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता।