सार
राजस्थान में कांग्रेस सरकार के भीतरखाने में एक बार फिर भूचाल आया है। अशोक गहलोत व सचिन पायलट खेमा आमने सामने तो है ही, गहलोत समर्थक विधायक केंद्रीय नेतृत्व को भी चुनौती दे रहे हैं। राजस्थान इकाई में आपसी फूट भी उजागर सार्वजनिक हो चुकी है।
Rajasthan Political crisis: राजस्थान की सियासी तपिश अब 10 जनपथ तक पहुंच चुकी है। कांग्रेस आलाकमान के दो दूत अजय माकन व मल्लिकार्जुन खड़गे भी राजस्थान की सीएम कुर्सी का झगड़ा सुलझाने में असफल रहे। स्थितियां बिगड़ती देख रविवार की रात को होने वाली विधायक दल की मीटिंग को पर्यवेक्षकों ने कैंसल कर दी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व सचिन पायलट को मनाने की कोशिशें नाकाम होने के बाद अब दोनों को दिल्ली दरबार में तलब किया गया है। उधर, बताया जा रहा है कि सीपी जोशी के आवास पर जुटे गहलोत खेमे के 70 से अधिक विधायकों को किसी होटल या रिसॉर्ट में रखा जा सकता है। यह अपनी पसंद के सीएम के लिए इस्तीफा की लगातार धमकी दे रहे हैं।
राजस्थान में दो साल बाद फिर से कांग्रेस विधायकों की होगी बाड़ाबंदी
राजस्थान में कांग्रेस सरकार के भीतरखाने में एक बार फिर भूचाल आया है। अशोक गहलोत व सचिन पायलट खेमा आमने सामने तो है ही, गहलोत समर्थक विधायक केंद्रीय नेतृत्व को भी चुनौती दे रहे हैं। राजस्थान इकाई में आपसी फूट भी उजागर सार्वजनिक हो चुकी है। दो साल बाद यह दूसरी बार हो रहा है जब कांग्रेस के विधायकों की एक बार फिर बाड़ाबंदी हो सकती है। क्योंकि कांग्रेस की फूट का फायदा विपक्षी खेमा उठा सकता है।
केंद्रीय पर्यवेक्षक पहुंचे थे जयपुर
अशोक गहलोत को केंद्रीय राजनीति में कांग्रेस ला रही है। ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस के संगठनात्मक चुनाव में उनको अध्यक्ष चुना जा सकता है। ऐसे में यह साफ है कि उनको मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ सकता है। हालांकि, गहलोत लगातार यह दबाव बना रहे हैं कि उनके पास दोनों पद रहे। लेकिन राहुल गांधी के एक व्यक्ति-एक पद की नीति का कड़ाई से पालन करने के स्पष्ट संदेश के बाद वह अपने खेमे के किसी खास व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद की कुर्सी दिलाना चाहते हैं। जबकि कांग्रेस नेतृत्व सचिन पायलट को इसके लिए उपयुक्त मान रहा। दो साल पहले ही दोनों के बीच के झगड़े को सुलझाने और पायलट को बगावत से रोकने के लिए नेतृत्व ने उनको आश्वस्त भी किया था। केंद्रीय नेतृत्व के आदेश पर अजय माकन व मल्लिकार्जुन खड़गे जयपुर में रविवार को पहुंचे थे। यह लोग दोनों नेताओं के आपसी झगड़े को सुलझाने के साथ साथ विधायकों से एक नाम पर सहमति बनाने के लिए थे।
लेकिन नहीं बनी बात...
दरअसल, विधायक दल की मीटिंग के पहले ही अशोक गहलोत खेमे के विधायकों ने बागी तेवर अपना लिए। इन लोगों ने सीनियर मिनिस्टर शांति धारीवाल के आवास पर मीटिंग कर अशोक गहलोत या उनके खेमे के चेहरे के लिए मोर्चा खोल दिया। उधर, केंद्रीय पर्यवेक्षकों व अशोक गहलोत के बीच एक होटल में हुई वार्ता काफी तल्खी के साथ खत्म हुई। गहलोत मीटिंग छोड़कर चले गए और केवल सचिन पायलट के साथ मीटिंग हो सकी।
विधायक इस्तीफा की धमकी के साथ पहुंचे सीपी जोशी के आवास
विधायक दल की मीटिंग के पहले गहलोत समर्थक विधायक, विधान सभा अध्यक्ष सीपी जोशी के आवास पर पहुंच गए। इन लोगों ने केंद्रीय नेतृत्व से अपनी बात मनवाने के लिए अपने इस्तीफा की पेशकश कर दी है। इन विधायकों की संख्या 70 से अधिक बताई जा रही है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि 90 से अधिक विधायक पहुंचे हैं। अब माना जा रहा है कि इन विधायकों से कोई दूसरा सौदेबाजी न कर सके इसलिए उनको अब किसी रिसॉर्ट या होटल में रखा जा सकता है।
विधायक दल की मीटिंग कैंसिल, नेता दिल्ली तलब
राजस्थान में कांग्रेस विधायकों के बगावती तेवर के बाद विधायक दल की मीटिंग को कैंसिल कर दी गई। दोनों पर्यवेक्षकों अजय माकन व मल्लिकार्जुन खड़गे को वापस आने को कह दिया गया है। यही नहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व सचिन पायलट को दिल्ली तलब किया गया है। माना जा रहा है कि दिल्ली में 10 जनपथ से कोई राह निकाली जाएगी।
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