सार
केरल हाईकोर्ट (Kerala high court) ने PFI को केरल बंद के दौरान हुए नुकसान की भरपाई के लिए 5.2 करोड़ का हर्जाना भरने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि नुकसान की भरपाई के बिना आरोपी को जमानत नहीं मिलेगी और PFI की संपत्तियों की कुर्की होगी।
तिरुवनंतपुरम। प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के देशभर में स्थित ठिकानों पर नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी(NIA) के नेतृत्व में 22 सितंबर को छापे मारे गए थे। इस दौरान पीएफआई के 106 नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था। इस छापेमारी के विरोध में पीएफआई ने 23 सितंबर को केरल बंद बुलाया था और उपद्रव किया था। विरोध प्रदर्शन के दौरान गाड़ियों में तोड़फोड़ की गई थी।
इस मामले में केरल हाईकोर्ट (Kerala high court) ने गुरुवार को पीएफआई को विरोध प्रदर्शन के दौरान किए गए उपद्रव के चलते हुए नुकसान की भरपाई करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि पीएफआई 5.20 करोड़ रुपए का हर्जाना भरे। न्यायमूर्ति एके जयशंकरन नांबियार और सी पी मोहम्मद नियास की खंडपीठ ने निचली अदालतों को निर्देश दिया कि जब तक नुकसान का भुगतान नहीं किया जाता तब तक आरोपी को जमानत नहीं दी जाए। कोर्ट ने सरकार को बंद का आह्वान करने वाले PFI के राज्य सचिव ए अब्दुल सत्तार को बंद के दौरान हिंसा के संबंध में दर्ज सभी मामलों में आरोपी बनाने का निर्देश दिया।
खतरे में नहीं डाल सकते नागरिकों का जीवन
कोर्ट ने कहा कि नागरिकों के जीवन को खतरे में नहीं डाला जा सकता है। यह संदेश स्पष्ट है। अगर कोई ऐसा करता है तो उसे इसका परिणाम भुगतना होगा। आप किसी भी कारण से प्रदर्शन कर सकते हैं। संविधान इसकी इजाजत देता है, लेकिन अचानक हड़ताल नहीं किया जा सकता।
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बता दें कि 2019 में केरल हाईकोर्ट ने अचानक बुलाए जाने वाले बंद को अवैध और असंवैधानिक घोषित कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि हड़ताल के लिए कम से कम सात दिन पहले नोटिस देनी होगी। पीएफआई द्वारा बुलाए गए केरल बंद पर कोर्ट ने पिछले शुक्रवार को स्वत: संज्ञान लिया था।
नुकसान की भरपाई नहीं की तो जब्त होगी संपत्ति
कोर्ट ने कहा कि पीएफआई की ओर से अगर नुकसान की भरपाई नहीं की जाती है तो उनकी संपत्तियों की कुर्की सहित सख्त कार्रवाई शुरू की जा सकती है। केरल राज्य सड़क परिवहन निगम ने कोर्ट को बताया है कि बंद के दौरान हुई हिंसा में उसकी 58 बसें क्षतिग्रस्त हो गईं और 20 कर्मचारी घायल हो गए।
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