सार
कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वालों के लिए खुशखबरी है। भारत-चीन ने यात्रा शुरू करने पर सहमति बना ली है।
Kailash Mansarovar Yatra: भारत-चीन के बीच तल्ख हुए संबंध पटरी पर आने शुरू हो गए हैं। दोनों देशों के बीच सामान्य हो रहे रिश्तों के बीच एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। भारत-चीन ने मानसरोवर यात्रा को शुरू करने का फैसला लिया है। कैलाश मानसरोवर यात्रा इस साल गर्मियों में शुरू होगी। इस यात्रा की जिम्मेदारी भारत के विदेश मंत्रालय और चीन के मंत्रालय की होती है।
दरअसल, भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री, चीन की यात्रा पर हैं। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच विदेश सचिव लेवल की मीटिंग हुई है। इस मीटिंग में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के साथ ही कैलाश मानसरोवर यात्रा को लेकर भी बातचीत हुई। इस बातचीत में यह तय हुआ कि मानसरोवर यात्रा इस बार गर्मियों से फिर से शुरू किया जाएगा। इस निर्णय के बाद भगवान भोलेनाथ का दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को यात्रा करने की इजाजत मिल सकेगी।
इसके अलावा विदेश सचिव स्तर की मीटिंग में बीते साल अक्टूबर में कज़ान में हुई बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बनी सहमति के अनुसार, दोनों पक्षों ने भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति की समीक्षा की। इस मीटिंग में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सकारात्मक बातचीत हुई है।
- PM Modi calls Trump: पीएम मोदी ने टेलीफोन पर डोनाल्ड ट्रंप से क्या बात की, जानें
- बजट 2025: इन 4 सरकारी योजनाओं में हो सकता है बड़ा बदलाव
2020 से बंद है कैलाश मानसरोवर यात्रा
कोरोना महामारी और भारत-चीन के बीच खराब हुए संबंधों के बाद से कैलाश मानसरोवर यात्रा बंद है। यह यात्रा चीन की इजाजत के बाद ही होती है। क्योंकि कैलाश पर्वत जाने के लिए चीनी वीजा की आवश्यकता होती है। कैलाश पर्वत, भगवान शिव का निवास स्थल है। जबकि मानसरोवर का जिक्र रामायण, महाभारत और वेदों में मिलता है। इसे मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी कहा जाता है। इस यात्रा को उत्तराखंड से प्रारंभ किया जाता है। हालांकि, सिक्किम और नेपाल से भी एक रूट कैलाश मानसरोवर का है। अब करीब पांच साल बाद शिवभक्तों में एक नई उम्मीद जगी है।
यह भी पढ़ें:
JPC Waqf Amendment bill: इन 4 बड़े बदलावों से कम हो जाएगी वक्फ बोर्ड की ताकत