सार

बांग्लादेश के पबना शहर(Pabna city) की रहने वाली इस महिला को ही देखिए! पबना में बेटे के साथ मां ने एसएससी की परीक्षा(सेकंडरी स्कूल सर्टिफिकेट (SSC) पास करके एक मिसाल कायम  है। मंजुआरा नामक इस मां ने  जीपीए4.93 प्राप्त किए हैं, जबकि बेटे को जीपीए 4.89 मिला है।

ढाका. कहते हैं कि पढ़ने-लिखने की कोई उम्र नहीं होती! जिस उम्र में चाहो; पढ़-लिख सकते हैं। हालांकि आम इंसान के लिए यह उतना आसान भी नहीं होता। मगर एक बात है, जज्बा हर मुसीबत पर भारी पड़ता है। अब बांग्लादेश के पबना शहर(Pabna city) की रहने वाली इस महिला को ही देखिए! पबना में बेटे के साथ मां ने एसएससी की परीक्षा(सेकंडरी स्कूल सर्टिफिकेट (Secondary School Certificate-SSC) पास करके एक मिसाल कायम  है। मंजुआरा नामक इस मां ने  जीपीए( Grade Point Average) 4.93 प्राप्त किए हैं, जबकि बेटे को जीपीए 4.89 मिला है। पढ़िए प्रेरक कहानी...

20 साल बाद दिया एग्जाम
पाबना के भांगड़ा उपजिला के खानमोरिच यूनियन के सुल्तानपुर गांव में एक मां ने अपने बेटे के साथ 2022 सेकेंडरी स्कूल सर्टिफिकेट (एसएससी) की परीक्षा पास की है। महिला की पहचान वैन चालक अब्दुर रहीम की पत्नी मंजूरा खातून के रूप में हुई है। कम उम्र में शादी होने के कारण मंजुआरा की पढ़ाई बीच में ही छूट गई थी। करीब 20 साल बाद उसने अपनी पढ़ाई फिर से शुरू की, जबकि वह अपने दो बच्चों को पढ़ाने-लिखाने में ही पूरा समय दे रही थीं। परिवार के सदस्यों ने एसएससी परीक्षा में उसकी सफलता का श्रेय उसकी दृढ़ इच्छाशक्ति को दिया। मंजुआरा ने जिले के ताराश उपजिला में शमीमा जाफर मत्स्य संस्थान से 5 में से 4.93 जीपीए प्राप्त किया है, जबकि उनके बेटे मेहेदी हसन ने भांगुरा के बीएम स्कूल और कॉलेज के व्यावसायिक विभाग से जीपीए 4.89 प्राप्त किया है।

अपनी खुशी जाहिर करते हुए मंजुआरा ने कहा-“मैं ज्यादा पढ़ाई नहीं कर सकी, क्योंकि अत्यधिक गरीबी के कारण मेरे माता-पिता ने 20 साल पहले मेरी शादी कर दी थी। अपने बच्चों को पढ़ते देखकर मुझे एक बार फिर शिक्षा में दिलचस्पी हुई। मेरे पति पूरे सपोर्ट के बिना मैं एसएससी में सफल नहीं हो सकती थी।" मंजुआरा ने कहा कि वह डिग्री लेवल तक पढ़ाई करना चाहती हैं, लेकिन अपने परिवार की आर्थिक स्थिति के कारण वह श्योर नहीं हैं कि वह ऐसा कर पाएगी या नहीं।

फैमिली ने बढ़ाया हौसला
मोनजुआरा के बेटे मेहेदी ने अपनी मां की उपलब्धि पर गर्व करते हुए कहा कि शिक्षा की कोई उम्र नहीं होती है। उनके पति रहीम भी बहुत खुश हुए और उन्होंने पुष्टि की कि वह किसी भी कीमत पर मोंजुआरा की शिक्षा का समर्थन करेंगे। खानमोरिच बीएम स्कूल और कॉलेज के प्रिंसिपल मोफज्जल हुसैन ने कहा,“मेहेदी मेरे इंस्टीट्यूट का नियमित छात्र है। बेटे के मां के एक साथ एसएससी परीक्षा पास करने की खबर बहुत खुशी की बात है। भांगड़ा के उपजिला निर्बाही अधिकारी (यूएनओ) नाहिद हसन खान ने कहा कि मंजुआरा की सफलता की कहानी इलाके के लिए महत्वपूर्ण है और इससे कई महिलाओं को प्रेरणा मिलेगी।

यह भी पढ़ें
inspirational story:134 साल पुराने ब्रांड किर्लोस्कर के दिवंगत मालिक विक्रम ने खुद को कभी 'रईस' नहीं माना
USA का वीजा और बढ़िया नौकरी के बहाने 2 लाख लोगों को ठगने जा रहे थे ये विदेशी, ऐसे पकड़ सकते हैं Job Fraud