सार
Pm Security Breach : पूर्व आईपीएस ऑफिसर्स ने कहा है कि इस घटना को सुनकर हम सब आश्वर्यचकित हैं। प्रदर्शनकारियों द्वारा सड़क जाम करना न केवल सुरक्षा में चूक है, बल्कि प्रधानमंत्री को नुकसान पहुंचाने के लिए राज्य सरकार का प्रदर्शनकारियों के साथ मिलीभगत का खुला और शर्मनाक प्रदर्शन था।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा में चूक (Pm Security Breach) मामले में देश के 27 पूर्व आईपीएस (IPS Officers) ने राष्ट्रपति को एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने पंजाब (Punjab) में कल हुई घटना को अंतरराष्ट्रीय स्तर की पूर्व नियोजित चूक बताया है। पूर्व पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पूरे देश में वर्षों तक सेवा करने के बाद इस घटना को सुनकर हम सब आश्वर्यचकित हैं।
रिटायर्ड आईपीएस अफसरों ने पत्र में लिखा है - पंजाब में प्रधानमंत्री की पूर्व निर्धारित यात्रा भीड़ द्वारा बाधित की गई। प्रदर्शनकारियों द्वारा सड़क जाम करना न केवल सुरक्षा में चूक है, बल्कि प्रधानमंत्री को नुकसान पहुंचाने के लिए राज्य सरकार का प्रदर्शनकारियों के साथ मिलीभगत का खुला और शर्मनाक प्रदर्शन था। इन अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट को भी इस पत्र की कॉपी सौंपी है और कार्रवाई की मांग की है।
पीएम का काफिला रुकना पंजाब की घटिया कानून व्यवस्था दिखाता है
पूर्व आईपीएस अफसरों ने लिखा- इस घटना की गंभीरता और उसके अंतर्राष्ट्रीय नतीजों ने हमें आपको पत्र लिखकर उचित कार्रवाई की मांग के लिए मजबूर किया। देश के प्रधानमंत्री के काफिले को एक फ्लाईओवर पर 15 से 20 मिनट तक रोके रखना प्रदेश की घटिया कानून व्यवस्था को दर्शाता है। देश के प्रधान मंत्री को तय प्रोटोकॉल के अनुसार एसपीजी (SPG) सुरक्षा प्रदान की जाती है, जिसमें गृह मंत्रालय (MHA)राज्य के साथ समन्वय करता है। पीएम के किसी भी कार्यक्रम के लिए पुलिस मुख्य रूप से राज्य के भीतर यात्रा और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होती है। उसकी जिम्मेदारी सभी रास्तों और सड़कों पर तय प्रोटोकॉल के अनुसार सुरक्षित और क्लियर रूट की व्यवस्था करना होता है।
यह सरकारी लापरवाही नहीं, मिलीभगत नजर आ रही
पूर्व अधिकारियों ने पत्र में लिखा है कि मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि यह सिर्फ राज्य सरकार की लापरवाही नहीं है, बल्कि घटना से साफ नजर आ रहा है कि इसमें राज्य सरकार की मिलीभगत रही है। राज्य सरकार को उन वैकल्पिक मार्गों की भी जानकारी थी, जो पीएम की यात्रा के लिए तय किए गए थे, लेकिन सरकार ने उन्हें नहीं अपनाया। हम आपको यह पत्र इसलिए लिख रहे हैं, क्योंकि इतिहास में यह पहले कभी नहीं हुआ कि राज्य की एजेंसियां अपनी जिम्मेदारी टालने के लिए कोई न कोई बहाना बनाएं। मुख्यमंत्री ने भी जो बयान दिया वह भी विरोधाभासी है।
इन पूर्व अफसरों ने लिखा पत्र
चाय पीते नजर आ रहे पुलिसकर्मियों की मंशा पर सवाल
जब सिर्फ पंजाब पुलिस के पास प्रधानमंत्री के यात्रा रूट की जानकारी थी तो फिर प्रदर्शनकारियों को इसकी सूचना कैसे मिली। पुल पर बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी मौजूद थे, लेकिन वहां कोई आला अधिकारी मौके पर नहीं थे, जो सुरक्षा में गंभीर चूक दर्शाता है। यहां तक कि तमाम पुलिस अधिकारी प्रदर्शनकारियों को हटाने की बजाय चाय पीते नजर आए, जो उनकी मंशा दर्शाता है।
राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर तुरंत कार्रवाई की जरूरत
इस घटना के जो वीडियो क्लिप सामने आए हैं वह बड़ी साजिश की तरफ इशारा करते हैं। देश की सबसे गंभीर चूक के इस मामले की विस्तृत और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय सीमा के काफी नजदीक है। पूर्व पुलिस अधिकारियों ने कहा कि हम आपसे अनुरोध करते हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा और राज्य की जिम्मेदारी पर गंभीर प्रभाव डालने वाले इस मामले तत्काल कार्रवाई करें, क्योंकि कुछ महीने बाद ही यहां चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है।
क्या हुआ था पीएम के दौरे में
बुधवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बठिंडा पहुंचे थे। वहां से उन्हें हेलिकॉप्टर से हुसैनीवाला जाना था। लेकिन, खराब विजिबिलिटी के कारण सड़क मार्ग से वहां जाने की योजना बनी। पंजाब के डीजीपी को इस बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने रूट क्लियर होने की हरी झंडी दी, इसके बाद भी हुसैनीवाला शहीद स्मारक से करीब 30 किमी पहले एक फ्लाइओवर पर पीएम के काफिले के सामने किसान प्रदर्शनकारी आ गए। प्रदर्शनकारियों ने सड़क को ब्लॉक किया था। 15 से 20 मिनट इंतजार करने के बाद प्रधानमंत्री को वहां से वापस आना पड़ा।
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