सार
कांग्रेस को भरोसा है कि वायनाड में राहुल गांधी को कोई प्रतिद्वंद्वी मुकाबला नहीं दे पाएगा। उन्हें 2019 की तरह भारी जीत मिलेगी। इस बार उन्हें सीपीआई की एनी राजा और भाजपा के सुरेंद्रन से चुनौती मिल रही है।
वायनाड। कांग्रेस नेता राहुल गांधी आज केरल के वायनाड लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल करेंगे। कांग्रेस इस सीट को अपने लिए बेहद सुरक्षित समझती है। उसे लगता है कि यहां हार का डर नहीं है। यही वजह है कि 2019 में राहुल गांधी यूपी के अमेठी के साथ ही वायनाड से भी मैदान में उतरे। वह अमेठी में तो हार गए, लेकिन वायनाड में बड़ी जीत पाई।
वायनाड सीट का गठन 2009 में हुआ था। इसके बाद से यहां सिर्फ कांग्रेस को जीत मिली है। यह कांग्रेस के गढ़ की तरह है। 2019 में राहुल गांधी को वायनाड के सभी सात विधानसभा क्षेत्रों में भारी जीत मिली थी। वह 4.3 लाख से अधिक वोटों के अंतर से चुनाव जीते थे। इस दूसरे स्थान पर सीपीआई के पीपी सुनीर थे। इस बार चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय रहने की उम्मीद है। यहां मुस्लिम आबादी अधिक है।
केरल की कांग्रेस कार्य समिति के पूर्व अध्यक्ष दिवंगत एमआई शनावास 2009 और 2014 में वायनाड से चुने गए थे। वे नवंबर 2018 में अपनी मृत्यु तक यहां से सांसद रहे। 2019 के चुनाव में राहुल गांधी चुनाव मैदान में उतरे तो यह सीट हाई प्रोफाइल हो गई। पिछले चुनाव में राहुल गांधी को अपनी सीट अमेठी में हार का डर था। कांग्रेस आलाकमान उनके लिए सुरक्षित सीट की तलाश में था। इसके चलते उन्हें वायनाड से उतारा गया।
क्या वायनाड में इस बार राहुल गांधी को होगी परेशानी?
कहा जा रहा है कि वायनाड में इस बार राहुल गांधी को 2019 जैसी आसान जीत नहीं मिलेगी। भाजपा ने उन्हें कड़ी टक्कर देने के लिए अपने प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन को उतारा है। सुरेंद्रन पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि वायनाड में राहुल गांधी की हालत अमेठी जैसा करेंगे। जानकार बताते हैं कि वायनाड में राहुल गांधी के लिए स्थिति पूरी तरह ठीक नहीं है। यहां जंगली जानवरों और इंसानों के बीच होने वाला संघर्ष बड़ा मुद्दा है। स्थानीय लोगों ने राहुल गांधी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए हैं। राहुल गांधी का अपने क्षेत्र में समय नहीं देना भी चर्चा का विषय रहा है। सुरेंद्रन ने कहा था कि "राहुल गांधी से ज्यादा जंगली हाथियों ने वायनाड का दौरा किया है।"
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वायनाड में है 32 फीसदी मुस्लिम आबादी
वायनाड में 32 फीसदी मुस्लिम आबादी है। ईसाई 13 फीसदी हैं। अनुसूचित जनजाति के लोग 9.5 फीसदी और अनुसूचित जाति के लोग तीन फीसदी हैं। इन अल्पसंख्यक समूहों की बहुतायत और पर्याप्त हिंदुत्व वोट बैंक की अनुपस्थिति राहुल गांधी के लिए वायनाड को आरामदायक क्षेत्र बनाती है।
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