सार
Made in India Stents: गुजरात के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने घरेलू स्टेंट निर्माताओं के खिलाफ जारी किए गए आदेश को वापस लिया है। पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया और गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश गणेशभाई पटेल के हस्तक्षेप के कारण यह फैसला लिया गया। AiMeD (एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री) ने इस फैसले की सराहना की है। इससे स्टेंट पर दोहरी कीमत नहीं लगेगी।
AiMeD के फोरम समन्वयक राजीव नाथ ने कहा, 'हम गुजरात सरकार और स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश गणेशभाई पटेल के आभारी हैं। उन्होंने हमारे अनुरोध पर कार्रवाई की और आश्वासन दिया कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग द्वारा कार्डियक स्टेंट के दोहरी कीमत लगाने वाले आदेश को रद्द कर रहे हैं।'
राजीव नाथ ने बताया कि इससे मेक इन इंडिया को सपोर्ट मिलेगा। भारतीय स्टेंट बाजार के 70% से अधिक पर भारत की कंपनियों का कंट्रोल है। स्टेंट बनाने वाली कंपनियों ने अपने प्रोडक्ट 100 से अधिक देशों में निर्यात किया है। भारत में बने स्टेंट पर दोहरा टैक्स नहीं लगने से इसकी कीमत कम रहेगी। इससे मरीजों और उनके परिजनों को लाभ होगा।
100 से अधिक देशों में इस्तेमाल किए जाते हैं भारतीय स्टेंट
एआईएमईडी और एमजी के निदेशक गौरव अग्रवाल ने कहा, "भारतीय स्टेंट चिकित्सकीय रूप से मान्य हैं। इन्हें 100 से अधिक देशों में इस्तेमाल किया जाता है। इनमें कड़े रेगुलेशन वाले देश भी शामिल हैं। अमेरिका और अन्य विकसित देशों में अब जो उत्पाद नहीं बिकते, उन्हें प्रीमियम आयात की आड़ में भारतीय रोगियों में प्रत्यारोपित करने की अनुमति दी गई। कुछ डॉक्टरों इन अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की ओर से आकर्षक किकबैक के चलते इसकी पैरवी कर रहे हैं।"
बता दें कि यह मामला गुजरात सरकार की अधिसूचना से जुड़ा था। इसमें हाल ही में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत मरीजों के इलाज के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले स्टेंट के लिए अलग-अलग कीमतें बताई गईं थीं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार आदेश से पता चला है कि यूनाइटेड स्टेट्स फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा अप्रूव्ड स्टेंट की कीमत 25,000 रुपए प्रति स्टेंट होगी। वहीं, भारतीय ड्रग रेगुलेटर द्वारा मंजूरी प्राप्त स्टेंट की कीमत 12,000 रुपए प्रति स्टेंट होगी।