सार

राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव लाया है। 70 सांसदों ने नोटिस पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन क्या विपक्ष के पास संख्या बल है?

नई दिल्ली। विपक्ष राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया है। इसके लिए नोटिस पेश किया गया है। हालांकि विपक्ष के लिए धनखड़ को उनके पद से हटाना आसान नहीं है। इसके लिए संविधान में कठोर प्रक्रिया का प्रावधान है। आइए जानते हैं कि क्या एनडीए के पास विपक्ष के इस कदम को मात देने के लिए पर्याप्त सांसद हैं?

राज्यसभा के सभापति को पद हटाने की बात करना आसान है, लेकिन ऐसा कर पाना मुश्किल। इसके लिए राज्यसभा के साथ ही लोकसभा में भी मतदान करना होता है। ऐसे में फैसला संख्या बल से तय होता है।

धनखड़ को हटाने के नोटिस पर 70 राज्यसभा सांसदों ने किया है साइन

कांग्रेस के नेतृत्व में धनखड़ को हटाने के लिए नोटिस पेश किया गया है। इसके समर्थन में 70 विपक्षी राज्यसभा सांसदों ने साइन किए हैं। कांग्रेस को राजद, टीएमसी, सीपीआई, सीपीआई-एम, जेएमएम, आप और डीएमके का साथ मिला है।

संविधान में राज्यसभा के सभापति को हटाने का क्या है प्रावधान?

उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया राष्ट्रपति के महाभियोग (अनुच्छेद 61) से अलग है। इसमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67 (बी), 92 और 100 के तहत खास कदम उठाने होते हैं। सभापति को हटाने का प्रस्ताव राज्यसभा में पेश किया जाना चाहिए। इसे पेश करने से पहले कम से कम 14 दिन का नोटिस देना होगा। प्रस्ताव पास होने के लिए राज्यसभा की कुल सदस्यता के पूर्ण बहुमत (कुल मतों के आधे से अधिक) के समर्थन की जरूरत होती है। न कि केवल उपस्थित और मतदान करने वाले सांसदों के बहुमत की।

अगर प्रस्ताव राज्यसभा से पास हो जाता है तो उसे लोकसभा में लाया जाता है। लोकसभा में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के साधारण बहुमत से प्रस्ताव पास कराना होता है। ऐसा हो सके इसके लिए विपक्ष के पास राज्यसभा और लोकसभा दोनों में बहुमत हो यह जरूरी है। अगर राज्यसभा और लोकसभा दोनों में अविश्वास प्रस्ताव पास कर दिया जाए तो राज्यसभा के सभापति को अपना पद छोड़ना पड़ता है।

राज्यसभा और लोकसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष का क्या है संख्या बल?

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने मंगलवार को कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के पास राज्यसभा में बहुमत है। आंकड़े से भी इसकी पुष्टि होती है। 245 सदस्यीय राज्यसभा में वर्तमान स्थिति के अनुसार भाजपा और उसके सहयोगी दलों के पास लगभग 125 सीटें हैं। दूसरी ओर विपक्ष को करीब 112 सांसदों का समर्थन मिल सकता है।

ऐसे में विपक्ष के लिए राज्यसभा से जगदीप धनखड़ को हटाने का प्रस्ताव पास कराना बेहद मुश्किल है। एक बार के लिए अगर मान लें कि प्रस्ताव राज्यसभा से पास हो भी जाता है तो बात लोकसभा में संख्या बल की आएगी। लोकसभा में NDA के 293 सांसद हैं। वहीं, विपक्षी दलों को 238 सांसदों का समर्थन मिल सकता है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के संख्या बल में बहुत अधिक अंतर होने से विपक्ष के लिए राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास कराना असंभव कार्य की तरह है। इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि विपक्ष का यह कदम प्रतीकात्मक अधिक है।