सार

संविधान दिवस पर संसद भवन के सेंट्रल हॉल में भी भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अध्यक्षता राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) ने की। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु (M.Venkaiah Naidu), पीएम नरेंद्र मोदी (PM Modi), लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Om Birla) आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

नई दिल्ली। संविधान दिवस (Constitution Day) पर देशभर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। संसद भवन (Parliament) के सेंट्रल हॉल (Central Hall) में भी भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अध्यक्षता राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) ने की। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु (M.Venkaiah Naidu), पीएम नरेंद्र मोदी (PM Modi), लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Om Birla) आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे। संविधान दिवस पर अपने संबोधन में पीएम मोदी ने नेशन फर्स्ट (nation First) पर चर्चा करते हुए चार मुद्दों पर चिंता जताई। अपने 22 मिनट के संबोधन में प्रधानमंत्री देश को चार मुद्दों पर चिंतन करने के साथ अधिकार व कर्तव्यों के बीच भेद करने और उसे अमल में लाने की भी सीख दी। 

नेशन फर्स्ट

संविधान दिवस पर पीएम मोदी ने नेशन फर्स्ट पर बात करते हुए देशहित को समझाया। उन्होंने मुंबई हमले पर चर्चा करते हुए कहा कि 'नागरिकों की रक्षा की जिम्मेदारी निभाते हुए हमारे वीर जवानों ने मुंबई हमले के आतंकवादियों से मुकाबला करते हुए अपना बलिदान है। संविधान बनाते वक्त देशहित सबसे ऊपर था। अनेक बोलियों, पंथ और राजे-रजवाड़ों को संविधान के जरिए एक बंधन में बांधा गया। इसका मकसद था कि ऐसा करके देश को आगे बढ़ाया जाए। आज शायद हम संविधान का एक पेज भी पूरा न लिख पाते, क्योंकि राजनीति के चलते नेशन फर्स्ट और देशहित पीछे छूट जाता है।'

2. परिवारवाद

नरेंद्र मोदी ने बिना नाम लिए विपक्ष पर परिवारवाद का प्रश्रय देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि 'देश में कश्मीर से कन्याकुमारी तक जाइए। भारत एक संकट की तरफ बढ़ रहा है और वो है पारिवारिक पार्टियां। पार्टी फॉर द फैमिली, पार्टी बाई द फैमिली... और अब आगे कहने की जरूरत नहीं लगती है। ये लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है। संविधान हमें जो कहता है, यह उसके विपरीत है। जब मैं कहता हूं कि पारिवारिक पार्टियां, तो मैं ये नहीं कहता कि परिवार के एक से ज्यादा लोग राजनीति में न आएं। योग्यता के आधार पर और जनता के आशीर्वाद से आएं। जो पार्टी पीढ़ी दर पीढ़ी एक ही परिवार चलाता रहे, वो लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा संकट होता है।'

3. करप्शन

संविधान दिवस पर पीएम मोदी ने तीसरा सबसे बड़ा मुद्दा करप्शन का उठाया। उन्होंने कहा, 'क्या हमारा संविधान इसकी इजाजत देता है। कानून है, व्यवस्था है, लेकिन समस्या तब होती है जब भ्रष्टाचार के लिए किसी को न्यायपालिका ने सजा दे दी हो और राजनीति के कारण उनका महिमामंडन चलता रहे। जब राजनीतिक लाभ के लिए लोकलाज छोड़कर, मर्यादा छोड़कर उनका साथ दिया जाता है, तो लोगों को लगता है कि भ्रष्टाचार की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है। उन्हें भी लगता है कि भ्रष्टाचार में चलना गलत नहीं है। भ्रष्टाचार के कारण गुनाह सिद्ध हुआ है तो सुधरने का मौका दिया जाए, लेकिन सार्वजनिक जीवन में प्रतिष्ठा देने की प्रतिस्पर्धा चल रही है, वह नए लोगों को लूटने के रास्ते पर जाने के लिए प्रेरित करती है।'

4. अधिकार बनाम कर्तव्य

पीएम मोदी ने संविधान दिवस पर लोगों को अधिकार व कर्तव्य के बारे में सीख दी। उन्होंने दोनों में भेद करने की सीख देते हुए इनकी उपयोगिता बताते हुए अमल करने की भी सलाह दी। उन्होंने कहा, 'आज जरूरी है कि हम कर्तव्य के माध्यम से अधिकारों की रक्षा के रास्ते पर चलें। कर्तव्य वो पथ है जो अधिकार को सम्मान के साथ दूसरों को देता है। आज हमारे भीतर भी यही भाव जागे कि हम कर्तव्य पथ पर चलें। इसे जितनी ज्यादा मात्रा में निष्ठा से मानाएंगे, उससे सभी के अधिकारों की रक्षा होगी। जिन्होंने आजादी दिलाई, उनके सपनों को पूरा करने में हमें कोई कसर नहीं छोड़नी चाहिए। ये कार्यक्रम सरकार, दल या प्रधानमंत्री का नहीं। ये कार्यक्रम सदन का है, इस पवित्र जगह का है। स्पीकर और बाबा अंबेडकर की गरिमा है और हम इसे बनाए रखें।'

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