सार

हौसला बुलंद हो, तो कुछ भी असंभव(nothing is impossible) नहीं है। ये हैं मप्र के इंदौर के रहने वाले आदित्य तिवारी। इन्हें भारत का सबसे सबसे युवा सिंगल पिता(India's youngest single father) माना जाता है। इन्होंने डाउन सिंड्रोम पीड़ित स्पेशल चाइल्ड (suffering from down syndrome) को गोद लिया था। अब ये पिता अपने बेटे के साथ माउंट एवरेस्ट चढ़ने की तैयारी कर रहा है।

इंदौर. कहावत है कि हौसलों से ही ऊंची उड़ान होती है। मन में विश्वास है और कुछ ठान लिया जाए, तो कुछ भी असंभव नहीं(nothing is impossible) है। मिलिए ये हैं मप्र के इंदौर के रहने वाले आदित्य तिवारी। इन्हें भारत का सबसे युवा सिंगल पिता(India's youngest single father) माना जाता है। आदित्य तिवारी ने डाउन सिंड्रोम पीड़ित स्पेशल चाइल्ड (suffering from down syndrome) को गोद लिया था। अब ये पिता अपने बेटे के साथ माउंट एवरेस्ट चढ़ने की तैयारी कर रहा है।

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6 महीने से चल रही ट्रेनिंग
आदित्य तिवारी ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया-"अवनीश उर्फ बिन्नी को डाउन सिंड्रोम क्रोमोसोम डिसऑर्डर है। अवनीश मेरे साथ माउंट एवरेस्ट पर ट्रैकिंग के लिए जा रहा है। इसके लिए मैं उसे पिछले 6 महीनों से ट्रेनिंग दे रहा हूं।" आदित्य तिवारी जोश से कहते हैं कि वे अपने मकसद में कामयाब होंगे।

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2016 में बिन्नी को गोद लिया था
सॉफ्टवेयर इंजीनियर आदित्य तिवारी ने लंबी लंबी कानूनी लड़ाई के बाद वर्ष 2016 में भोपाल के एक अनाथालय से बिन्नी को गोद लिया था। तब बिन्नी की उम्र 2 साल थी। आदित्य ने उसका नाम अवनीश रखा। अवनीश के दिल में छेद था, इसलिए माता-पिता ने उसे छोड़ दिया था। हालांकि आदित्य से कहा गया था कि अवनीश की उम्र अधिक नहीं है। लेकिन एक पिता का प्यार मिलने पर अवनीश की उम्र लंबी हो गई। अवनीश इंदौर के पास महू स्थित आर्मी स्कूल में पढ़ता है। सबसे बड़ी बात उसका सिलेक्शन मैरिट बेसेस पर हुआ था। 

लेह-लद्दाख की ट्रेकिंग कर चुका है
अवनीश कुछ महीने पहले लेह-लद्दाख जैसी ऊंचाई वाली जगह को एक्सप्लोर कर चुका है। आदित्य ने दावा किया था कि अवनीश दुनिया का पहला ऐसा बच्चा है, जो डाउन सिंड्रोम से पीड़ित होने के बाद इतनी ऊंचाई पर ट्रेकिंग करने में कामयाब रहा। दरअसल, इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटी वाले पर्सन ट्रैकिंग के लिए नहीं जाते हैं। जिस चोटी पर अवनीश होकर आया था, उसकी ऊंचाई साढे़ तीन हजार मीटर है। डॉक्टर्स ने तब रोका था। डॉक्टर्स का स्पष्ट कहना था कि एक प्रतिशत भी चांस नहीं है कि बच्चा वहां से जिंदा वापस लौट पाएगा। लेकिन हमने हार नही मानी। आदित्य के मुताबकि, वो जर्नी अवनीश की मेमोरेबल जर्नी रही।

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