सार

भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) से वित्तीय समावेशन और इनोवेशन में क्रांति ला दी है। इसे दुनिया में पहचान मिल रही है। विश्व बैंक ने इसकी सराहना की है।

 

नई दिल्ली। भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) को वैश्विक मंच पर मान्यता मिल रही है। विश्व बैंक के G20 ग्लोबल पार्टनरशिप दस्तावेज में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा वित्तीय समावेशन के लिए किए गए काम की तरीफ की गई है। इसमें कहा गया है कि एक दशक में भारत में बड़ा बदलाव आया है। डीपीआई क्रांति समावेशी वित्त से कहीं आगे तक बढ़ गई है। इसने मूल रूप से देश के डिजिटल परिदृश्य को नया आकार दिया है।

विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि भारत के डीपीआई दृष्टिकोण ने वह हासिल कर लिया है जिसे कई लोग असंभव मानते थे। भारत में वित्तीय समावेशन दर 2008 में मात्र 25 प्रतिशत थी। यह छह साल में बढ़कर 80 प्रतिशत तक पहुंच गई। जिस काम को करने में दूसरे देशों को आधी शताब्दी लग गए उसे डीपीआई ने सिर्फ छह साल में कर दिया। इसका प्रभाव गहरा है। इसके लॉन्च के बाद से PMJDY खातों की संख्या तीन गुना हो गई है। यह जून 2022 तक 462 मिलियन तक पहुंच गई है। इसमें 56 प्रतिशत अकाउंट महिलाओं के हैं।

गवर्नमेंट टू पब्लिक (G2P) पेमेंट्स

विश्व बैंक ने बताया है कि DPI द्वारा G2P किया जा रहा है। इससे सरकार से सीधे लाभार्थी के खाते में पैसे भेजे जाते हैं। यह दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे कुशल डिजिटल प्रणालियों में से एक है। पिछले दशक में इसने केंद्र सरकार के 53 मंत्रालयों की 312 प्रमुख योजनाओं के लाभार्थियों को लगभग 361 बिलियन डॉलर दिए। इससे मार्च 2022 तक 33 बिलियन डॉलर की बचत हुई। यह भारत की जीडीपी का लगभग 1.14 प्रतिशत है।

यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस)

विश्व बैंक ने कहा है कि भारत की डीपीआई की सफलता का उदाहरण यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) से भी मिलता है। इससे अकेले मई 2023 में लगभग 14.89 ट्रिलियन रुपए के 9.41 बिलियन लेनदेन हुए। वित्तीय वर्ष 2022-23 में यूपीआई लेनदेन भारत की जीडीपी का लगभग 50 प्रतिशत था।

डीपीआई से निजी क्षेत्र भी हुआ लाभ

विश्व बैंक के दस्तावेज के अनुसार डीपीआई से निजी संगठनों की दक्षता बढ़ी है। इससे व्यवसाय संचालन के लिए जटिलता, लागत और समय कम हुआ है। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों ने एसएमई ऋण देने में 8 प्रतिशत अधिक वृद्धि की है। लागत में 65 प्रतिशत की कमी आई है। धोखाधड़ी का पता लगाने की लागत में 66% की कमी हुई है। डीपीआई के उपयोग से भारत में बैंकों के लिए ग्राहकों को जोड़ने की लागत 23 डॉलर से घटकर मात्र 0.1 डॉलर रह गई है।

केवाईसी के लिए बैंकों की लागत हुई कम

इंडिया स्टैक ने नो योर कस्टमर (केवाईसी) प्रक्रियाओं को डिजिटल और सरल बनाया है। इससे बैंकों की लागत कम हुई है। ई-केवाईसी से बैंकों की लागत प्रति केवाईसी $0.12 से घटकर $0.06 हो गई है।

UPI की मदद से सीमा पार से हो रहा भुगतान

दस्तावेज में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि फरवरी 2023 में भारत और सिंगापुर के बीच UPI-PayNow इंटरलिंकिंग शुरू हुआ। यह G20 की वित्तीय समावेशन प्राथमिकताओं के साथ पूरी तरह से मेल खाता है। यह वैश्विक आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देते हुए तेज, सस्ता और अधिक पारदर्शी सीमा-पार भुगतान की सुविधा प्रदान करता है।

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अकाउंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा रेगुलेटेड भारत के अकाउंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क का उद्देश्य देश के डेटा बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है। विश्व बैंक ने कहा कि यह उपभोक्ताओं और उद्यमों को इलेक्ट्रॉनिक सहमति ढांचे के माध्यम से केवल उनकी सहमति से अपना डेटा साझा करने में सक्षम बनाता है।

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