सार

वित्त मंत्रालय ने आरबीआई को एक लेटर भेजा है जिसमें यह सुझाव दिया गया है कि इक्वेटेड मंथली इंस्टॉलमेंट्स(EMI), इंटरेस्ट के पेमेंट और लोन रीपेमेंट पर कुछ महीनों की छूट दी जाए। मंत्रालय ने नॉन-परफॉर्मिंग ऐसेट्स के क्लासिफिकेशन में ढील देने का सुझाव भी दिया है।

नई दिल्ली. कोरोना के बढ़ते कहर के बीच आम लोगों को राहत देने के लिए सरकार लगातार कदम उठा रही है। भारत के 25 राज्यों में कोरोना का संक्रमण फैल चुका है। जिससे अभी तक 667 लोग संक्रमित हैं। इन सब के बीच आम लोगों के लिए एक काम की खबर सामने आई है। वित्त मंत्रालय ने आरबीआई को एक लेटर भेजा है जिसमें यह सुझाव दिया गया है कि इक्वेटेड मंथली इंस्टॉलमेंट्स(EMI), इंटरेस्ट के पेमेंट और लोन रीपेमेंट पर कुछ महीनों की छूट दी जाए। मंत्रालय ने नॉन-परफॉर्मिंग ऐसेट्स के क्लासिफिकेशन में ढील देने का सुझाव भी दिया है।

'कोरोना की वजह से इनकम लॉस हो रहा'

मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा कि फाइनैंशल सर्विसेज डिपार्टमेंट के सेक्रटरी देबाशीष पंडा ने मंगलवार को इस संबंध में आरबीआई को एक लेटर लिखा था। पंडा ने सिस्टम में लिक्विडिटी बनाए रखने पर भी जोर दिया है। इस लेटर में इन राहत उपायों की जरूरत पर बल दिया गया है, क्योंकि आम लोगों और कंपनियों को कोरोना वायरस के कारण घोषित लॉकडाउन के बीच इनकम लॉस हो रहा है।

लोन की किस्तें चुकाने में मुश्किल!

कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को 21 दिनों कs देशव्यापी लॉकडाउन का ऐलान किया था। वित्त मंत्रालय से की गई सिफारिश में कहा गया है कि कई कंपनियां और लोग हो सकता है कि लॉकडाउन के कारण लोन की किस्तें न चुका पाएं। ऐसा होने पर बैंक उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। इससे क्रेडिट प्रोफाइल पर भी आंच आएगी। आरबीआई के नियमों के तहत पेमेंट में किसी भी डिफॉल्ट को 30 दिनों के भीतर दर्ज करना होता है और ऐसे अकाउंट्स को स्पेशल मेंशन अकाउंट की कैटिगरी में डालना होता है। जिसे उपभोक्ताओं का समस्या का सामना करना पड़ सकता है। 

ATM नहीं जा सकते तो ये बैंक घर पहुंचाएंगे पैसा 

वैसे एटीएम से कैश निकालने के लिए भी लॉकडाउन से छूट मिलती है। लेकिन अगर एटीएम आपके घर से दूर हो तो मुश्किल बढ़ सकती है। ऐसे में बैंक खुद आपको आपके घर पैसे देने आएगा। लॉकडाउन के दौरान बैंक जरूरी सेवाओं को जारी रखेंगे। एसबीआई, एचडीएफसी बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक तथा एक्सिस बैंक अपने ग्राहकों को घर पर कैश डिलीवरी की सुविधा प्रदान करते हैं।

100 रुपए का शुल्क चुकाकर ले सकते हैं फायदा 

देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक SBI आपके घर तक नकदी पहुंचाने की सुविधा प्रदान करता है। यही नहीं, आपके घर पर ही बैंक आपके पैसे जमा लेने की भी सुविधा प्रदान करता है।
मेडिकल इमरजेंसी के दौरान एसबीआई का ग्राहक 100 रुपये का शुल्क चुकाकर बैंक की इस अनोखी सुविधा का फायदा उठा सकता है।

HDFC बैंक में भी यह सुविधा

एचडीएफसी बैंक भी अपने उपभोक्ताओं को तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराता है। इसी में से एक है उपभोक्ताओं के घर नकदी पहुंचाने की सुविधा प्रदान करना। HDFC  बैंक अपने उपभोक्ताओं के घर तक 5,000 से 25,000 रुपये तक की पहुंचा सकता है। इसके लिए बैंक 100-200 रुपये का शुल्क लेता है। वहीं, एक्सिस और कोटक महिंद्रा बैंक अपने कस्टमर के लिए यह सेवा उपलब्ध कराते हैं।

वित्त मंत्री ने क्या कहा था?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कई नियमों के तहत कंप्लायंस से छूट की घोषणा की थी। उन्होंने इनसॉल्वेंसी में मामले ले जाने के लिए डिफॉल्ट लिमिट को एक लाख रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दिया था। उन्होंने यह भी कहा था कि सरकार कोरोना वायरस से बने हालात के आर्थिक असर से निपटने के लिए एक इकनॉमिक पैकेज पर काम हर रही है और 'जल्द' इसका ऐलान किया जाएगा। यह पूछे जाने पर कि लोन रीपेमेंट्स में क्या रियायत दी जा सकती है, उन्होंने कहा था, 'हम आपको जल्द जानकारी देंगे।'

'जीडीपी 1.5-2.5% रह सकती है'

रियायतों का बैंकों पर विपरीत असर पड़ेगा, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि अभी चिंता यह है कि कारोबार का वजूद बचा रहे। केयर रेटिंग्स ने कहा कि जीडीपी ग्रोथ चौथी तिमाही में घटकर 1.5-2.5% रह सकती है क्योंकि मार्च के अंत में प्राय: उत्पादन में दिखने वाली बढ़ोतरी शटडाउन के दौरान नहीं दिखेगी।

सपोर्ट देने के लिए उठाएंगे जरूरी कदमः वित्त मंत्री 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि आरबीआई से विभिन्न मसलों पर बातचीत हो रही है। उन्होंने कहा था, 'अभी हम सपोर्ट देने के लिए हरसंभव कदम उठाएंगे।' इंडस्ट्री की संस्थाओं ने हर तरह के लोन के भुगतान की अवधि में छूट की मांग की है। CII ने जीडीपी के एक प्रतिशत के बराबर यानी लगभग दो लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की मांग की है। उसने सरकार से कहा है कि बॉरोअर्स को हर तरह के लोन और सभी रीपेमेंट से कम से कम तीन महीने की छूट दी जानी चाहिए। FICCI ने दो तिमाही तक भुगतान से छूट की मांग की है।