सार

लंच के बाद स्नैक्स में डोसे की चटनी के साथ जहर आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड मिलाया गया था। इसकी वजह से पूरे शरीर में ब्लड क्लॉटिंग के बाद हार्ट अटैक से मौत हो जाती है। खाना अच्छा नहीं लगा तो कम ही खाया। लेकिन उतने से खाने भी अपना असर दिखाना शुरू कर दिया। मेरी जान तो बच गई, लेकिन शरीर पर रिएक्शन दिखने लगे। दो साल तक इलाज चला। 

नई दिल्ली. इसरो के एक वैज्ञानिक ने खुलासा किया कि उन्हें ड्यूटी के दौरान जहर देकर मारने की कोशिश की गई। इसरो में वरिष्ठ वैज्ञानिक तपन मिश्रा ने आरोप लगाया कि उन्हें उस समय जहर दिया गया जब वह बेंगलुरु में साल 2017 में ड्यूटी पर थे। उन्होंने सोशल मीडिया पर फेसबुक पर एक लंबी पोस्ट लिखी और पूरी घटना का जिक्र किया।

चटनी में जहर देकर मारने की कोशिश
उन्होंने लिखा, "23 मई 2017 को घातक आर्सेनिक ट्रायोक्साइड के साथ जहर दिया गया था। उस वक्त मैं बैंगलोर में इसरो मुख्यालय में विज्ञान/अभियांत्रिकी एसएफ से एसजी के प्रमोशन के लिए इंटरव्यू दे रहा था। लंच के बाद स्नैक्स में डोसे की चटनी के साथ जहर आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड मिलाया गया था। इसकी वजह से पूरे शरीर में ब्लड क्लॉटिंग के बाद हार्ट अटैक से मौत हो जाती है।

खाने से जहर से कैसे बची जान?
खाना अच्छा नहीं लगा तो कम ही खाया। लेकिन उतने से खाने भी अपना असर दिखाना शुरू कर दिया। मेरी जान तो बच गई, लेकिन शरीर पर रिएक्शन दिखने लगे। दो साल तक इलाज चला। 

तपन मिश्रा ने ये तस्वीर पोस्ट कर बताया कि उनके शरीर पर जहर का कैसा असर दिखा

चंद्रयान 2 की लॉन्चिंग के वक्त भी मारने की कोशिश
तपन ने बताया कि दूसरा हमला चंद्रयान 2 की लॉन्चिंग के दो दिन पहले हुआ। 12 जुलाई 2019 को हाइड्रोजन साइनाउड से मारने की कोशिश की गई थी। लेकिन एनएसजी अफसर की सजगता से जान बच गई। मेरे घर में सुरंग बनाकर जहरीले सांप छोड़े गए। तीसरी बार सितंरब 2020 में आर्सेनिक देकर मारने की कोशिश हुई। लेकिन मैं बच गया।

सांपों से कैसे बचाई जान?
उन्होंने बताया, दो साल से घर में कोबरा, करैत जैसे जहरीले सांप मिल रहे हैं। इनसे निपटने के लिए हर 10 फुट पर कार्बोलिक एसिड की सुरक्षा जाली है। घर में एल आकार की एक सुरंग है, जहां से सांप छोड़े जा रहे थे। उन्होंने आखिरी में कहा कि देश मुझे और मेरे परिवार को बचा ले।

जनवरी में रिटायर होने वाले हैं तपन 
जनवरी महीने में रिटायर होने वाले तपन ने बताया कि दो साल तक उन्हें त्वचा संबंधी समस्याएं, फंगल इन्फेक्शन, दिल का दौरा और हड्डियों में सेंसेशन होता रहा। तपन ने अपनी पोस्ट में लिखा, कुछ बाहरी ताकतें नहीं चाहतीं कि इसरो के वैज्ञानिक आगे बढ़ें और कम लागत में सारे सिस्टम तैयार करें। उन्होंने इसे अंतरराष्ट्रीय जासूसी हमला कहा। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिकों को रास्ते से हटाने के लिए ऐसा किया गया।