सार
भारतीय नौसेना पानी के अंदर परमाणु हमले करने वाली पनडुब्बी का बेड़ा तैयार करने जा रही है। जिससे हिंद महासागर में चीन के प्रभावों को कम किया जा सकेगा। यह सभी पनडुब्बियां भारतीय नौसेना और विदेशी निर्माताओं के द्वारा की जाएंगी।
नई दिल्ली. हिंद महासागर में चीन की बढ़ती ताकत आने वाले समय में भारत के लिए खतरा साबित हो सकती है। ऐसे में भारत खुद को मजबूत करने की दिशा में कदम तेज कर दिया है। भारतीय नौसेना पानी के अंदर परमाणु हमले करने वाली पनडुब्बी का बेड़ा तैयार करने जा रही है।
यह है भारतीय नौसेना की स्थिति
रक्षा संबंधी स्थायी समिति ने इस संबंध में शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में एक रिपोर्ट जमा की थी, जिसके मुताबिक नौसेना 18 (पारंपरिक) और 6 एसएसएन (परमाणु हमले में सक्षम) पनडुब्बियों के निर्माण की तैयारी कर रही है। लेकिन नौसेना की मौजूदा ताकत 15 है और 1 एसएसएन लीज पर उपलब्ध है।
चीन के पास पहले से हैं मौजूद
लंबे समय से चीन और पाकिस्तान के नौसैनिक साथ काम कर रहे हैं। इसके अलावा चीन भारतीय क्षेत्र के आसपास वाले इलाकों में ऐसी कई पनडुब्बी भेज चुका है जो परमाणु हमला करने में सक्षम हैं। ऐसे में भारतीय नौसेना ने अरिहंत क्लास SSBN के साथ मिलकर परमाणु हमला करने वाली 6 पनडुब्बी बनाने की योजना तैयार की है।
परमाणु मिसाइलों से लैस होंगी पनडुब्बियां
वर्तमान में भारतीय नौसेना के पास रूसी मूल की किलो क्लास, जर्मन मूल की एचडीडब्लू क्लास और पारंपरिक डोमेन में नवीनतम फ्रेंच स्कॉर्पीन क्लास की पनडुब्बियां हैं, जबकि परमाणु सेक्शन में भारत ने रूस से एक आईएनएस चक्र (अकुला क्लास) लीज पर ले रखा है। जिसके बाद भारत ने अब अपने ही देश में परमाणु पनडुब्बी तैयार करने का निर्णय लिया है। ये सभी पनडुब्बियां परमाणु मिसाइलों से लैस होंगी।
17-31 साल पुरानी हैं पनडुब्बियां
नौसेना ने संसदीय समिति को यह भी बताया है कि पिछले 15 सालों में सिर्फ 2 नई पारंपरिक पनडुब्बियां लाई गई हैं, जिसमें स्कॉर्पीन श्रेणी का जहाज आईएनएस कलवरी और आईएनएस खंडेरी शामिल है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि उपलब्ध 13 पारंपरिक पनडुब्बियां, 17 से 31 साल पुरानी हैं।
भारतीय नौसेना, प्रोजेक्ट 75 इंडिया के तहत छह नई पनडुब्बियों के निर्माण की योजना पर भी काम कर रही है। इसके तहत भारतीय नौसेना, विदेशी मूल की उपकरण निर्माताओं के साथ मिलकर 6 पारंपरिक पनडुब्बी का निर्माण करेगी। सभी परियोजनाएं, रणनीतिक साझेदारी नीति के तहत शुरू होंगी।
(प्रतिकात्मक तस्वीर)