सार
राजस्थान में कांग्रेस सरकार के भीतरखाने में एक बार फिर भूचाल आया है। अशोक गहलोत व सचिन पायलट खेमा आमने सामने तो है ही, गहलोत समर्थक विधायक केंद्रीय नेतृत्व को भी चुनौती दे रहे हैं। राजस्थान इकाई में आपसी फूट भी उजागर सार्वजनिक हो चुकी है।
Rajasthan Political crisis: भारत जोड़ो यात्रा कर रहे राहुल गांधी की अपनी पार्टी में टूट दिख रही है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व सचिन पायलट के बीच गुटबाजी चरम पर पहुंच चुकी है। कांग्रेस शासित एक और राज्य में उसके नेता ही पार्टी की लुटिया डुबोने में लगे हुए हैं। पिछले 24 घंटे से चल रहे सियासी ड्रामा के सबसे बड़े सूत्रधार कांग्रेस के होने वाले मुखिया अशोक गहलोत को माना जा रहा है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी की कमान अपने पास रखने के लिए उन्होंने अपने समर्थक विधायकों को खुली छूट दे दी कि वे हाईकमान को चुनौती दे दें। रविवार की देर रात में विधायकों ने न केवल केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मीटिंग का बहिष्कार किया बल्कि अपनी बात मनवाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष के पास पहुंचकर 90 से अधिक विधायकों ने इस्तीफे की धमकी तक दे डाली। हालांकि, केंद्रीय पर्यवेक्षक अजय माकन व मल्लिकार्जुन खड़गे ने विधायक दल की मीटिंग कैंसिल करने के साथ ही दिल्ली दोनों धड़ों के नेताओं को तलब कर लिया। सोमवार को दोनों पर्यवेक्षकों ने सोनिया गांधी से मुलाकात कर पूरी घटना के बारे में जानकारी दी है। राजस्थान के बारे में जानने के बाद कांग्रेस सुप्रीमो ने लिखित रिपोर्ट मांगी है। मंगलवार को दोनों नेता रिपोर्ट सौंपेंगे। पूरे दिन चले राजस्थान के सियासी ड्रामे का जयपुर से दिल्ली तक का यह है अपडेट...
- केंद्रीय नेतृत्व ने फिलहाल अशोक गहलोत को राजस्थान में मचे बवाल को शांत करने की जिम्मेदारी सौंपी है। अशोक गहलोत ने गांधी परिवार की नाराजगी के बाद इस पूरे घटनाक्रम पर खेद जताते हुए इस घमासान में अपना किसी तरह का हाथ होने से इनकार कर दिया। उधर, हाईकमान की सख्ती के बाद गहलोत के बैकफुट पर आने के बाद विधायकों के नेताओं ने भी हथियार डाल दी है। गहलोत के खास मंत्री शांति धारीवाल ने भी प्रेस कांफ्रेंस कर सफाई दी और पार्टी के प्रति अपनी वफादारी का दावा किया।
- राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार को कांग्रेस हाई कमान से राहत मिलने की सूचना है। माना जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव होने तक राजस्थान में किसी प्रकार का कोई बदलाव न होने का संकेत दे दिया गया है। पार्टी अपने आंतरिक कलह को सार्वजनिक होने से रोकने के लिए ऐसा करना चाहती है। दरअसल, अध्यक्ष पद के चुनाव के पहले पार्टी को विधायकों के बगावत का भी डर है।
- राजस्थान कांग्रेस का गतिरोध कम नहीं हुआ है। माना जा रहा था कि मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ मध्यस्थता के लिए दिल्ली बुलाए गए हैं। लेकिन कमलनाथ ने साफ कह दिया कि वह अशोक गहलोत से बात नहीं करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि वह कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए नामांकन करने भी नहीं जा रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि इससे पहले पार्टी आलाकमान ने कमलनाथ से अशोक गहलोत और सचिन पायलट के गुटों के बीच मध्यस्थता करने को कहा था।
- राजस्थान विधायक दल की बैठक के लिए पर्यवेक्षक बनाए गए अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे दिल्ली पहुंच गए। रविवार की देर रात तक हुए सियासी बवाल के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट दोनों ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को दी है। सोमवार की शाम को लोगों ने दस जनपथ पहुंचकर पूरी कहानी उनको बताई है। माकन से सोनिया गांधी ने राजस्थान क्राइसिस पर एक लिखित रिपोर्ट मांगी है।
- अजय माकन ने बताया कि उन्होंने राजस्थान के हालात पर जानकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को दे दी है। बताया कि गहलोत के 102 वफादारों ने हमसे कहा था कि उनमें से किसी को सीएम बनाया जाना चाहिए। विधायकों की राय से पार्टी प्रमुख को अवगत करा दिया गया है। पारित प्रस्तावों के लिए कोई शर्त नहीं है। अब पार्टी प्रमुख विचार-विमर्श के बाद अपना निर्णय सुनाएंगी। उन्होंने लिखित में पूरी रिपोर्ट मांगी है।
- उधर, राजस्थान के सियासी भूचाल के केंद्र में अशोक गहलोत की कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस भी आ चुकी है। कांग्रेस सूत्रों की मानें तो राजस्थान में पार्टी व सरकार की भद्द पिटवाने के आरोप में अशोक गहलोत को अध्यक्ष पद की रेस से बाहर कर दिया गया है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष की दौड़ से बाहर हैं। 30 सितंबर से पहले नामांकन दाखिल करने वाले अन्य नेता भी होंगे। मुकुल वासनिक, मल्लिकार्जुन खड़गे, दिग्विजय सिंह, केसी वेणुगोपाल दौड़ में हैं। गहलोत ने जिस तरह का व्यवहार किया वह पार्टी नेतृत्व के साथ अच्छा नहीं रहा।
- दो दिनों से कांग्रेस में राजस्थान को लेकर सियासत गरमाई हुई है। सोमवार को भी राजस्थान का सियासी ड्रामा जारी रहा। गहलोत के समर्थक जहां 70 विधायकों ने अपना इस्तीफा सीपी जोशी को सौंप दिया वहीं दूसरी ओर दोपहर में अशोक गहलोत केंद्रीय पर्यवेक्षक अजय माकन व मल्लिकार्जुन खड़गे से मिले और अपनी सफाई दी। लेकिन पर्यवेक्षकों ने अनुशासन का हवाला देते हुए पूरा मामला सोनिया गांधी तक पहुंचाने की बात कहते हुए आगे शीर्ष नेतृत्व के फैसले का इंतजार करने को कहा।
- हालांकि, इस पूरे घटनाक्रम में सचिन पायलट का खेमा चुप्पी साधे हुए है। सोमवार को भी सचिन पायलट की ओर से कोई खास गतिविधियां नहीं देखी गई। हालांकि, माना जा रहा है कि वह अपने विधायकों को लेकर दिल्ली दरबार पहुंचने वाले हैं।
- मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को राजस्थान के सियासी ड्रामे को खत्म करने के लिए सोमवार को आगे करने की बात सामने आई थी। कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने पूर्व सीएम कमलनाथ को दिल्ली बुलाया है। माना जा रहा है कि कमलनाथ के माध्यम से ही दोनों गुटों के बीच मध्यस्थता कराई जा सकती है।
- राजस्थान की सियासी तपिश अब 10 जनपथ तक पहुंच चुकी है। कांग्रेस आलाकमान के दो दूत अजय माकन व मल्लिकार्जुन खड़गे भी राजस्थान की सीएम कुर्सी का झगड़ा सुलझाने में असफल रहे। स्थितियां बिगड़ती देख रविवार की रात को होने वाली विधायक दल की मीटिंग को पर्यवेक्षकों ने कैंसल कर दी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व सचिन पायलट को मनाने की कोशिशें नाकाम होने के बाद अब दोनों को दिल्ली दरबार में तलब किया गया है...पढ़ेें पूरी खबर
- गहलोत इस शर्त पर इस्तीफा देना चाहते हैं कि उनका कोई खास सीएम का पद संभाले। उधर, सचिन पायलट ने भी बिसात बिछा दी है। रविवार को मामला अधिक तूल पकड़ लिया जब गहलोत खेमे के 90 से अधिक विधायकों ने अपने पसंद के मुख्यमंत्री के लिए इस्तीफा देने की धमकी दे डाली। देर रात तक जयपुर में जमे हुए थे...पढ़ें पूरी खबर