सार
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा लगभग थम चुकी है। पुलिस के मुताबिक, 25 फरवरी की शाम से हिंसा की कोई खबर नहीं आई है। ऐसे में अब हिंसा के दौरान की कई कहानियां सामने आ रही हैं। कुछ कहानियां दंगे की हैं तो कुछ प्रेम और भाईचारे की।
नई दिल्ली. उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा लगभग थम चुकी है। पुलिस के मुताबिक, 25 फरवरी की शाम से हिंसा की कोई खबर नहीं आई है। ऐसे में अब हिंसा के दौरान की कई कहानियां सामने आ रही हैं। कुछ कहानियां दंगे की हैं तो कुछ प्रेम और भाईचारे की। ऐसी ही कहानी एक मुस्लिम युवक की है, जिसने दंगे के दौरान शिव मंदिर को बचाया। मंदिर को बचाने वाले शख्स का नाम शकील अहमद है।
25 फरवरी को शिव मंदिर की रक्षा की
शकील अहमद ने बताया कि 25 फरवरी को उपद्रवी तोड़फोड़ के मकसद से क्षेत्र तिहारा में आए। ऐसे में वहां मौजूद स्थानीय लोगों में से कुछ लोग मस्जिद की ओर चले गए तो कुछ ने मंदिर में जाकर तोड़फोड़ से बचाया। शकील अहमद ने बताया, उपद्रवी पहले मस्जिद की ओर बढ़ रहे थे। लेकिन हमने उन्हें रोक दिया। न ही मस्जिद की ओर बढ़ने दिया और न ही मंदिर में तोड़ फोड़ करने दी।
72 घंटे तक नहीं सोए शकील
शकील अहमद ने मीडिया से बात की। उन्होंने बताया कि दंगे के दौरान वह लगातार 72 घंटों तक जागते रहे। इसके पीछे वजह थी। उन्होंने कहा कि हम लगातार नजर बनाए हुए थे कोई अनहोनी न हो। मंदिर-मस्जिद में कोई तोड़फोड़ न करे। ऐसे में लगातार तीन दिनों तक जागते रहे।
शिव विहार में भी दिखा भाईचारा
शिव विहार के निवासी राम सेवक ने कहा, मैं यहां पिछले 35 साल से रह रहा हूं। इस इलाके में सिर्फ एक या दो ही हिंदू परिवार रहते हैं, लेकिन हमे कभी किसी तरह की परेशानी नहीं हुई। हिंसा के समय मेरे मुस्लिम भाईयों ने मुझसे कहा कि अंकल जी, आप आराम से सो जाइए। आप को कोई नुकसान नहीं होगा।
दिल्ली में क्या हुआ था?
देश की राजधानी दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाके में 3 दिनों तक हिंसा हुई, जिसकी शुरुआत रविवार (23 फरवरी) से हुई। पुलिस के मुताबिक, अब तक 42 लोगों के मारे जाने की खबर है। मरने वालों में हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल और IB के कर्मचारी अंकित शर्मा भी शामिल हैं। अंकित शर्मा का शव एक नाले में मिला था। वहीं रतन लाल की पीएम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि उनकी मौत गोली लगने की वजह से हुई। पुलिस ने 123 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इसके अलावा 630 लोगों को हिरासत में लिया गया है।
दिल्ली में हिंसा की शुरुआत कैसे हुई?
दिल्ली में हिंसा की शुरुआत रविवार की शाम से हुई। रविवार की सुबह कुछ महिलाएं जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के बाहर सीएए के विरोध में प्रदर्शन कर रही थीं। दोपहर होते होते मौजपुर में भी कुछ लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। शाम को भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने ट्वीट किया। उन्होंने लिखा कि दिल्ली में दूसरा शाहीन बाग नहीं बनने देंगे। वे भी अपने समर्थकों के साथ सड़क पर उतर आए हैं। उन्होंने ट्वीट किया, सीएए के समर्थन में मौजपुरा में प्रदर्शन। मौजपुर चौक पर जाफराबाद के सामने। कद बढ़ा नहीं करते। एड़ियां उठाने से। सीएए वापस नहीं होगा। सड़कों पर बीबियां बिठाने से।' भाजपा समर्थकों के सड़क पर उतरने के बाद मौजपुर चौराहे पर दोनों तरफ से ट्रैफिक बंद हो गया है। समर्थन में लोग सड़कों पर बैठ गए हैं। इसी दौरान सीएए का विरोध करने वाले और समर्थन करने वाले दो गुटों में पत्थरबाजी हुई। यहीं से विवाद की शुरुआत हुई।