सार
"हरित क्रांति के समय जो सुधार हुए थे, उसे लेकर भी आंदोलन हुए। लाल बहादुर शास्त्री का यह हाल था कि कोई कृषि मंत्री बनने को तैयार नहीं था। सबको लगता था कि कौन अपनी इमेज खराब कराए। चुनाव हार जाएंगे। अंत में शास्त्री जी को सी सुब्रमण्यम मिले, जिसे कृषि मंत्री बनाना पड़ा।"
नई दिल्ली. पीएम मोदी ने राज्यसभा में किसानों के आंदोलन को लेकर हरित क्रांति से तुलना की। उन्होंने कहा कि जब भी देश में कोई नया बदलाव होता है तो विरोध होते हैं। हरित क्रांति के वक्त भी ऐसा ही हुआ था। तब तो कोई कृषि मंत्री बनने के लिए तैयार नहीं था।
राज्यसभा में पीएम मोदी ने हरित क्रांति को लेकर जो किस्सा सुनाया, वह इस प्रकार है...
"हरित क्रांति के समय जो सुधार हुए थे, उसे लेकर भी आंदोलन हुए। लाल बहादुर शास्त्री का यह हाल था कि कोई कृषि मंत्री बनने को तैयार नहीं था। सबको लगता था कि कौन अपनी इमेज खराब कराए। चुनाव हार जाएंगे। अंत में शास्त्री जी को सी सुब्रमण्यम मिले, जिसे कृषि मंत्री बनाना पड़ा।"
"तब विरोध का यह आलन था कि योजना आयोग ने भी खिलाफ में खड़ा था। लेकिन देश की भलाई के लिए शास्त्री जी आगे बढ़े। लेफ्ट पार्टी, जो इस समय भाषा बोलते हैं यही भाषा उस समय भी बोल रहे थे कि अमेरिका के इशारे पर कांग्रेस ऐसा कर रही रही। कांग्रेस के नेताओं को अमेरिका का एजेंट कह दिया जाता था।"
"मुझे भी आज वैसा ही बोला जाता है। देशभर में हजारों आंदोलन चल रहे थे। लेकिन शास्त्री जी ने जो किया आज उसी का परिणाम है कि देश अपनी मिट्टी में अनाज उगा रहा है। आज मुझे भी गाली दी जा रही है। कोई भी कानून आया हो, कुछ वक्त के बाद सुधार होते ही हैं।"