सार
जम्मू-कश्मीर के सोपार में आतंकियों ने सुरक्षाबलों की टीम पर हमला कर दिया। इस हमले में 2 पुलिसकर्मी शहीद हो गए हैं, जबकि दो घायल हैं। हमले मेंं 2 स्थानीय नागरिकों की भी जान गई है। आतंकियों ने निशाना बनाकर टीम पर फायरिंग की थी। सुरक्षाबलों ने आतंकियों की घेराबंदी की है।
कश्मीर. जम्मू-कश्मीर के सोपोर जिले के आरामपोरा में नाका पर आतंकियों ने पुलिस और CRPF की संयुक्त टीम पर घात लगाकर हमला किया। आतंकियों ने सुरक्षबलों पर फायरिंग की। इस हमले में 2 पुलिसकर्मी शहीद हो गए, जबकि 2 घायल हैं। हमले में दो स्थानीय नागरिकों की भी जान चली गई। पुलिस अधिकारी ने बताया कि आंतकियों की तलाश में पूरे इलाके में सर्चिंग की जा रही है। इससे पहले 29 मार्च को सोपोर में ही बीडीसी चेयरपर्सन फरीदा खान पर आतंकियों ने हमला किया था। इसमें एक पुलिस अधिकारी की जान चली गई थी।
लश्कर-ए-तैयबा का हाथ
कश्मीर जोन के IG विजय कुमार ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया कि हमले के पीछे है लश्कर-ए-तैयबा का हाथ है। इस हमले में दो पुलिसकर्मी और दो नागरिकों की जान चली गई। इसके अलावा दो अन्य पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।
29 सालों में 46000 से अधिक लोगों की मौत
कश्मीर घाटी में 29 सालों के दौरान करीब 46000 लोगों की जान गई। जनवरी में यह आंकड़ा सामने आया था। इसमें बताया गया था कि इस दौरान 24000 आतंकवादी भी मारे गए। हालांकि पिछले कुछ सालों से आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षाबलों की लगातार सर्चिंग के चलते कश्मीर में आतंकवाद की कमर टूट गई है।
सोशल मीडिया पर नई भर्ती की कोशिशें
लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ने बताया था कि पाकिस्तान समर्थक आतंकवादी सुरक्षाबलों और नागरिकों को निशाना बनाते हैं। जब सुरक्षाबल उनका जवाब देते हैं, तो वे अफवाहें फैलाकर छवि खराब करने की कोशिश करते हैं। आतंकवादी संगठन सोशल मीडिया के जरिये नई भर्तियों की कोशिश करते हैं। वे गलत बातें फैलाने में भी सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं। बताया गया कि 2018 की तुलना में 2020 में आतंकवादियों की भर्ती पर काफी हद तक अंकुश लगाया गया।
सुरंगों और ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे
पाकिस्तान से ड्रोन और सुरंग के जरिये आतंकवादी गतिविधियों के लिए हथियार और ड्रग्स भेजे जाते हैं, यह एक बड़ी चुनौती है। इससे निपटने भारतीय सेना आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि हर 20-25 तलाश अभियान के बीच एक में आतंकवादियों से मुठभेड़ होती है। सुरक्षाबलों का प्रयास होता है कि इससे आम नागरिकों को नुकसान न हो। वहीं, स्थानीय संस्कृति और धार्मिक संवेदनशीलता का सम्मान भी बना रहे।
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