सार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) ने आज 5जी टेस्ट बेड लॉन्च किया, जो भारतीय उद्योग और स्टार्टअप्स(Startups) को 5जी तथा अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों में अपने उत्पादों, प्रोटोटाइप, समाधान और एल्गोरिदम(Algorithms) को सत्यापित करने में मदद करेगा।

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी((Prime Minister Narendra Modi)) ने 17 मई को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India-TRAI) के रजत जयंती समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने एक डाक टिकट भी जारी किया। कार्यक्रम के दौरान मोदी ने आईआईटी मद्रास के नेतृत्व में कुल आठ संस्थानों द्वारा बहु-संस्थान सहयोगी परियोजना के रूप में विकसित 5जी टेस्ट बेड का भी शुभारंभ किया। बता दें कि ट्राई की स्थापना 1997 में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997 के अंतर्गत की गई थी।

देश का अपना 5G standard बनाया गया है, गर्व की बात 
मोदी ने कहा-TRAI से जुड़े सभी साथियों को Silver jubilee की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आज जब आपकी संस्था ने 25 साल पूरे किए हैं, तब देश आजादी के अमृत काल में अगले 25 वर्ष के रोडमैप पर काम कर रहा है। नए लक्ष्य तय कर रहा है। मुझे देश को अपना, खुद से निर्मित 5G Testbed राष्ट्र को समर्पित करने का अवसर मिला है। ये टेलिकॉम सेक्टर में क्रिटिकल और आधुनिक टेक्नोलॉजी की आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक अहम कदम है। मैं इस प्रोजेक्ट से जुड़े सभी साथियों को, हमारे IITs को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। 5Gi के रूप में जो देश का अपना 5G standard बनाया गया है, वो देश के लिए बहुत गर्व की बात है। ये देश के गांवों में 5G टेक्नोलॉजी पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाएगा। 5G टेक्नोलॉजी भी देश की गवर्नेंस में, ease of living, ease of doing business में सकारात्मक बदलाव लाने वाली है। इससे खेती, स्वास्थ्य, शिक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर और logistics, हर सेक्टर में ग्रोथ को बल मिलेगा। इससे सुविधा भी बढ़ेगी और रोज़गार के भी अनेक अवसर बनेंगे। आत्मनिर्भरता और स्वस्थ स्पर्धा कैसे समाज में, अर्थव्यवस्था में multiplier effect पैदा करती है, इसका एक बेहतरीन उदाहरण हमारा टेलिकॉम सेक्टर है। 2G काल की निराशा, हताशा, करप्शन, पॉलिसी पैरालिसिस से बाहर निकलकर देश ने 3G  से 4G और अब 5G और 6G की तरफ तेज़ी से कदम बढ़ाए हैं।

हमारा टेलिकॉम सेक्टर बेहतरीन उदाहरण है
आत्मनिर्भरता और स्वस्थ स्पर्धा कैसे समाज में, अर्थव्यवस्था में multiplier effect पैदा करती है, इसका एक बेहतरीन उदाहरण हमारा टेलिकॉम सेक्टर है। 2G काल की निराशा, हताशा, करप्शन, पॉलिसी पैरालिसिस से बाहर निकलकर देश ने 3G  से 4G और अब 5G और 6G की तरफ तेज़ी से कदम बढ़ाए हैं। आज हम देश में tele-density और internet users के मामले में दुनिया में सबसे तेजी से expand हो रहे हैं तो उसमें टेलीकॉम समेत कई सेक्टर्स की भूमिका रही है। बीते वर्षों में सरकार जिस तरह नई सोच और एप्रोच के साथ काम कर रही है, उससे आप सभी भली-भांति परिचित है। Silos वाली सोच से आगे निकलकर अब देश whole of the government approach के साथ आगे बढ़ रहा है।
इसलिए हमने जनधन आधार और मोबाइल की ट्रिनिटी को डायरेक्ट गवर्नेंस का माध्यम बनाना तय किया।

गरीबों की पहुंच में हो मोबाइल
मोबाइल गरीब से गरीब परिवार की भी पहुंच में हो, इसके लिए हमनें देश में ही मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग पर बल दिया। 2014 में जब हम आये, तो हमने सबका साथ सबका विकास और इसके लिए टेक्नोलॉजी के व्यापक उपयोग को अपनी प्राथमिकता बनाया। इसके लिए जरूरी था कि देश के करोड़ों लोग आपस में जुड़े, सरकार से भी जुड़ें और सरकार की सभी इकाइयां भी एक प्रकार से एक ऑर्गेनिक इकाई बनाकर आगे बढ़ें। 2014 से पहले भारत में 100 ग्राम पंचायतें भी ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी से नहीं जुड़ी थीं। आज हम करीब पौने दो लाख ग्राम पंचायतों तक ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी पहुंचा चुके हैं। कुछ समय पहले सरकार ने देश के नक्सल प्रभावित अनेक जनजातीय जिलों में 4जी सुविधा पहुंचाने की बड़ी शुरुआत करी है।

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यह भी जानें
परियोजना में भाग लेने वाले अन्य संस्थानों में आईआईटी दिल्ली, आईआईटी हैदराबाद, आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी कानपुर, आईआईएस बैंगलोर, सोसाइटी फॉर एप्लाइड माइक्रोवेव इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग एंड रिसर्च (एसएएमईईआर) और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन वायरलेस टेक्नोलॉजी (सीईडब्लूआईटी) शामिल हैं। यह परियोजना 220 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से डेवलप की गई है। टेस्ट बेड भारतीय उद्योग और स्टार्टअप के लिए एक सहायक इकोसिस्टम को सक्षम बनाएगा, जो इन्हें 5जी और अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों में अपने उत्पादों, प्रोटोटाइप, समाधान और एल्गोरिदम को सत्यापित(recognized) करने में मदद करेगा।