सार
7 मार्च को कोलकाता के ऐतिहासिक ब्रिगेड परेड ग्राउंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी रैली के दौरान भाजपा में शामिल हुए मिथुन चक्रवती के तमिलनाडु में स्टार प्रचारक के तौर पर जाने को लेकर अभी संशय बना हुआ है।
चेन्नई, तमिलनाडु. वामपंथ के रास्ते तृणमूल कांग्रेस से होते हुए भाजपा में पहुंचे मिथुन चक्रवर्ती क्या तमिलनाडु में चुनाव प्रचार करने जा पाएंगे? इसे लेकर संशय बना हुआ है। 7 मार्च को कोलकाता के ऐतिहासिक ब्रिगेड परेड ग्राउंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी रैली के दौरान भाजपा में शामिल हुए मिथुन चक्रवती के बारे में अभी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व फैसला नहीं ले सका है। बता दें कि मिथुन दा टीएमसी से राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं। हालांकि उनका नाम शारदा घोटाले में आने के बाद 2016 में उन्होंने सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। यह और बात है कि इसके पीछे उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया था। माना जा रहा है कि इस घोटाले की वजह से उन्हें चुनाव प्रचार से दूर रखा जा सकता है।
जानें पूरा मामला...
- तमिलनाडु भारतीय जनता पार्टी (Tamil Nadu BJP) के प्रमुख एल मुरुगन (L Murugan) ने स्पष्ट किया कि मिथुन चक्रवर्ती तमिलनाडु में चुनाव प्रचार करेंग या नहीं, इस बारे में पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व फैसला करेगा।
- बता दें कि मोदी की 7 मार्च को कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में हुई रैली के दौरान मिथुन दा भाजपा में शामिल हुए थे। उन्हें भाजपा में लाने का श्रेय भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष को जाता है। भाजपा का झंडा थामने के बाद मिथुन दा ने कहा था कि वे हमेशा से वंचितों के लिए काम करना चाहते थे। भाजपा ने उन्हें इसके लिए मंच दिया है।
- मिथुन दा का नाम शारदा घोटाले में आया था। शारदा चिटफंड घोटाले की शुरुआत 2000 में हुई थी। इसकी स्थापना बिजनेसमैन सुदीप्तो सेन ने रखी थी। इस ग्रुप के तहत 4-5 प्रमुख कंपनियों के अलावा 239 अन्य कंपनियां बनाई गई थीं। इसमें निवेशकों से कहा गया कि उन्हें 25 गुना ज्यादा रिटर्न मिलेगा। इस तरह शारदा ग्रुप ने 2008 से 12 तक चार पॉलिसी जारी करके पैसा जुटाया। कंपनी ने पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, असम, त्रिपुरा आदि राज्यों में करीब 300 आफिस खोलकर 14 लाख निवेशकों से 1200 करोड़ जुटाए थे। बाद में किसी को पैसा नहीं लौटाया गया।
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